Library: किताबी के साथ तकनीकी ज्ञान भी दे रहा प्रतापगढ़ का राजकीय पुस्तकालय
पुस्तकालय में 16 हजार से अधिक पुस्तकें हैं। इसकी देखरेख का जिम्मा पुस्तकालय अध्यक्ष नसरत अली को दियागया है। इसकी स्थापना 10 अप्रैल वर्ष 2012 को तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा ने कराई थी। तब से अब तक हजारों युवा इससे लाभान्वित हो चुके हैं।

रमेश त्रिपाठी, प्रतापगढ़। शहर के जीआइसी परिसर में स्थापित राजकीय जिला पुस्तकालय बच्चों को किताबी ज्ञान के साथ तकनीकी ज्ञान भी दे रहा है। इसमें सदस्य बनने वालों को किताबों की सुविधा के साथ ही कंप्यूटर भी उपलब्ध कराया जा रहा है। इसमें उन्हें इंटरनेट के जरिए देश विदेश की जानकारी मिल रही है। इसके जरिए वह अपना ज्ञान बढ़ा रहे हैं।
16 हजार पुस्तक और सात कंप्यूटर, 210 स्थायी और 110 अस्थायी सदस्य
पुस्तकालय में 16 हजार से अधिक पुस्तकें हैं। इसकी देखरेख का जिम्मा पुस्तकालय अध्यक्ष नसरत अली को दियागया है। इसकी स्थापना 10 अप्रैल वर्ष 2012 को तत्कालीन जिला विद्यालय निरीक्षक डॉ. ओम प्रकाश मिश्रा ने कराई थी। तब से अब तक हजारों युवा इससे लाभान्वित हो चुके हैं। वर्तमान में इस पुस्तकालय में 210 स्थाई सदस्य हैं। इसके अलावा 100 अस्थाई सदस्य हैं। सुबह 10 से पांच बजे तक खुलने वाले इस पुस्तकालय में नियमित रूप से बच्चे आते हैं और अपने समय का सदुपयोग पुस्तकों के पठन-पठन में करने के साथ ही इंटरनेट का भी प्रयोग किया करते हैं। पुस्तकालय का स्थाई सदस्य बनने के लिए 500 और 300 रुपये सिक्योरिटी मनी के रूप में जमा किए जाते हैं।500 रुपये की सिक्योरिटी जमा करने वाले को 2000 तक की किताबें घर पढ़ने के लिए दी जाती हैं । इसके साथ ही 300 रुपये जमा करने वाले को 1000 रुपये तक की किताबें घर पर पढ़ने के लिए दी जाती हैं। 15 दिन के भीतर इन किताबों को वापस करना पड़ता है।
बच्चों की खातिर झूला भी
राजकीय पुस्तकालय में छोटे बच्चों के लिए झूले व कुर्सियों की भी व्यवस्था है। यहां बच्चे खेल का आनंद लेने के लिए भी आते हैं। पुस्तकालय के प्रभारी नसरत अली ने बताया कि यहां पर छोटे बच्चों की खेलकूद की भी व्यवस्था है।
राजकीय पुस्तकालय में बहुत सारे नामी गिरामी लेखकों की पुस्तकें रखी गई हैं। इससे युवाओं को कंपटीशन में सहायता मिलती है। इंटरनेट के जरिए वह देश विदेश की जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। देश दुनिया की खबरों के लिए प्रमुख समाचार पत्र भी मंगाए जाते हैं।
-सर्वदानंद, डीआइओएस
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