हंडिया में चार मौत : क्या बच्चों का गला दबाकर महिला ने खुद को करंट लगाया था! Prayagraj News

हंडिया के असवा दाउदपुर में महिला व तीन बच्‍चों के घर में मिले शव ने लोगों को हिला दिया है। परिवार वाले ससुरालियों पर हत्‍या का आरोप लगा रहे हैं वहीं पुलिस आत्‍महत्‍या मान रही है।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Fri, 07 Feb 2020 08:58 AM (IST) Updated:Fri, 07 Feb 2020 09:06 AM (IST)
हंडिया में चार मौत : क्या बच्चों का गला दबाकर महिला ने खुद को करंट लगाया था! Prayagraj News
हंडिया में चार मौत : क्या बच्चों का गला दबाकर महिला ने खुद को करंट लगाया था! Prayagraj News

प्रयागराज, जेएनएन। हंडिया के असवा दाउदपुर गांव में कमरे के भीतर चार मौतों का राजफाश पोस्टमार्टम और जांच के बाद ही हो सकेगा। हालांकि पुलिस अधिकारी मान रहे हैैं कि मंजू ने तीनों बच्चों को गला घोंटकर मारने के बाद खुद को करंट लगाकर जान दी है। घटनास्थल के हालात भी कत्ल के बाद खुदकशी की ओर से इशारा कर रहे थे।

बिजली का केबल दरवाजे के पास मंजू के शव तक खिंचा था

गुरुवार सुबह शोर मचने पर गांव के लोग एकत्र हुए तो ग्राम प्रधान अनंता देवी के पति रामचंद्र बिंद समेत कई लोग आ गए थे। प्रधान पति रामचंद्र के मुताबिक, उनके आने तक धक्का देकर दरवाजा तोड़ दिया गया था। कमरे में जमीन पर मंजू और चारपाइयों पर तीनों बच्चों की लाश थी। कमरे के कोने में एक तार नीचे तक लटका हुआ था। उससे जुड़ा बिजली का केबल दरवाजे के पास मंजू के शव तक खिंचा था। परिवार के लोगों ने केबल को खींचकर अलग करने के बाद कमरे के बाहर फेंक दिया था। तीनों बच्चों के मुंह खुले थे। जैसे मौत से पहले वह जोर-जोर से सांस लेने का प्रयास कर रहे थे।

महिला और बच्चों में जहर के लक्षण नहीं मिले

महिला और बच्चों के शरीर पर कोई चोट नहीं जाहिर होने पर पहले शक हुआ कि जहर से मौत हुई होगी लेकिन जहर के लक्षण नहीं मिले। जहर खाने पर मुंह पर झाग समेत कई और लक्षण होते मगर ऐसा कुछ नहीं था। फोरेंसिक टीम को भी जहर खाए जाने के सुबूत नहीं मिले। बताया गया कि दरवाजा अंदर से बंद था। दरवाजे के अलावा इस इकलौते कमरे में कहीं और से घुसने का रास्ता नहीं है। ऐसे में कत्ल की आशंका पुलिस खारिज कर रही है। सारी परिस्थितियों को देखकर पुलिस अधिकारियों ने यही अनुमान लगाया है कि पति की मौत के बाद परेशानी और ससुरालियों की उपेक्षा झेल रही मंजू ने बारी-बारी से अपने तीनों बच्चों का गला घोंटकर मारा फिर केबल पकड़कर खुद को करंट लगा लिया। ग्राम प्रधान समेत अन्य लोगों का भी यही अनुमान है। शुक्रवार यानी आज महिला और बच्चों के शवों का पोस्टमार्टम होने पर चार मौत पर छाया रहस्य दूर होगा। पुलिस ने कमरे से मंजू का मोबाइल फोन कब्जे में लिया है जिसकी जांच हो रही है।

रमेश की बीमारी से मौत के बाद ससुराल वाले मंजू के दुश्मन बन गए

उतरांव के भवानीपुर गांव निवासी पुन्नू राम की तीन बेटियों में मंजू बड़ी थी। उसके दो भाई हैैं। पिता और भाई दिल्ली में काम करते हैैं। करीब 12 साल पहले मंजू का ब्याह मायके से कुछ किलोमीटर दूर असवा दाउदपुर गांव में श्रीनाथ उर्फ भुवर के तीन बेटों में बड़े रमेश से किया गया था। मंजू ने तीन बच्चों को जन्म दिया। आरोप है कि पांच साल पहले रमेश की बीमारी से मौत के बाद ससुराल वाले मंजू के दुश्मन बन गए। देवर महेश और दिनेश ने तो जीना मुश्किल कर दिया था। महेश की शादी के बाद तो देवरानी रीता भी परेशान करने लगी। मंजू को कमरा छोड़कर मायके जाने के लिए कहा जा रहा था। उसे बात-बात पर गाली दी जाती। मारा-पीटा भी जाता।

मंजू और बच्चों को ससुरालियों ने बेरहमी से पीटकर दरवाजा बंद कर दिया था

मुकदमा लिखाने वाले चचेरे भाई सुनील कुमार के मुताबिक, बुधवार शाम सात बजे भी मंजू और बच्चों को ससुरालियों ने बेरहमी से पीटकर दरवाजा बंद कर दिया था। खबर पाकर सुबह वे लोग आए तो मंजू और बच्चों की मौत का पता चला। मां सावरी देवी ने बताया कि तीन रोज पहले मंजू ने फोन पर बताया था कि देवर महेश गाली-गलौज कर रहा है। हत्यारे ससुराल वालों को भी मौत के घाट उतारने की बात कर रहे मायके वाले छप्पर में आग लगाने लगे तो उन्हें पुलिस ने रोका। पुलिस मंजू और बच्चों का शव ले जाने लगी तो फिर मायके की महिलाएं गाड़ी के सामने लेटकर विरोध करने लगीं। चीख पुकार कर रहीं महिलाओं को महिला पुलिस ने हटाया। उन्हें भरोसा दिया कि ससुराल वालों को जेल भेजकर सजा दिलाई जाएगी। मंजू के श्वसुर भुवर, देवरों महेश और दिनेश, देवरानी, सास, चचिया ससुर लालजी के खिलाफ मुकदमा लिखा गया है।

कैसे टूट गईं हाथ की चूडिय़ां

दरवाजे के आसपास मंजू के हाथ की चूडिय़ों के कांच बिखरे पड़े थे। आखिर चूडिय़ां कैसे टूट गईं। इस पर अनुमान है कि मंजू ने जैसे ही केबल पकड़ा, करंट के जबरदस्त झटके के चलते वह फर्श पर गिर गई। हाथ जमीन पर टकराने से चूडिय़ां टूट गई होंगी।

मायके वाले बोले, जला डालो यह घर जहां मार दी बिटिया

मंजू और मासूम बच्चों की मौत से मायके वाले बेहद गुस्से में हैं। उनमें आक्रोश है।उनका कहना था कि जिस घर से बेटी को निकाला जा रहा था, उसे जला या ढहा देना ही ठीक रहेगा। तभी बदनसीब मंजू की आत्मा को शांति मिले सकेगी। मायके वाले तो शव वाहन रोककर अड़े थे कि ससुरालियों को यहीं सजा दी जाए। तब पुलिस ने उन्हें मनाया।

बाबा के पास थे बच्चे, खींच ले गई थी मंजू

मौके पर पुलिस अधिकारियों को बताया गया कि बुधवार शाम तीनों बच्चे बाबा भुवर के साथ गांव में एक वार्षिक श्राद्ध (बरखी) में भोजन करने गए थे। वहां से लौटकर वे बाबा के पास लेटे थे तभी मंजू आई और उन तीनों को जबरन खींचकर ले गई थी। उसकी इस हरकत से भी साफ है कि वह बहुत ज्यादा गुस्से में थी।

बच्चों के स्कूल बैग देख रो पड़े लोग

मौके पर जुटे रिश्तेदार, करीबी और मंजू के मायके की महिलाएं बच्चों के शव देख फफक उठे। नानी सावरी देवी बच्चों के बैग देख बिलख पड़ीं। कमरे में कुरकुरे का भी एक पैकेट पड़ा था। यह सब देख लोगों के आंसू बहे जा रहे थे। तीन बच्चों में बड़ी प्रिया कक्षा तीन और अनु कक्षा एक में थी। बेटे ऋतिक को पढ़ाई के लिए मंजू गांव में ही आंगनबाड़ी केंद्र ले जाती थी।

विधायक और एमएलसी भी पहुंचे गांव

महिला और तीन बच्चों की मौत की खबर पाकर कई जनप्रतिनिधि और नेता गांव पहुंचे। बसपा विधायक हाकिम लाल और एमएलसी बासुदेव यादव ने भी घटनास्थल पर जाकर लोगों से मुलाकात की। पुलिस अधिकारियों से कहा कि घटना की जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करें।

सोरांव का सामूहिक हत्याकांड बना पहेली

मां और तीन बच्चों की मौत से ठीक एक महीने पहले सोरांव के यूसुफपुर गांव में घर के भीतर रात में सोते वक्त विजय शंकर तिवारी (60), उनके पुत्र सोनू तिवारी (32), बहू सोनी (28), बच्चों कान्हा (6 वर्ष) और कुंज (3 वर्ष) की हत्या कर दी गई थी। उन्हें छत के रास्ते घुसे बदमाशों ने सिलबट्टïा, छेनी, पत्थर और कुल्हाड़ी से मार डाला था। एसटीएफ के अलावा पांच पुलिस टीमें मामले की जांच कर रही हैं लेकिन एक महीने बाद भी कातिलों का सुराग नहीं लग सका है। सुबह हंडिया में घटना की सूचना मिलने पर पुलिस अधिकारी चौंक गए थे कि एक और सामूहिक हत्याकांड हो गया। खुदकशी के संकेत मिलने पर उनकी बेचैनी कुछ कम हो गई।

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