तब एक पैसा नहीं था राम मनोहर लोहिया की जेब में, बताया प्रयागराज के लोकतंत्र सेनानी ने

इतिहास के आइने से रसूखदार रहन-सहन हथियारबंद सुरक्षाकर्मी और महंगी गाड़ियों का काफिला मौजूदा दौर में नेताओं की पहचान बन गई है। कई नेताओं के ऊपर आय से अधिक संपत्ति का केस चल रहा है लेकिन कुछ दशक पहले ऐसी स्थिति नहीं थी।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Wed, 19 Jan 2022 04:06 PM (IST) Updated:Wed, 19 Jan 2022 04:06 PM (IST)
तब एक पैसा नहीं था राम मनोहर लोहिया की जेब में, बताया प्रयागराज के लोकतंत्र सेनानी ने
समाजवादी नेता राम मनोहर लोहिया का रहन सहन औऱ जीवन सादगी भरा था

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। विलासिता भरा जीवन, रसूखदार रहन-सहन, हथियारबंद सुरक्षाकर्मी और महंगी गाड़ियों का काफिला मौजूदा दौर में नेताओं की पहचान बन गई है। कई नेताओं के ऊपर आय से अधिक संपत्ति का केस चल रहा है, लेकिन कुछ दशक पहले ऐसी स्थिति नहीं थी। तब नेता सादगी व सच्चाई के पर्याय थे। आइए जानते हैं वयोवृद्ध लोकतंत्र सेनानी से एक ऐसे ही नेता के बारे में, उनकी ही जुबानी।

लोकतंत्र सेनानी व पूर्व अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ नरेंद्रदेव पांडेय

मैंने 1967 के चुनाव में इसका अनुभव किया है। उस चुनाव में समाजवादी नेता डा. राम मनोहर लोहिया प्रयागराज (तब इलाहाबाद) के दौरे पर आए थे। प्रत्याशियों के समर्थन में शाम को पीडी टंडन पार्क में जनसभा को संबोधित करने के बाद वे संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के मीरगंज स्थित कार्यालय में कार्यकर्ताओं की बैठक में शामिल हुए। प्रदेश के पूर्व मंत्री रमाशंकर कौशिक उनके थे। लोहिया जी की सदरी उन्हीं के पास थे। कौशिक जी ने उस सदरी को मुझे पकड़ाकर केपी तिवारी के साथ लोकनाथ चौराहा की ओर चले गए। उस समय मैं छात्र था।

कार्यालय की सीढ़ी पर डा. लोहिया के साथ वरिष्ठ नेता शालिग्राम जायसवाल, छुन्नन गुरु, सत्यप्रकाश मालवीय आदि चल रहे थे। मैं सबसे पीछे धीरे-धीरे सीढ़ी चढ़ने लगा और उत्सुकतावश सादरी में हाथ डालकर देखने लगा कि लोहिया जी की जेब में कितना रुपया है। यह देख कर मैं आश्चर्यचकित रह गया की लोहिया की जेब में एक भी रुपया नहीं था। सदरी की सारी जेब खाली थी। इससे मुझे ईमानदारी से राजनीति करने की प्रेरणा मिली। मगर अब ऐसी सादगी नहीं रही और न ईमानदारी की बात। कुछ नेताओं को छोड़ दें तो ज्यादातर नेताओं की छवि कैसी है, बताने की जरूरत नहीं है।

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