Ayodhya News: श्रीराम मंदिर के द्वितीय तल का निर्माण शुरू, खड़े होने लगे स्तंभ; लक्ष्य के अनुसार हो रहा कार्य

राम मंदिर के प्रथम तल का शेष कार्य पूर्ण होने के बाद अब द्वितीय तल का निर्माण शुरू हो गया। पहले चरण में स्तंभ खड़े किए जाएंगे। ये स्तंभ सात भाग में होंगे जो प्रथम तल के गूढ़ मंडप के ऊपरी हिस्से पर आकार लेंगे। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी। कुल 392 स्तंभ बनने हैं। भूतल पर 166 प्रथम तल पर 142 स्तंभ बनाए गए हैं।

By Jagran NewsEdited By: Jeet Kumar Publish:Tue, 23 Apr 2024 06:00 AM (IST) Updated:Tue, 23 Apr 2024 06:00 AM (IST)
Ayodhya News: श्रीराम मंदिर के द्वितीय तल का निर्माण शुरू, खड़े होने लगे स्तंभ; लक्ष्य के अनुसार हो रहा कार्य
श्रीराम मंदिर के द्वितीय तल का निर्माण शुरू, खड़े होने लगे स्तंभ

 प्रवीण तिवारी, अयोध्या। रामनवमी के बाद श्रीराम मंदिर निर्माण की गति तीव्र हुई है। प्रथम तल का शेष कार्य पूर्ण होने के बाद अब द्वितीय तल का निर्माण शुरू हो गया। पहले चरण में स्तंभ खड़े किए जाएंगे। ये स्तंभ सात भाग में होंगे, जो प्रथम तल के गूढ़ मंडप के ऊपरी हिस्से पर आकार लेंगे। मंदिर की प्रत्येक मंजिल 20 फीट ऊंची होगी। कुल 392 स्तंभ बनने हैं।

सप्त मंडपम की नींव तैयार

भूतल पर 166, प्रथम तल पर 142 स्तंभ बनाए गए हैं। अब द्वितीय तल पर 84 स्तंभ बनाए जाने हैं। एलएंडटी के प्रोजेक्टर निदेशक वीके मेहता ने बताया कि दिसंबर, 2024 तक मंदिर पूर्ण रूप से निर्मित करने का लक्ष्य है। इसी लक्ष्य के अनुसार कार्य हो रहा है। परिसर में निर्मित होने वाले सप्त मंडपम की नींव तैयार हो गई है।

इसमें भगवान राम के समकालीन सात पात्रों महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ, अगस्त्य, विश्वामित्र, निषादराज, शबरी व अहिल्या के मंदिर बनने हैं। परकोट में छह मंदिरों शंकर, गणेश, हनुमान, सूर्य देव, भगवती व अन्नपूर्णा मंदिर का निर्माण भी प्रगति पर हैं। मंदिर में मुख्य शिखर के अतिरिक्त पांच मंडल के शिखर होंगे। इसमें चार शिखर निर्मित किए जा चुके हैं।

मंदिर निर्माण के लिए शिलाओं की आपूर्ति पूर्ण

अभी तक राजस्थान के सिरोही से लगभग सवा तीन लाख घनफीट गढ़ी शिलाओं की आपूर्ति हो चुकी है। कुल चार लाख 75 घनमीटर शिलाओं की आपूर्ति होनी थी। विशेषज्ञों ने बताया कि तय समय पर निर्माण पूर्ण करने पर जोर है। इन दिनों रात में भी निर्माण चल रहा है। कुल डेढ़ हजार श्रमिक लगे हैं। प्राण प्रतिष्ठा के समय इनकी संख्या काफी कम हो गई, लेकिन अब बढ़ गई है। इनकी संख्या और भी बढ़ने की उम्मीद है।

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