Pant Birth Anniversary: अमिताभ बच्चन से बोले थे कवि पंत, एक दिन चमक उठोगे सितारों की तरह

20 मई जन्मतिथि पर विशेष बीएससी पास कर अमिताभ बच्चन बालीवुड में आए तो शुरुआती फिल्में फ्लाप हुईं। इससे हताश-निराश होकर अमिताभ पंत के पास आए। तब पंत ने उनसे कहा चिंता न करो मारकेश खत्म होने के बाद तुम सितारे की तरह चमकोगे।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Thu, 19 May 2022 04:03 PM (IST) Updated:Thu, 19 May 2022 09:20 PM (IST)
Pant Birth Anniversary: अमिताभ बच्चन से बोले थे कवि पंत, एक दिन चमक उठोगे सितारों की तरह
सुमित्रानंदन पंत 1941 में प्रयागराज में डा. हरिवंश राय बच्चन के साथ बेली रोड में रहते थे।

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। प्रख्यात कवि सुमित्रानंदन पंत की कविताएं अब भी साहित्य प्रेमियों को आकर्षित करती हैं। लेखन के जरिए उन्होंने सबको अपना कायल बनाया था। कम लोग जानते हैं कि पंत को ज्योतिष का भी अच्छा ज्ञान था। उन्होंने भविष्यवाणी की थी कि मारकेश (ग्रह नक्षत्र संयोग जो मृत्यु के समान कष्ट देते हैं) खत्म होने के बाद अमिताभ बच्चन का भविष्य चमकेगा। बीएससी पास कर अमिताभ बच्चन बालीवुड में आए तो शुरुआती फिल्में फ्लाप हुईं। इससे हताश-निराश होकर अमिताभ पंत के पास आए। तब पंत ने उनसे कहा, 'चिंता न करो, मारकेश खत्म होने के बाद तुम सितारे की तरह चमकोगे। इसके बाद अमिताभ की फिल्म जंजीर आई और हिट हो गई। फिर तो एक के बाद एक अमिताभ की फिल्में हिट होने लगी और वे महानायक के तौर पर विख्यात हुए।

अमिताभ का नाम भी रखा था पंत ने

सुमित्रानंदन पंत 1941 में प्रयागराज में डा. हरिवंश राय बच्चन के साथ बेली रोड में रहते थे। दोनों जिस भवन में निवास करते थे उसका नाम बासुधा (बच्चन-सुमित्रानंद धाम) रखा गया। यह भी खास बात है कि पंत ने अमिताभ का नामकरण किया था। डा. हरिवंश ने पहले उनका नाम इंकलाब रखा था। पंत ने उसे बदलकर अमिताभ कर दिया। कवि व गीतकार यश मालवीय बताते हैं कि मेरे पिता उमाकांत मालवीय 25 दिसंबर 1977 की शाम पंत से मिलने गए थे। पिता जी बोले, ''मुझे काव्य पाठ करने के लिए दिल्ली जाना है। तब पंत जी बोले, 'तुम मत जाओ, क्योंकि तीन दिन बाद मैं नहीं रहूंगा यह सुनकर पिता जी सन्न हो गए। उनकी ज्योतिष की गणना का लोहा सभी मानते थे और उसी के अनुरूप उनकी मृत्यु हुई।

उत्तराखंड के कौसानी में जन्मे और प्रयागराज में ली अंतिम सांस

20 मई 1900 उत्तराखंड के बागेश्वर जिला के कौसानी नामक गांव में जन्मे सुमित्रानंदन पंत का जीवन अभाव में बीता। पिता गंगादत्त व मां सरस्वती की वे आठवीं संतान थे। स्नातक की पढ़ाई करने के लिए प्रयागराज आए। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में बीए में प्रवेश लेकर हिंदू हास्टल में रहते थे। यहां 1919 से 1921 तक रहे। महात्मा गांधी के आह्वान पर पढ़ाई छोड़कर साहित्यिक लेखन में जुट गए। उन्होंने 1926 में 'पल्लव नामक पुस्तक लिखकर छायावाद को स्थापित कर दिया। 28 दिसंबर 1977 को प्रयागराज में उन्होंने अंतिम सांस ली।

कविता लिखने का आग्रह किया अस्वीकार

ज्ञानपीठ व पद्मविभूषण जैसे सम्मान से सम्मानित पंत कभी खुद की तारीफ पर अभिभूत नहीं हुए। साहित्यिक चिंतक डा. मोरारजी त्रिपाठी बताते हैं कि 1928 में कुछ लोगों ने उनसे गंगा पर कविता लिखने का आग्रह किया। पंत जी ने उनका आग्रह अस्वीकार कर दिया। बोले, 'मैं बिना मौके पर जाकर अनुभूति किए बिन नहीं लिख सकता। प्रतापगढ़ के कालाकांकर में कई साल तक गंगा तीरे 'नक्षत्र नामक कुटिया में रहे। वहीं, गंगा पर आधारित 'नौका विहार तथा दूसरी कविता 'परिर्वतन लिखी।

chat bot
आपका साथी