आप भी मच चूकिए, औषधीय खेती के लिए मिल रहा है अनुदान, मालामाल हो रहे कौशांबी के किसान

औषधीय खेती के लिए किसानों को विभाग द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जाता है। इस समय जिले के 145 किसान औषधीय खेती कर रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Tue, 08 Sep 2020 06:51 PM (IST) Updated:Wed, 09 Sep 2020 09:24 AM (IST)
आप भी मच चूकिए, औषधीय खेती के लिए मिल रहा है अनुदान, मालामाल हो रहे कौशांबी के किसान
आप भी मच चूकिए, औषधीय खेती के लिए मिल रहा है अनुदान, मालामाल हो रहे कौशांबी के किसान

कौशांबी,जेएनएन। जिले में औषधीय पौधे लगाने को लेकर लोगों में दिलचस्पी बढ़ी है। औषधि खेती को बढ़ावा देने के लिए उद्यान विभाग किसानों को जागरूक कर रहा है। राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के तहत किसानों को तुलसी, एलोवेरा और सतावर के लिए अनुदान भी दिया जाता है। खेतों के अलावा लोग घरों में भी औषधीय पौधे लगा रहे हैं। बिक्री के साथ पौधों के पत्ते से सेहत भी सुधार रहे हैं।

145 किसान कर रहे हैं औषधीय खेती  

राष्ट्रीय आयुष मिशन योजना के तहत वर्ष 2015-16 से जिले के किसानों को तुलसी, एलोवेरा और सतावर के लिए के प्रेरित किया जा रहा है। यही नहीं चयनित किसानों को अनुदान भी दे रहा है। जिला उद्यान अधिकारी सुरेंद्र राम भाष्कर ने बताया कि औषधीय खेती के लिए किसानों को विभाग द्वारा 30 फीसद अनुदान दिया जाता है। इस समय जिले के 145 किसान औषधीय खेती कर रहे हैं। मंझनपुर तहसील क्षेत्र के टेंवा के आरपी सिंह ने बताया कि वह 22 बीघे भूमि पर औषधीय पौधों की खेती करते हैं। मंझनपुर के दिनेश त्रिपाठी, टेंवा के बीरेंद्र सिंह, टेन के उपेंद्र शुक्ला, सिराथू के रमेश मिश्रा ने बताया कि वह अपने घर में तुलसी व एलोवेरा के पौधे लगाए है। तुलसी के पत्ती से काढा बनाकर पीते हैं। जो शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाकर कोरोना से लडऩे में मदद करता है।

तुलसी, एलोवेरा व सतावर के औषधीय गुण

आयुष चिकित्सक डॉ. राजन ओझा ने बताया कि औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ ही तुलसी का धार्मिक महत्व भी है। इसके पौधे की पूजा होती है। पत्ती औषधि गुणों की खान है। इसकी पत्तियों को लोग विभिन्न तरीकों से इस्तेमाल करते हैं। पौधा छोटा होने के कारण लोग घर के गमलों में तुलसी को लगाते हैं। सर्दी, जुकाम, बुखार आदि में लोग तुलसी की पत्ती को चाय में डालकर सेवन करते हैं। इसी तरह से एलोवेरा(घृतकुमारी) का उल्लेख आयुर्वेद के प्राचीन ग्रंथों में है। इसका रस पेट, त्वचा समेत कई बीमारियों में फायदेमंद होता है। सौंदर्य प्रसाधान की सामग्री तैयार करने में भी इसका इस्तेमाल किया जाता है। जबकि सतावर का इस्तेमाल स्वास्थ्यवर्धक दवाओं में किया जाता है।

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