कोटेदारों पर चाबुक चलाने वाले लगाते मरहम

अंबेडकरनगर : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न की कालाबाजारी तथा अनियमितता मिलने पर विभाग और

By JagranEdited By: Publish:Mon, 25 Jun 2018 09:39 PM (IST) Updated:Mon, 25 Jun 2018 09:39 PM (IST)
कोटेदारों पर चाबुक चलाने वाले लगाते मरहम
कोटेदारों पर चाबुक चलाने वाले लगाते मरहम

अंबेडकरनगर : सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत खाद्यान्न की कालाबाजारी तथा अनियमितता मिलने पर विभाग और प्रशासन चाबुक चलाने के साथ ही जमकर मरहम लगा रहा है। गरीबों को राशन मिलने के दावों की माया भी गजब की है। सत्यापन से लेकर पर्यवेक्षणीय अधिकारी प्रत्येक लाभार्थी को राशन मिलने पुष्टि करते हैं। जबकि कालाबाजारी और अनियमितता किए जाने के मामले में लगातार कोटेदारों पर होने वाली कार्रवाई अधिकारियों के दावों की धज्जियां उड़ाने को काफी हैं। शायद यही वजह है कि खामियां मिलने के बाद कोटेदारों पर ही गड़बड़ी का ठीकरा फोड़ कार्रवाई का चाबुक चलाते हैं। इसे भी दिखावा मात्र ही कहा जा सकता है। वजह इसी ढर्रे पर कागजी कोरम पूरा कर कोटा दुकानों की बहाली हो जाती है।

खाद्यान्न वितरण मनमानी और अनियमितता करने पर 14 कोटेदारों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया, जबकि 126 कोटा दुकानों का अनुबंध निलंबित किया गया है। इसमें से ही 86 कोटा दुकानों का अनुबंध निरस्त किया गया है। इसके सापेक्ष अभी 18 कोटा दुकाने निलंबित चल रही है। जबकि कागजी कोरम पूरा कराने के साथ ही फिलहाल 22 दुकानें ही निलंबित चल रही हैं। विभाग की ओर से कोटेदारों को बचाने की जुगत भी भरपूर की जाती है। ऐसे में दिखावे के तौर पर आर्थिक दंड अधिरोपित करते हुए दुकानों को बहाल कर दिया जाता है। पुलिस के लिए भी कोटा दुकानों के मुकदमें कमाई का जरिए बन चुके हैं। कुछेक मामलों को छोड़ दिया जाए तो अंतिम रिपोर्ट लगाकर उन्हें बरी कर दिया जाता है। कालाबाजारी में पकड़े जाने वाले खाद्यान्न में आरोपी ही नहीं मिलते हैं। जिले में ऐसे कई उदाहरण भी मिले कि विपणन गोदाम से कालाबाजारी के लिए निकले खाद्यान्न को बाजारों तथा निजी गोदामों में पकड़ा गया। हालांकि इसमें जिम्मेदार अधिकारियों तथा कर्मचारियों की गर्दन फंसता देख लीपापोती शुरू हो जाती है। नामामत्र के मामलों में ही विभागीय अधिकारी मुकदमा दर्ज कराते हैं। इसमें भी पुलिस तेजी दिखाते हुए निपटाने की जुगत में लग जाती है। फिलहाल विभाग ने मौजूदा वित्तीय वर्ष के दौरान करीब 13 लाख 76 हजार 12 रुपये की जमानत धनराशि को विभाग ने जब्त किया है।

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-बरामद राशन के नहीं मिलते जिम्मेदार-

अंबेडकरनगर : कालाबाजारी में पकड़े जाने वाले खाद्यान्न को लेकर यही साबित करना मुश्किल हो जाता है कि यह किस कोटा दुकान का है। सभी कोटा दुकानों के अभिलेख दुरुस्त मिलने पर पूर्ति विभाग हाथ खड़े कर देता है। वहीं पुलिस के लिए भी राशन के जिम्मेदार को तलाशना काफी कठिन होता है। ऐसे में विभाग इसे जब्त करने तक की कार्रवाई तक ही सीमित रह जाता है।

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-जिम्मेदारों पर नहीं तय होती जवाबदेही-

अंबेडकरनगर : खाद्यान्न वितरण में अनियमितता और कालाबाजारी के मामलों में कोटेदारों को कही बलि का बकरा बनाया जाता है। वहीं इसमें शामिल सरकारी मशनीरी के जिम्मेदारों पर जवाबदेही तय नहीं होती है। विपणन गोदाम तक खाद्यान्न के पहुंचने से लेकर इसे कोटेदारों को आवंटित किए जाने, कोटा दुकानों तक इसके पहुंचने और लाभार्थियों को इसे शतप्रतिशत वितरित किए जाने तक प्रशासनिक मशीनरी का पहरा भी रहता है। अधिकारी तथा कर्मचारी बाकायदा इसका सत्यापन भी करते हैं। इसके बाद अनियमितता पाए जाने पर उक्त अधिकारी और कर्मचारी भी मिथ्या सत्यापन करने के दोषी होते हैं। ऐसे में विभाग सिर्फ कोटेदारों पर ही कार्रवाई करता है, जबकि अधिकारियों का इसमें कहीं जिक्र भी नहीं किया जाता।

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-प्रत्येक केंद्र पर खाद्यान्न माफिया-

अंबेडकरनगर : विपणन के प्रत्येक केंद्र पर दो से लेकर तीन खाद्यान्न माफियाओं का काकस रहता है। विभागीय अधिकारियों से लेकर कर्मचारियों के अलावा सत्यापन व पर्यव क्षणीय अधिकारियों को भी इसकी जानकारी होती है। बावजूद इसके खाद्यान्न माफिया बेरोकटोक विपणन गोदाम से लेकर कोटा दुकानों तक दखल बनाए हुए हैँ। रात के अंधेरे का फायदा उठाकर राशन को गोदाम से पार कर दिया जाता है।

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कोटा दुकानों पर राशन वितरण में अनियमितता पर सीधी कार्रवाई सुनिश्चित की जाती है। दोषियों को दंडित करने के साथ ही मुकदमा भी दर्ज कराया जाता है। इससे पहले प्रशासन और विभाग की ओर से लगे अधिकारी खाद्यान्न आपूर्ति तथा वितरण का सत्यापन करते हैं।

नीलेश उत्पल

जिला पूर्ति अधिकारी

अंबेडकरनगर

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