Herbal Garden सीएमपी डिग्री कॉलेज में विद्यार्थियों की बीमारी दूर भगा रहा Prayagraj News

सीएमपी डिग्री कॉलेज के वनस्पति विज्ञान विभाग ने हर्बल गार्डेन तैयार किया है। इसमें विभिन्न प्रदेशों से लाकर 150 औषधीय पौधे लगाए गए हैं। ये पौधे बीमारियों को दूर कर रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Sat, 22 Feb 2020 03:10 PM (IST) Updated:Sat, 22 Feb 2020 03:10 PM (IST)
Herbal Garden सीएमपी डिग्री कॉलेज में विद्यार्थियों की बीमारी दूर भगा रहा Prayagraj News
Herbal Garden सीएमपी डिग्री कॉलेज में विद्यार्थियों की बीमारी दूर भगा रहा Prayagraj News

प्रयागराज, [गुरुदीप त्रिपाठी]। सीएमपी (चौधरी महादेव प्रसाद) महाविद्यालय पढ़ाई के साथ हर्बल इलाज का तरीका और संदेश भी पढ़ा रहा है। इसके लिए यहां कोई क्लास नहीं चलाई जाती, बल्कि महाविद्यालय परिसर में ही विभिन्न प्रजाति के पौधों से हर्बल गार्डेन तैयार किया गया है। छात्र-छात्राओं को सर्दी, जुकाम, खांसी जैसी तकलीफ होने पर इसी गार्डेन के पौधों की पत्तियों व तना के मिश्रण से उपचार किया जाता है।

100 गुणे 30 वर्ग फीट में हर्बल गार्डेन है

हर्बल गार्डेन के रूप में इस हर्बल हॉस्पिटल को वनस्पति विज्ञान विभाग ने तैयार किया है। इसमें 150 औषधीय पौधे लगाए गए हैं। खास यह है कि आप अपने घरों में भी इसे तैयार कर सकते हैं। वनस्पति विज्ञान विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर दीपक गौंड बताते हैैं कि सेमेस्टर परीक्षा के दौरान कई छात्रों में खांसी, जुकाम की तकलीफ सामने आई। तब उन्हें परिसर में लगे औषधीय पौधों की पत्तियों से दवा तैयार की गईं। आराम मिल जाने से वह इत्मीनान से परीक्षा दे सके। इसी से मन में आया कि क्यों न परिसर में ही और पौधे लगाकर हर्बल गार्डेन तैयार किया जाए। इसके बाद उन्होंने विभाग के ठीक बगल 100 गुणे 30 वर्गफीट में हर्बल गार्डेन तैयार किया।

विशेष गार्डेन में 150 प्रजातियों के औषधीय पौधे हैं

प्रोफेसर दीपक गौंड ने बताया कि इस विशेष गार्डेन में उत्तराखंड, हरियाणा, मध्य प्रदेश, मसूरी और छत्तीसगढ़ के जंगलों से करीब 150 प्रजातियों के औषधीय पौधे मंगाकर लगाए गए हैं। उन्होंने बताया कि गार्डेन में दक्षिण भारत का तोप गोला, कालमेध, लेमनग्रास, कड़ुपत्ता, कांटकरंज, गंध प्रसारिणी, गिलोय, अनंतमूल, केवकंद, ब्राह्मडी चित्रक, गोखरू, काली मिर्च, अश्वगंधा, सर्पगंधा, रुद्राक्ष, सफेद मूसली, सतावर, वर्नोनिया आदि औषधीय पौधे लगे हैैं। इससे वह कॉलेज में पढऩे वाले छात्र-छात्राओं की बीमारियों को दूर करने के साथ ही आम लोगों को भी जानकारी भी दे रहे हैं।

हर्बल इलाज को बढ़ावा भी मिलेगा

प्रोफेसर दीपक गौंड बताते हैैं कि इससे विलुप्त हो रहे औषधीय पौधों को बचाने के साथ हर्बल इलाज को बढ़ावा भी मिलेगा। गार्डेन तैयार करने में प्राचार्य डॉ. बृजेश कुमार श्रीवास्तव, विभागाध्यक्ष डॉ. संजय सिंह, पूर्व विभागाध्यक्ष डॉ. मीना राय, डॉ. आलोक, डॉ. यशवंत, डॉ. सरिता श्रीवास्तव आदि का विशेष योगदान रहा।

बुखार जैसी बीमारी पलभर में दूर

डॉ. दीपक गौंड ने बताया कि यदि किसी को बुखार है तो उसे करंज, कालमेध और कड़ुपत्ता दिया जाता है। आधा कप पानी में पत्तियों को उबालकर सुबह-शाम सेवन करने से तीन खुराक में बुखार दूर हो जाएगा। प्राचार्य डॉ. बृजेश ने बताया कि वह इसका सेवन कर चुके हैं और उन्हें आराम भी मिला। इसी तरह, डायबिटीज के लिए कड़ुपत्ता, अश्वगंधा का बीज, कालमेध, वर्नोनिया और गुड़मार का मिश्रण कर आधा कप पानी में उबालकर सुबह-शाम खाली पेट सेवना करना होगा। कफ बनने पर कालमेध, अणुसा और कांटकरंज तथा पेट संबंधी बीमारी को तोपगोला का फूल काफी है।

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