मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा-अब बदलाव तेजी से दिख रहा है Prayagraj News

मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने रामकथा के दौरान युवाओं का किया आह्वान। उन्होंने कहा कि तुम मुझे साल भर में 9 दिन दो मैं तुम्हे नवजीवन दूंगा। कहा कि अब बदलाव तेजी से दिख रहा है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 03 Mar 2020 02:14 PM (IST) Updated:Tue, 03 Mar 2020 02:18 PM (IST)
मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा-अब बदलाव तेजी से दिख रहा है Prayagraj News
मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने कहा-अब बदलाव तेजी से दिख रहा है Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। मोरारी बापू की कथा में इन दिनों भक्ति रस की गंगा बह रही है। अरैल गंगा तट पर विशाल पंडाल में हर आयु वर्ग के श्रद्धालु शामिल हो रहे हैं। सिर्फ कथा ही नहीं, मोरारी बापू कथा के साथ ही युवाओं, वृद्धों, महिलाओं को समाज में जीने की कला भी सिखा रहे हैं। वहीं जीवन का मकसद भी लोगों को समझा रहे हैं। लोग बड़े चाव से कथा का वाचन करते हैं। इसका उदाहरण कथा स्थल पर अपार भीड़ का होना भी है।

तुम मुझे साल भर में 9 दिन दो मैं तुम्हे नवजीवन दूंगा

मंगलवार की सुबह मानस मर्मज्ञ मोरारी बापू ने रामकथा के दौरान युवाओं का किया आह्वान। उन्होंने कहा कि तुम मुझे साल भर में 9 दिन दो मैं तुम्हे नवजीवन दूंगा। मोरारी बापू ने कहा कि अब बदलाव तेजी से दिख रहा है। पहले कथाओं में बूढ़े ही बूढ़े नजर आते थे, अब तो युवाओं की संख्या अधिक है। वह अधिक संख्या में कथा को सुनने आ रहे हैं। एक प्रसंग पर मोरारी बापू ने कहा कि युवाओं को डराओ मत कि तुम ऐसा करके पाप कर रहे हो। युवाओं को मोहब्बत से समझाने की जरूरत है। 

अक्षयवट प्रयागराज का छत्र है

मोरारी बापू की श्रीराम कथा में आज भी अक्षयवट पर कई प्रसंग आए। मोरारी बापू ने कहा कि अक्षयवट प्रयागराज का छत्र है। राजा का सिर कभी खाली नहीं होना चाहिए। सिर पर पगड़ी हो। पगड़ी नहीं तो किसी बुद्ध पुरुष के हाथ की छाया जरूर हो। मोरारी बापू ने कहा कि अक्षयवट शाश्वत, चिरंतन और अविनाशी है। जिससे हमें प्रेरणा मिलती है। कहा कि अक्षयवट के समक्ष पूजा का विधान नहीं है। इसे देख लेने से ही पुण्य मिलता है। गोस्वामी तुलसीदास जी ने रामचरितमानस में अक्षयवट के स्पर्श की महिमा बताई है। कहा कि सृष्टि के प्रलय काल में भी अक्षयवट अवस्थित रहा। प्रलय हुई तो चांद, सूरज व पृथ्वी तक नहीं बचे थे। तब भी अक्षयवट था। उसके एक पत्ते पर प्रभु विश्राम कर रहे थे। कहा कि प्रयागराज का गौरव है कि यहां वही अक्षयवट है। 

गंगा सिर्फ नदी नहीं, परमात्मा की विभूति है

मोरारी बापू ने कहा कि गंगा सिर्फ नदी नहीं, परमात्मा की विभूति है। इसमें स्नान करो, गंदी क्यों करते हो। समग्र जनता को चाहिए कि पूरी श्रद्धा से इसकी पवित्रता को बनाए रखे। कहा कि ज्ञान बंदर को भी रहता है, जो शरारती है लेकिन, यह बात इंसान क्यों नहीं समझता? बापू की कथा के दौरान गुजराती भाषा में गाए गए भजन पर पूरा माहौल झूम उठा। कहा कि गंगा में लोग स्नान के लिए आते हैं। किनारे पूजा करके सभी सामग्री गंगा में ही प्रवाहित कर देते हैं। नारियल, फूल तो अर्पित करते ही हैं, अगरबत्ती के पैकेट, पॉलीथिन तक उसी में बहा देते हैं। इससे गंगा और यमुना नदी प्रदूषित हो रही है। कहा कि यह तीर्थराज प्रयाग है। इस धरा को उसी भाव से देखें। गंगा और यमुना में भाव के पुष्प चढ़ाएं तभी नदियों में स्वच्छता बनी रहेगी।  

ध्यान करने से प्रवाहित होती है ऊर्जा

मोरारी बापू ने कहा कि हम जिसका ध्यान करें उसकी ऊर्जा हममें प्रवाहित होने लगती है। जैसे रावण वेश बदलकर सीता जी को पाना चाहता था। उसने राम का वेश धारण करने के लिए दो दिन तक ध्यान किया। ऐसे में राम नाम से उसे बाकी सब चीजें छोटी प्रतीत होने लगीं। स्थिति यह हो गई कि रावण विभीषण को राजपाट देने, इंद्र को सभी संपदा वापस करने और मंदोदरी को मां के समान दर्जा देने लगा था।  

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