मरीजों को नहीं मिल रहे चिकित्सक, फार्मासिस्ट भी नदारद
बदलते मौसम में सर्दी-बुखार से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है।
अंबेडकरनगर: बदलते मौसम में सर्दी-बुखार से पीड़ितों की संख्या लगातार बढ़ रही है। ऐसे में आयुर्वेद चिकित्सा का महत्व और अधिक बढ़ा है, क्योंकि कोरोना काल में आयुर्वेदिक औषधियों की मांग काफी बढ़ गई थी। इसके महत्व के बारे में लोगों को काफी जागरूक भी किया गया। इसको देखते हुए आयुर्वेद की तरफ लोगों का रुझान बढ़ा है। इन अस्पतालों की जमीनी हकीकत परखने के लिए जागरण की टीम ने सोमवार को पड़ताल की। अधिकांश स्थानों पर चिकित्सक और फार्मासिस्ट नदारद रहे। आयुर्वेदिक अस्पताल पंडाटोला शहजादपुर पर तैनात डा. भावना शर्मा, फार्मासिस्ट कृष्णमणि त्रिपाठी नदारद रहे। यहां मिले चतुर्थ कर्मी अमरजीत निषाद ने बताया कि चिकित्सक और फार्मासिस्ट जनपद कार्यालय गए हैं। इसके साथ ही और एक चतुर्थ कर्मी चिताराम वर्मा दवा लेने गए हैं। इमामबाड़ा के रहने वाले फुरकान और फरीदपुर के जयराम यहां दवा लेने पहुंचे थे। उन्होंने बताया कि अधिकांश समय यहां डाक्टर नहीं मिलते, इसी कारण काफी कम संख्या में मरीज पहुंचते हैं। मालीपुर : जलालपुर रामगढ़ मुख्य सड़क पर फरीदपुर में किराए के मकान में चल रहे राजकीय आयुर्वेदिक अस्पताल में प्रभारी चिकित्सक डा. संजय सिंह मरीजों की जांच कर दवा लिखते मिले। सफाईकर्मी की तैनाती नहीं होने के चलते वार्डब्वाय राम दरस अस्पताल के काम के साथ साफ सफाई का जिम्मा संभाले हैं। फार्मासिस्ट राम सुरेश सिंह सप्ताह में तीन दिन के लिए मरहरा आयुर्वेदिक अस्पताल पर संबद्ध हैं। प्रभारी ने बताया कि जो भी मरीज आते हैं, उन्हें दवाएं मुफ्त उपलब्ध कराई जाती हैं। लगभग हर रोग की दवा प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है। मौजूदा समय में मरीजों का रुझान आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है।
इल्ति़फातगंज : कस्बे में आयुर्वेदिक अस्पताल किराए के भवन में संचालित है। मरीजों को फार्मासिस्ट ही मर्ज की पहचान कर दवा भी देते हैं। यहां तैनात डा. शालिनी यादव प्रसूति अवकाश पर हैं। किराए का भवन जीर्णशीर्ण अवस्था में है। बारिश के दिनों में छत से पानी टपकता है। अस्पताल में स्टाफ बैठने से डरता है। करीब 25 मरीजों की ओपीडी है। कमोबेश यही हाल आसपास के सभी आयुर्वेदिक अस्पतालों का है। जयापुर, अरिया बाजार भी किराए के ही भवन में संचालित हैं। एक मात्र केशवपुर में अस्पताल का अपना भवन है।