गो¨वद साहब का खजाना भर रही भक्तों की खिचड़ी

अंबेडकरनगर : पूर्वांचल की पौराणिक तपोस्थली महात्मा गो¨वद साहब मठ मंदिर पर प्रतिवर्ष सोने, चा

By JagranEdited By: Publish:Sat, 15 Dec 2018 09:47 PM (IST) Updated:Sat, 15 Dec 2018 09:47 PM (IST)
गो¨वद साहब का खजाना भर रही भक्तों की खिचड़ी
गो¨वद साहब का खजाना भर रही भक्तों की खिचड़ी

अंबेडकरनगर : पूर्वांचल की पौराणिक तपोस्थली महात्मा गो¨वद साहब मठ मंदिर पर प्रतिवर्ष सोने, चांदी सरीखे जेवरात के अलावा हजारों रुपए की चावल मिश्रित कच्ची खिचड़ी चढ़ाई जाती है। इससे यहां का खजाना मालामाल हो रहा है। अगहन मास की गो¨वद दशमी से शुरू होकर एक माह तक चलने वाला ऐतिहासिक मेला लगता है। मेले में लाखों की संख्या में श्रद्धालु आते हैं, जो महात्मा की समाधि पर चावल मिश्रित कच्ची खिचड़ी चढ़ाते हैं। मान्यता है चावल मिश्रित कच्ची खिचड़ी समरसता का सूचक होने के साथ-साथ सभी जाति धर्मों को एकता के सूत्र में बांधने के कारण महात्मा को अत्यंत प्रिय थी। इसके अलावा यहां स्थित गो¨वद सरोवर में स्नानोपरांत भीगे वस्त्रों में ही जो श्रद्धालु बाबा को खिचड़ी चढ़ाता है उसकी सभी मुरादें अवश्य पूरी होती हैं। इन्हीं विशेषताओं के कारण यहां प्रतिवर्ष हजारों किलो कच्ची खिचड़ी प्रसाद स्वरूप चढ़ाई जाती है। बीते दो दशक के भीतर अब तक लाखों रुपए की खिचड़ी मठ प्रशासन ने नीलाम किया है। गत वर्ष से यहां की समस्त जिम्मेदारी गो¨वद साहब न्यास परिषद के अध्यक्ष बाबा भगेलू दास के हवाले है। अब खिचड़ी की नीलामी भी न्यास परिषद के अध्यक्ष ही करते हैं।

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-बखार में रखते खिचड़ी प्रसाद : महात्मा की समाधि पर चढ़ने वाली कच्ची खिचड़ी श्रद्धालु अपने घर में गेहूं, चावल के गल्ला/बखार में भी रखते हैं। मानना है इससे धन की कमी नहीं होती है। दशकों से खिचड़ी चढ़ाने वाले गाजीपुर के रामप्रताप ¨सह, भुवनेश्वर दुबे, स्वामीनाथ राय, बलिया के सहजानंद राय, आत्माराम तिवारी, कैलाशनाथ ¨सह, मऊ के सच्चिदानंद पांडेय, रामासरे, सुधाकर राय श्रद्धालुओं ने बताया पूर्वजों के समय से ही यहां खिचड़ी चढ़ाने की परंपरा है।

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-मठ को खिचड़ी ने बनाया लखपति : गो¨वद साहब मंदिर पर श्रद्धालु खिचड़ी और नकदी चढ़ाते हैं। मठ समिति के खाते में 85 लाख रूपये से अधिक की धनराशि जमा है। मठ महंत बाबा भगेलू दास ने बताया कि महात्मा की समाधि पर चढ़ाई जाने वाली कच्ची खिचड़ी की नीलामी का संपूर्ण पैसा बैंक में जमा कर दिया जाता है। गत वर्ष खिचड़ी की बिक्री एवं चढ़ावे से लगभग चार लाख रुपये मिले थे।

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