उगते सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर किया नमन

जागरण संवाददाता, अमरोहा : छठ पूजा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा अर्चना कर समापन किया। जिसमें भक्तों ने सूर्यदेव से परिजनों के लिए स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। मान्यता है कि छठ पूजा पर सूर्यदेव मानव जीवन पर बहुत मेहरबान होता है। सूर्य से शुद्ध ज्ञान, शुद्ध कर्म, स्वास्थ्य, सुख शांति पूर्ण जीवन प्राप्त होता है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 14 Nov 2018 10:47 PM (IST) Updated:Wed, 14 Nov 2018 10:47 PM (IST)
उगते सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर किया नमन
उगते सूर्यदेव को अ‌र्घ्य देकर किया नमन

अमरोहा : छठ पूजा के चौथे दिन श्रद्धालुओं ने विधि-विधान से पूजा अर्चना कर समापन किया। जिसमें श्रद्धालुओं ने उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर परिजनों के लिए स्वास्थ्य और दीर्घायु की कामना की। सूर्यदेव को भोग लगाने के बाद प्रसाद ग्रहण कर व्रतियों ने 36 घंटे के उपवास का पारायण किया।

बुधवार को छठ पूजा के आखिरी दिन श्रद्धालुओं ने तड़के तीर्थ वासुदेव सरोवर पहुंचकर उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर पूजा अर्चना की। इस दौरान उन्होंने अपने परिजनों की लम्बी उम्र व सुख-समृद्धि की कामना की। मान्यता के अनुसार मानव जीवन पर सूर्य देव का गहरा प्रभाव पड़ता है। प्रकृति में सूर्यदेव से बढ़कर प्रत्यक्ष रूप से कोई देव नहीं है। अथर्ववेद में भी सूर्यदेव के महत्व को दर्शाया गया है। मान्यता के अनुसार कार्तिक मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि में ही सूर्य की उत्पत्ति हुई थी। इसलिए इस तिथि को स्त्रियां अपने पति-पुत्र आदि के लिए पूर्ण जीवन स्वास्थ्य की कामना करती हैं।

सूर्यदेव के पूजन से पहले व्रतियों ने स्नानादि करके सूर्यदेव के निमित्त पवित्र व उनके अनुकूल प्रसाद आदि तैयार कर लिया था। रात भर व्रतियों ने श्रद्धापूर्वक भजन गाकर छठ मैया का पूजन किया। बुधवार को चौथे दिन उगते सूर्य को अ‌र्घ्य देकर भजन-पूजन के बाद छठ पूजन का पारायण हो गया।

सूर्योदय को अ‌र्घ्य देने के साथ छठ व्रत का परायण जागरण संवाददाता, गजरौला : चार दिवसीय छठ पूजन पर्व बुधवार को सप्तमी के उदयगामी सूर्य को अ‌र्घ्य देने के साथ संपन्न हो गया।

बुधवार को ब्रह्म मुहूर्त में सुहागिन व्रती महिलाएं ब्रजघाट एवं तिगरी गंगा घाट पर पहुंच गईं। पानी में खड़े होकर सूर्योदय का इंतजार किया। व्रतिनी की ओर से उगते सूरज को जल दूध का अ‌र्घ्य देने के साथ छठ मैया की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर महिलाओं ने ¨सदूर के पट एक-दूसरे को दिए। इससे पूर्व खरना के साथ छठ पर्व शुरू हुआ था। इस अवसर पर महिलाओं ने छठी मइया के भजन व गीत गुनगुनाए। गीतों से घाट का माहौल भक्तिमय हो गया। छठ पर्व पर व्रत रखने वाली महिलाओं के परिजनों ने परंपरागत रूप से पूजन के डाला को सिर पर रखकर पूजन स्थल तक पहुंचाया।

महिलाओं ने कांची-कांची वास की बंधानिया-बहंगी लचकत जाए आदि पूर्वांचली गीत गाए। सूर्य उदय होते ही घाट पर मौजूद व्रती उनके परिजनों में खास उत्साह दिखाई दिया। व्रती महिलाओं ने शकुंतला देवी, पूनम शर्मा, संगीता, ¨रकी, पुष्पा, गायित्री, मीना चौरासिया ने बताया कि व्रत रखने वाली महिलाओं के साथ परिजनों ने भी सूर्य का अ‌र्ध्य दिया। छठी मैया को ठेकुआ, केला, गन्ना, अनानास आदि फलों का भोग लगाकर अखंड सौभाग्य संतान की कुशलता की कामना की। पूजा के बाद सभी को प्रसाद वितरित किया गया।

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