बस्तियों की ओर बढ़ीं गंगा-यमुना

जिले में बाढ़ का खतरा बढ़ चला है। दोनों प्रमुख नदियां गंगा और यमुना के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है। इसको लेकर तराई इलाकों में खलबली मची हुई है। लोग पलायन की तैयारी में है।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 29 Aug 2018 07:25 AM (IST) Updated:Wed, 29 Aug 2018 07:25 AM (IST)
बस्तियों की ओर बढ़ीं गंगा-यमुना
बस्तियों की ओर बढ़ीं गंगा-यमुना

जासं, इलाहाबाद : जिले में बाढ़ का खतरा बढ़ चला है। दोनों प्रमुख नदियां गंगा और यमुना के जलस्तर में तेजी से वृद्धि हो रही है। जलस्तर बढ़ने की रफ्तार ऐसे ही रही तो आने वाले कुछ दिनों में पानी शहर के तमाम मुहल्लों में प्रवेश कर सकता है। पिछले 24 घंटे में यमुना के जलस्तर में 72 सेमी तथा गंगा के जलस्तर में 49 सेमी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

गंगा और यमुना के जलस्तर में लगातार तेजी के साथ बढ़ोतरी हो रही है। इसके अलावा टोंस और बेलन नदियों में भी पानी बढ़ रहा है। आशंका है कि गंगा और यमुना में यही तेजी बरकरार रही तो बाढ़ आ सकती है। सिंचाई विभाग बाढ़ खंड के मुताबिक बीते 24 घंटे में यमुना के जलस्तर में पौने एक मीटर की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। यानी हर घंटे तीन सेमी की बढ़ोतरी हो रही है। गंगा में भी लगभग 29 सेमी पानी बढ़ा है। बाढ़ खंड के अधिशासी अभियंता मनोज कुमार सिंह ने बताया कि दोनों नदियों के जलस्तर में तेजी से बढ़ोतरी मंगलवार शाम के बाद भी जारी रही, इस सप्ताह भी यह तेजी बनी रहेगी। मध्य प्रदेश में बारिश से केन और बेतवा नदियां उफनाई हैं। कई पहाड़ी और छोटी नदियां भी उफना रही है। बुंदेलखंड में बरसात का पानी चंबल समेत अन्य छोटी नदियों से यमुना में आ रहा है। इससे यमुना का जलस्तर तेजी से बढ़ रहा है।

उधर, उत्तराखंड और पश्चिमी उत्तर में बारिश के बाद टिहरी और नरौरा बांधों से रोज ही एक से डेढ़ लाख क्यूसेक पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। बैराजों से भी पानी गंगा में छोड़ा जा रहा है। इससे गंगा के जलस्तर में भी तेजी है। यही हालात रहे तो इस बार बांध स्थित बड़े हनुमानजी को गंगा नहला सकती हैं।

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..तो इन मुहल्लों में चलने लगेंगी नाव

इलाहाबाद : पिछले बरस की बात है। शहर में आई बाढ़ का पानी शहर के बद्री आवास योजना, सलोरी, दारागंज, चांदपुर, बघाड़ा, छोटा बघाड़ा, ढरहरिया, राजापुर तथा बेली जैसे तटवर्ती मुहल्लों के साथ ही करेली के गौस नगर आदि इलाकों में भी प्रवेश कर गया था। लोग सुरक्षित स्थान पर पलायन कर गए थे। अधिकांश लोग मकान के छत पर ही डेरा जमाए हुए थे। मुहल्लों में बाकायदा नाव चल रही थी। करीब एक महीने तक लोग बाढ़ के पानी से घिरे हुए थे। इस बार भी स्थिति वैसी ही बन सकती है। हालात ऐसे ही रहे तो उक्त मुहल्लों में फिर से नाव चलने की नौबत आ सकती है। इस बात को सोचकर ही लोग सिहर जा रहे हैं।

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जलस्तर पर नजर

डेंजर जोन--84.734 मीटर

फाफामऊ--79.74 मीटर

नैनी--78.46 मीटर

छतनाग --77.81 मीटर

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