पानी के व्यवसायिक दोहन पर कसनी होगी नकेल
अंबेडकरनगर : मीठे पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सबसे पहले इसके व्यवसायिक इस्तेमाल पर नक
अंबेडकरनगर : मीठे पानी की बर्बादी को रोकने के लिए सबसे पहले इसके व्यवसायिक इस्तेमाल पर नकेल कसनी होगी। अमूमन देखा जाता है कि बहु मंजिला इमारत को बनाने में पानी का सर्वाधित इस्तेमाल किया जाता है। इससे इतर इमारत की सुरक्षा को देखते हुए भूमि की सतह को सुखाने के लिए वाटर पंपों के जरिए भूमिगत जल को बाहर निकाल लिया जाता है। लिहाजा आसपास के इलाकों में मीठे पानी की कमी महसूस होती है। भवन निर्माण में मीठे पानी की बेतहासा बर्बादी कहीं भी देखी जा सकती है। बताते चलें कि भवन निर्माण में ईंट, रेत, मोरंग, सीमेंट तथा लोहा आदि की कीमत तो अदा की जाती है, लेकिन पानी को मनमाने तौर पर दोहन करने के बाद भी इसकी कीमत अदा करना तो दूर जरूर से बचने वाले पानी को धरती में वापस भेजने को लेकर कोई सचेत नहीं हैं। हजारों लीटर पानी की बर्बादी यहां आसानी देखी जा सकती है। इससे इतर शुद्ध पानी की बेचने का व्यवसाय भी तेजी पर है। आरो प्लांट लगाने वाले शुद्ध पानी तैयार करने में सैकड़ों लीटर मीठा पनी बर्बाद कर रहे हैं। इस तैयार शुद्ध पानी की कीमत औरों से वसूल करते हैं, लेकिन दोहन का शुल्क नहीं अदा करते। ऐसा ही हाल वाहनों की धुलाई में रोजाना हजारों लीटर पानी की बर्बादी का है। ऐसे में प्रशासन को औरों के हक के मीठे पानी पर डाका डालने वालों पर कार्रवाई सुनिश्चित करते हुए नकेल कसनी होगी। अपर जिलाधिकारी गिरिजेश कुमार त्यागी ने बताया भूजल संरक्षण के लिए जनजागरूकता फैलाई जाएगी। इसके अलावा व्यवसायिक इस्तेमाल में पानी की बर्बादी को रोका जाएगा।