Narendra Giri Death: कई दिन से जीवन त्यागने की सोच रहे थे महंत, मंगा लिया था जहर भी
मठ के लोगों से बातचीत तथा मौके की जांच से सामने आया कि महंत कई दिन से परेशान थे। पुलिस को मौके पर गेहूं में रखने वाले कीटनाशक की डिब्बी मिली है लेकिन उसे खोला नहीं गया था। एक शिष्य ने बताया कि महंत ने कीटनाशक बाजार से मंगाया था।
प्रयागराज, जागरण संवाददाता। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और श्री मठ बाघम्बरी गद्दी के महंत स्वामी नरेंद्र गिरि की मौत के पीछे आत्महत्या और सुनियोजित कत्ल का रहस्य बना है। बुधवार को पार्थिव शरीर का पोस्टमार्टम होने पर ही मौत का सही कारण सामने आएगा। इसके लिए पांच डाक्टरों का पैनल गठित किया गया है। हालांकि घटनास्थल और उसके पहले की परिस्थितियों से पुलिस अधिकारी अनुमान लगा रहे हैं कि महंत ने सुसाइड नोट लिखकर आत्महत्या की थी लेकिन इसके लिए वह मजबूर हो गए थे। सुसाइड नोट के आधार पर आनंद गिरि के खिलाफ मुकदमा लिखकर जांच की जा रही है। मठ के लोगों और शिष्यों से बातचीत तथा मौके की जांच से सामने आया है कि महंत कई दिन से परेशान थे। पुलिस को मौके पर गेहूं में रखने वाले कीटनाशक की डिब्बी मिली है लेकिन उसे खोला नहीं गया था। एक शिष्य ने बताया कि महंत ने कीटनाशक बाजार से मंगाया था।
ऐसी थी पीड़ा मन में कि जान देने की कर ली तैयारी
सोमवार शाम फोन पर महंत की मौत की खबर मिलने पर पुलिस पहुंची तो धक्का देकर दरवाजा खोलने के बाद उनका शव फंदे से उतारा जा चुका था। आइजी रेंज केपी सिंह सबसे पहले पहुंचने वाले पुलिस अधिकारी रहे। उन्होंने बताया कि महंत का शव उतारा जा चुका था। पुलिस का कहना है कि कमरे में कीटनाशक सल्फाश की एक डिब्बी रखी मिली जिसे खोला नहीं गया था। महंत ने एक शिष्य से कहकर नाइलाइन की रस्सी भी मंगा ली थी जिससे बाद में उनका शव सोमवार को फंदे पर लटका मिला था। एक शिष्य ने बताया कि महंत ने उससे गेहूं में रखने के लिए मंगाया था। पुलिस का कहना है कि सुसाइड नोट में जिक्र है कि 13 सितंबर को भी महंत ने जान देने की कोशिश की थी लेकिन उस दिन ऐसा नहीं कर सके लेकिन तब से ही वह अपना जीवन खत्म करने की सोचते रहे। हालांकि साधु संत हों या करीबी, सबका कहना है कि महंत आत्महत्या नहीं कर सकते। घटना की गहराई से जांच हो। मीडिया से बात करते हुए केंद्रीय मंत्री साध्वी निरंजन ज्योति ने भी कहा कि महंत की मौत के पीछे गहरी साजिश है और यह आत्महत्या की घटना है, उन्हें तो ऐसा नहीं लगता है।
12 बजे भोजन किया और फिर गए कमरे में
मौत से पहले के घटनाक्रम के बारे में पता चला कि महंत ने दोपहर 12 भोजन किया था। आमतौर पर वह बात करते रहते थे लेकिन कल यानी सोमवार को भोजन के पहले और बाद में वह ज्यादातर शांत रहे। किसी से बात नहीं कर रहे थे। इसके बाद अपने कमरे में चले गए। दोपहर तकरीबन दो बजे फिर वह नीचे आए और गेस्ट हाउस में चले गए। चार बजे एक शिष्य चाय देने गया तो कमरा अंदर से बंद था। काफी खटखटाने और आवाज देने पर भी न तो महंत ने कुछ बोला और न दरवाजा खोला गया तो शिष्य घबरा गया। फिर पांच बजे दरवाजे को धक्का देकर खोला गया तो अंदर महंत का शव पंखे में बंधे फंदे से लटका दिखा।