Narendra Giri Suicide Case में जानिए कहां से और किसने खरीदा था रस्सी व जहर

महंत नरेंद्र गिरि ने आद्या प्रसाद को मंदिर से हटाया और उसके बेटे से फूल माला की दुकान छीन ली। इसके बाद ही उनके बीच अदावत शुरू हुई फिर आद्या व संदीप आनंद गिरि के पक्ष में खुलकर आ गए। सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में रंजिश की कहानी खोली है।

By Ankur TripathiEdited By: Publish:Tue, 23 Nov 2021 07:10 AM (IST) Updated:Tue, 23 Nov 2021 07:10 AM (IST)
Narendra Giri Suicide Case में जानिए कहां से और किसने खरीदा था रस्सी व जहर
सीबीआइ ने नरेंद्र गिरि सुसाइड केस में अपनी चार्जशीट में रंजिश की कहानी खोली है

प्रयागराज, जागरण संवाददाता। सीबीआइ की जांच में यह सामने आया है कि आनंद गिरि ने कथित अश्लील वीडियो वायरल करने की धमकी दी थी तो लेटे हनुमान मंदिर के पूर्व पुजारी आद्या प्रसाद तिवारी ने भी धमकी भरे अंदाज में कई बातें महंत से कही थीं। तब महंत नरेंद्र गिरि ने आद्या प्रसाद को मंदिर के पुजारी पद से हटाया और उसके बेटे से फूल माला की दुकान छीन ली। इसके बाद ही उनके बीच अदावत शुरू हुई और फिर आद्या व संदीप अभियुक्त आनंद के पक्ष में खुलकर आ गए थे। सीबीआइ ने अपनी चार्जशीट में रंजिश की कहानी खोली है। इसमें यह भी पता चला है कि आत्महत्या के लिए रस्सी और जहर किसने और कहां से खऱीदा था।

रिकार्डिंग और फारवर्डिंग का खेल

अल्लापुर स्थित श्रीमठ बाघम्बरी गद्दी में रहने वाला सेवक आशीष मिश्रा उर्फ लवकुश महंत नरेंद्र गिरि का बेहद करीबी था। आशीष के सामने और फोन पर महंत अपने शिष्य आनंद के बारे में अपमानजनक टिप्पणी करते थे। यह बात आशीष ने आनंद गिरि के करीबी पुरुषोत्तम को बताई। तब संदीप तिवारी ने पुरुषोत्तम से कहा कि भविष्य में जब भी आशीष बात करे तो उसकी रिकार्डिंग करके भेज दे। 22 मई 2021 को उनके बीच बातचीत हुई, जिसमें अश्लील वीडियो बनाने की बात कही गई। इसके बाद पुरुषोत्तम ने काल रिकार्ड कर संदीप को भेज दिया। संदीप ने आनंद को भेजा। उस वक्त हरिद्वार में मौजूद रहे आनंद ने यह आडियो निरंजनी अखाड़े के सचिव रवींद्र पुरी को भेजा था। फिर रवींद्र पुरी ने महंत को भेजा तो उन्होंने छानबीन शुरू की।

पुरुषोत्तम माफी मांगने गया तब महंत और आद्या के बीच झड़प

फिर 30 मई को पुरुषोत्तम मिश्रा महंत से माफी मांगने के लिए लेटे हनुमान मंदिर गया। वहां आद्या प्रसाद महंत के कार्यालय में पुरुषोत्तम को ले गए। तब महंत ने उससे बातचीत रिकार्ड करने वाले के बारे में पूछा। वह बताने वाला था कि आद्या प्रसाद ने रोक दिया। इस पर आद्या प्रसाद और महंत के बीच गाली-गलौज हुई। आद्या ने धमकी भरे में अंदाज में कहा कि वह 1978 से मंदिर में है, जबकि महंत 2004 में मठ के मुखिया बने हैं। वह उनके अच्छे-बुरे सभी कामों का जानता है। इससे आहत महंत ने आद्या को मंदिर से उसके बेटे दिलीप को पुजारी पद से और छोटे बेटे संदीप से माला-फूल की दुकान वापस ले ली। हालांकि माफी मांगने पर उन्हें मंदिर में बुला लिया, लेकिन दुकान वापस नहीं की। 

आद्या ने सपा नेता से किया था संपर्क

बेटे से फूल-माला की दुकान छूटने के बाद आद्या प्रसाद इतना निराश हो गया था कि उसने महंत से दुकान वापस कराने के लिए सपा नेता इंदु प्रकाश मिश्रा से बातचीत की। हालांकि तब इंदु प्रकाश ने आद्या प्रसाद को कुछ समय तक चुप रहने की सलाह दी। कई माह बाद भी दुकान वापस नहीं मिली तो संदीप ने उस आडियो क्लिप को मठ, मंदिर और संत समाज के बीच वायरल कर दिया।

गंगा सेना बनाने पर आनंद से बढ़ी दूरी

नरेंद्र गिरि के मठ के मुखिया बनने के एक साल बाद ही आनंद गिरि भी उनसे जुड़कर मठ में रहने लगे थे। वर्ष 2008 में आनंद ने गंगा सेना नाम से अलग संस्था बनाई और माघ मेले में उसका शिविर लगाया। इस सेना से महंत का संबंध नहीं था और इसके लिए उनसे अनुमति भी नहीं ली गई थी, जिस कारण नरेंद्र गिरि नाराज हुए। यहां से उनके बीच दूरियां बढ़ने लगी। इसके बाद आनंद गिरि को पेट्रोप पंप के लिए लीज पर मठ की जमीन दी गई, लेकिन बाद में उसकी लीज निरस्त कर दी गई। हरिद्वार जाने पर जब महंत को कोरोना हुआ और एम्स में भर्ती कराया गया तो उनसे मिलने आनंद गिरि गए, लेकिन उन्होंने अपना मुंह फेर लिया था। इससे पहले आनंद ने अपने गुरू पर कई गंभीर आरोप लगाते हुए इंटरनेट मीडिया पर शादी में नोट उड़ाने का वीडियो वायरल किया था।

एडिशनल एसपी की गाड़ी से लखनऊ गए थे महंत 

सीबीआइ की चार्जशीट से यह भी साफ हुआ है कि गुरू-शिष्य के बीच समझौता कराने की बात हुई थी। तब 26 मई की सुबह महंत नरेंद्र गिरि और भाजपा नेता सुशील मिश्रा एडिशनल एसपी ओपी पांडेय के वाहन से लखनऊ सपा नेता इंदु प्रकाश के घर गए। इसके बाद महंत व आनंद के बीच समझौता हुआ। इससे कुछ दिन पहले ओपी पांडेय, इंदु प्रकाश और सुशील मिश्रा ने महंत से मुलाकात की थी, तब उन्होंने आनंद गिरि से संबंध का जिक्र करते हुए परेशान करने का आरोप लगाया था। तब तीनों ने आनंद पर आरोप लगाते हुए समझौते के लिए राजी किया।

अलोपीबाग से खरीदा गया था सल्फास 

आत्महत्या से पहले 11 सितंबर को महंत का सेवक सर्वेश द्विवेदी उर्फ बबलू अलोपीबाग जीटी रोड स्थित न्यू एग्रो सीड्स कंपनी से सल्फास खरीदकर लाया और महंत को दिया था। फिर छात्रावास में रहने वाले शिष्य वासुदेव व अभ्युदय तिवारी से महंत ने पूछा था कि सल्फास के सेवन और उसके प्रभाव के बारे में पूछा। जाना कि इसे खाने वाला उपचार के बाद भी जीवित रह सकता है क्या। फिर सर्वेश ही महंत के कहने पर 19 सितंबर को तुलारामबाग स्थित इंदिरा ट्रेडर्स से 50 मीटर नायलान की रस्सी खरीदकर लाया। बंडल से टुकड़ा काटकर महंत को दिया था।

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