E-Classes : परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन मुश्किल में, संसाधनों का अभाव बना रोड़ा

परिषदीय माध्यमिक स्‍कूलों के बच्चे संसाधन की कमी से जूझ रहे हैं। तकनीक की समझ ज्यादा न होने से भी मुश्किल है। इस मामले में कान्वेंट स्कूल कुछ आगे दिख रहे हैं।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Mon, 13 Jul 2020 08:58 AM (IST) Updated:Mon, 13 Jul 2020 09:12 AM (IST)
E-Classes : परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन मुश्किल में, संसाधनों का अभाव बना रोड़ा
E-Classes : परिषदीय विद्यालयों में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन मुश्किल में, संसाधनों का अभाव बना रोड़ा

प्रयागराज, जेएनएन। परिषदीय विद्यालयों के करीब 40 फीसद विद्यार्थियों के पास एंड्रायड मोबाइल नहीं है। दूरदराज के इलाकों में नेटवर्क की समस्या भी रहती है। करीब 50 प्रतिशत शिक्षकों को मोबाइल फोन व कंप्यूटर एप्लीकेशन के प्रयोग में कठिनाई होती है। संसाधनों की कमी मसलन, साउंड प्रूफ कक्ष, ब्लैक बोर्ड, माइक्रोफोन, हाई डेफिनिशन कैमरा आदि के अभाव में सामान्य शिक्षक वीडियो लेक्चर नहीं तैयार कर पा रहे हैं।

इस मामले में कान्वेंट स्कूल कुछ आगे दिख रहे

परिषदीय और माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों को संसाधनों की कमी से जूझना पड़ रहा है। तकनीक की समझ ज्यादा न होने से भी मुश्किल पेश आ रही है। इस मामले में कान्वेंट स्कूल कुछ आगे दिख रहे हैं।

एंड्रायड मोबाइल न होने से ऑनलाइन क्लास से बाहर

रोहित मालवीय मां शारदा इंटर कॉलेज, एडीए रोड नैनी में कक्षा 12वीं के विद्यार्थी हैं। इनके पिता दर्जी हैं। माली हालत अच्छी न होने के कारण एंड्रायड मोबाइल नहीं है इनके पास। इसकी वजह से ऑनलाइन कक्षाएं नहीं कर पा रहे हैं। यही हाल वर्षा शॉ का है वह एसएसवीएम कॉलेज, नैनी में पढ़ती हैं। 8वीं की छात्रा हैं पिता सुरेंद्र गुप्त के पास भी एंड्रायड मोबाइल नहीं है, जिससे वर्तमान में पढ़ाई बाधित हो रही है।

ई-पाठशाला के विकल्प

स्वयं पोर्टल

मानव संसाधन विकास मंत्रालय और भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद की ओर से तैयार ऑनलाइन एजुकेशन पोर्टल। इस पर 80 से अधिक स्नातक और 42 परास्नातक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं। कक्षा नौ और 12 के बच्चों के लिए भी पाठ्य सामग्री उपलब्ध है।

ई-पीजी पाठशाला

स्नातक के सोशल साइंस, आट्र्स, फाइन आट्र्स, ह्यूमिनिटीज, गणित सहित अन्य विषयों की पाठ्य सामग्रियां यहां मिल सकती हैं।

ई-कंटेंट

यहां विद्यार्थियों को स्नातक स्तर के अलग अलग विषयों की पाठ्य सामग्रियां मिल सकती हैं। 

सीईसी-यूजीसी यूट्यूब चैनल

इस प्लेटफार्म पर अलग अलग विषयों के लेक्चर मिल सकते हैं। हां उच्च स्तरीय कक्षाओं के लिए ही ये कारगर हैं। 

स्वयंप्रभा एप

इस पर कला, विज्ञान, वाणिज्य, सामाजिक विज्ञान, मानविकी विषयों, इंजीनियङ्क्षरग सहित कई अन्य व्यावसायिक विषयों की पाठ्य सामग्री प्राप्त की जा सकती है।

बोले, प्रयागराज के विशिष्‍टजन

वर्तमान में बच्चों को मनोवैज्ञानिक ढंग से प्रेरित करें। उनकी करियर काउंसिलिंग कराएं। डे्रस वितरण, मिड डे मील जैसी योजनाओं को बंद कर एंड्रायड मोबाइल देने के साथ ही डॉटा प्लान आदि की व्यवस्था की जाए।

- डॉ. कमलेश तिवारी, वरिष्ठ मनोविज्ञानी

ऑनलाइन कक्षाएं चलाई जा रही हैं। विद्यार्थी उसमें रुचि भी ले रहे हैं। अलग अलग पोर्टल, वेबसाइट से भी मदद लेकर पठन-पाठन हो रहा है।

-सिस्टर ज्योति, प्रधानाचार्य सेंट मेरीज कान्वेंट इंटर कॉलेज

एक तरफा संवाद की वजह से पठन-पाठन बहुत कारगर नहीं हो रहा है। परिषदीय विद्यालयों के बच्चों के समक्ष आर्थिक मुश्किलें भी हैं जिससे कठिनाई हो रही है।

-देवेंद्र कुमार श्रीवास्तव, प्रांतीय उपाध्यक्ष प्रदेशीय प्राथमिक शिक्षक संघ

ई लर्निंग को सफल बनाने के लिए अध्यापकों को भी प्रशिक्षित करने की जरूरत है। ग्रामीण अंचल के विद्यार्थियों तक ऑनलाइन शिक्षण अभी कारगर नहीं हो रहा। ऐसा उनके परिवेश की वजह से है।

- डॉ. संजय कुमार श्रीवास्तव, केपी इंटर कॉलेज

ऑनलाइन कक्षाओं में सैद्धांतिक टॉपिक तो पढ़ा दिये जा रहे हैं लेकिन प्रायोगिक चीजों को नहीं समझाया जा सकता। अभी वाट्स्एप ग्रुप के जरिए कक्षाएं ली जा रही हैं। 250 बच्चों में से करीब 115 बच्चे ही जुड़ पा रहे हैं। -उमेश कुमार खरे, प्रवक्ता शारीरिक शिक्षा, केपी इंटर कॉलेज।

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