Prayagraj Famous Food: नानखटाई व सोहन हलुआ का स्वाद निराला, यहां आएं तो एक बार जरूर चखें

Prayagraj Famous Food नानखटाई के कारीगर रज्जन प्रसाद बोले कि बेकरी में इसके ढेरों आर्डर अभी से मिलने लगे हैं। पुस्‍तैनी धंधा है। वे कहते हैं कि चासनी में जमी मुंगफली और गरी फास्ट फूड के युग में भी धड़ल्ले से बिकती है क्योंकि इनका स्वाद लाजवाब है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 19 Aug 2022 01:27 PM (IST) Updated:Fri, 19 Aug 2022 01:27 PM (IST)
Prayagraj Famous Food: नानखटाई व सोहन हलुआ का स्वाद निराला, यहां आएं तो एक बार जरूर चखें
Prayagraj Famous Food: फास्ट फूड के ट्रेंड में भी नानखताई, सोहन हलवा की मांग दूर-दूर तक है।

प्रयागराज, [अमरदीप भट्ट]। मेलों में अब आमतौर पर चाट, फास्टफूड व दक्षिण भारतीय व्यंजनों के ठेलों पर भीड़ जुटने लगी है लेकिन पुराने और लजीज व्‍यंजन आज भी स्‍वाद के मामले में बेमिसाल हैं। प्रयागराज के ऐतिहासिक दधिकांदो मेला में नानखटाई, सोहन हलुआ, अनरसा और खाजा के स्वाद का आज बरकरार है। लोग भी उत्साह से इनकी दुकानों पर पहुंच जाते हैं। शुद्ध और स्‍वाद से भरपूर इन देशी आइटमों की बात ही निराली है। 

लजीज व्‍यंजन की डिमांड : नानखटाई, सोहन हलुआ, अनरसा और खाजा को जिसने खाया बिना तारीफ किए न रहा। खानपान की इन परंपरागत सामग्रियों को बनाने वाले अब भी पहले जैसे अंदाज में ही लोगों की पसंद के अनुसार रसीला बनाने की कला में पारंगत हैं।

दधिकांदो मेला में अधिक बिक्री : नानखटाई और साेहन हलुआ दधिकांदो मेला में दशकों से अपनी अलग ही पहचान बनाए हुए हैं। कोई ढाई सौ ग्राम तो कोई घर में मेहमानों को भी खिलाने के लिए एक, दो किलो ले जाते हैं। दूसरी खाद्य सामग्रियाें से सस्ती और अच्छी नानखटाई के खरीदारों में बुजुर्ग और महिलाएं ज्यादा होते हैं। वहीं अनरसा की गरमागरम गोलियां और मीठा खाजा भी दधिकांदो के खानपान का स्वाद बढ़ाते हैं।

अनरसा, खाजा का भी स्‍वाद निराला : तेलियरगंज दधिकांदाे मेला कमेटी के बाबा कनौजिया बताते हैं कि नानखटाई, अनरसा, सोहन हलुआ, खाजा और कहीं-कहीं चासनी में जमी हुई मुंगफली व सूखी गरी भी बचपन से ही खाते आए हैं। कहते हैं कि यह परंपरागत आइटम हैं जो दधिकांदो में दशकों से बिकते रहे हैं। आज भी इनका क्रेज है। भले ही बच्चे और युवावर्ग फास्ट फूड की ओर भागें लेकिन खानपान की जो परंपरा पुरखों ने डाल रखी है, उसे नजरअंदाज कर पाना आसान नहीं है। दधिकांदों मेला का शहरीकरण होने लगा है, जबकि इसकी देसी छटा अब भी लोगों का ध्यान खींचती है।

पुस्‍तैनी व्‍यवसाय को संभाले हैं रज्‍जन : नानखटाई के कारीगर रज्जन प्रसाद बताते हैं कि बेकरी में इसके ढेरों आर्डर अभी से मिलने लगे हैं। उनके पिता और चाचा भी दधिकांदो मेला के दौरान इसका व्यापार करते रहे हैं। वे कहते हैं कि चासनी में जमी मुंगफली और गरी फास्ट फूड के युग में भी धड़ल्ले से बिकती है, क्योंकि इनका स्वाद लाजवाब है।

chat bot
आपका साथी