अभाव से बचने के लिए गोसाईदत्त बन गए सुमित्रानंदन

छायावादी कवि सुमित्रानंदन पंत का जन्म उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला के कौसानी में हुआ था। उन्होंने प्रयागराज की धरती से हिंदी साहित्य को नया आयाम दिया था।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 20 May 2019 10:52 AM (IST) Updated:Mon, 20 May 2019 10:52 AM (IST)
अभाव से बचने के लिए गोसाईदत्त बन गए सुमित्रानंदन
अभाव से बचने के लिए गोसाईदत्त बन गए सुमित्रानंदन

प्रयागराज, जेएनएन। छायावाद के स्वर्णिम हस्ताक्षर, प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत ने अपनी बेजोड़ लेखनी से हर किसी को अपना कायल बनाया। प्रयागराज की धरा से हिंदी साहित्य को नया आयाम देने वाले सुमित्रानंदन पंत ने आलोचना की न चिंता की, न किसी से भयभीत हुए। अगर वह किसी से डरते थे तो वह था अभाव। बहुत कम लोग ही जानते हैं कि जीवन में उन्हें कभी अभाव का सामना न करना पड़े, इसलिए उन्होंने अपना नाम बदल लिया। 

सुमित्रानंदन को गोसाई नाम में गोस्वामी तुलसीदास की छवि दिखती थी 

लोकायतन, कला और बूढ़ा चांद, पल्लव जैसी रचना करने वाले सुमित्रानंदन पंत उत्तराखंड के अल्मोड़ा जिला के कौसानी में 20 मई 1900 को जन्मे थे। उनका असली नाम गोसाईदत्त पंत था। सुमित्रानंदन को गोसाई नाम में गोस्वामी तुलसीदास की छवि दिखती थी। गोस्वामी तुलसीदास का जन्म अभाव में हुआ, उन्हें जीवन में काफी संघर्ष करना पड़ा था। उन्हें उन परिस्थितियों का सामना न करना पड़े उसके लिए अपना नाम गोसाईदत्त से बदलकर सुमित्रानंदन पंत रख लिया। इसका खुलासा उन्होंने आकाशवाणी में हुए एक साक्षात्कार में किया था। 

बोले यश मालवीय, पंत ने छायावाद रचना को नया मुकाम दिया

आकाशवाणी के 'बाल संघ' कार्यक्रम में सुमित्रानंदन पंत का साक्षात्कार लेने वाले कवि यश मालवीय उन्हें बेजोड़ रचनाकार बताते हैं। पंत ने छायावाद रचना को नया मुकाम दिया। प्रयागराज में गंगा, यमुना व अदृश्य सरस्वती की त्रिवेणी से इतर छायावाद की त्रिवेणी बहती थी, जिसका हिस्सा थे पंत, निराला व महादेवी। यश मालवीय बताते हैं कि मैंने साक्षात्कार में उनसे पूछा कि अच्छी कविता लिखने के लिए लंबे बाल रखने के अलावा और क्या-क्या करना चाहिए? यह सवाल सुनकर वह खूब हंसे। पंत की मुंशी प्रेमचंद के बेटे अमृत राय से गहरी मित्रता थी। वह प्रतिदिन उनके साथ बैठते थे। महादेवी, परिमल, उमाकांत मालवीय, हरिवंश राय बच्चन के साथ घंटों बिताना व प्रगतिशील लेखक संघ की गोष्ठियों में जाना उन्हें खूब भाता था। 

पंत पर बच्चन ने किया था मुकदमा

सुमित्रानंदन पंत की हरिवंश राय बच्चन से भी काफी निकटता थी। हरिवंश राय के बड़े बेटे को अमिताभ नाम पंत ने ही दिया था। दोनों के बीच पत्रों का आदान-प्रदान काफी होता था। बच्चन ने एक बार पत्र में तथ्य छिपाने के लिए पंत पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में मानहानि का मुकदमा दायर कर दिया। तब बच्चन राज्यसभा सदस्य थे। वह दिल्ली से प्रयागराज आते। यहां एक ही रिक्शे में पंत व बच्चन हाईकोर्ट तक जाते थे। वहां अपनी बात अलग-अलग रखते। उसके बाद एक ही रिक्शे से लौटते थे। 

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