पराली दान करने को आगे बढ़े 100 किसान

पराली जलाने पर अंकुश लगाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 03 Nov 2020 10:01 PM (IST) Updated:Tue, 03 Nov 2020 10:01 PM (IST)
पराली दान करने को आगे बढ़े 100 किसान
पराली दान करने को आगे बढ़े 100 किसान

अंबेडकरनगर: पराली जलाने पर अंकुश लगाना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती है। इसके लिए गांव-गांव किसानों को जागरूक करने के साथ खेतों की ड्रोन कैमरे से सतत निगरानी की जा रही है। वहीं जिला विकास अधिकारी की एक अनोखी पहल से कई किसानों ने अब पराली फूंकने के बजाए पशु आश्रय केंद्रों को दान करना शुरू कर दिया है। अब तक 100 किसान पराली दान कर चुके हैं।

पर्यावरण को होने वाले नुकसान को देखते हुए सरकार ने फसल काटने के बाद पराली जलाने पर रोक लगा रखी है। जिला प्रशासन की टीम के साथ कृषि अधिकारी पराली जलाने से होने वाले नुकसान के बारे में किसानों को लगातार जागरूक कर रहे हैं। उन्हें बताया जा रहा है कि पराली जलाने के बजाय खेतों में इसे सड़़ाकर किस तरह खाद के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। वहीं जिला विकास अधिकारी ने इस समस्या के हल के लिए किसानों से पराली को पशु आश्रय केंद्रों को दान करने की अपील की है। इसके लिए उन्होंने मुख्य पशु चिकित्साधिकारी के नेतृत्व में 12 पशु चिकित्साधिकारी व 22 पशुधन प्रसार अधिकारी वाली 40 सदस्यीय टीम का गठन किया है, जो किसानों को पराली दान करने के फायदे के बारे में समझा रही है। पशु आश्रय केंद्र तक ट्रैक्टर-ट्रॉली आदि से पराली ले जाने के लिए किसानों को इसका भाड़ा भी दिया जा रहा है। प्रशासन की यह पहल किसानों को धीरे-धीरे पसंद आने लगी है। जिले में अब तक करीब 100 किसान 481 कुंतल पराली विभिन्न पशु आश्रय केंद्रों को दान कर चुके हैं। इससे जहां किसानों को पराली से निजात मिलेगी वहीं पशुओं को मुफ्त में चारा मिल जाएगा।

प्रदूषण से मिलेगी निजात: खेतों में पराली जलाने के दौरान इससे निकलने वाले धुएं से बड़ी मात्रा में कार्बन मोनो ऑक्साइड और कार्बन डाईऑक्साइड गैस निकलती है। एक टन पराली जलाने पर हवा में तीन किलो कार्बन कण, 60 किलो कार्बन मोनोऑक्साइड, 1500 किलो कार्बन डाईऑक्साइड, 200 किलो राख और दो किलो सल्फर डाईऑक्साइड फैलता है। इससे सीधे ओजोन परत प्रभावित होती है और त्वचा के लिए घातक अल्ट्रावायलेट किरणें सीधे जमीन पर पहुंचती हैं। यह श्वांस रोगियों की तकलीफों को बढ़ाने वाला भी साबित हो रहा है।

किसानों को जागरूक कर पराली जलाने के बजाय उनसे पशु आश्रय केंद्रों को दान करने का आह्वान किया गया था। अब किसान स्वयं अधिकारियों के पास पहुंच पराली दान कर रहे हैं।

वीरेंद्र कुमार सिंह

जिला विकास अधिकारी

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