इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की परीक्षा जुलाई में, अगस्त में परिणाम Prayagraj News

इविवि के परीक्षा नियंत्रक प्रो. रामेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि मई में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन जून में ग्रीष्मावकाशजुलाई में वार्षिक परीक्षा हो।

By Brijesh SrivastavaEdited By: Publish:Thu, 30 Apr 2020 02:13 PM (IST) Updated:Thu, 30 Apr 2020 02:14 PM (IST)
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की परीक्षा जुलाई में, अगस्त में परिणाम Prayagraj News
इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय की परीक्षा जुलाई में, अगस्त में परिणाम Prayagraj News

प्रयागराज,जेएनएन। इलाहाबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय (इविवि) की वार्षिक और सेमेस्टर परीक्षा के लिए लॉकडाउन खत्म होने के बाद भी परीक्षार्थियों को लंबा इंतजार करना पड़ेगा। विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) की रिपोर्ट के बाद इविवि प्रशासन परीक्षा की तैयारी में जुट गया है। जल्द ही निर्णय लिया जाएगा। जुलाई के पहले सप्ताह से परीक्षा और अगस्त में परिणाम जारी किया जाएगा।

लॉकडाउन के कारण मुख्‍य परीक्षा स्‍थगित करनी पडी

लॉकडाउन के कारण स्नातक-परास्तनातक स्तर की मुख्य परीक्षाएं स्थगित करनी पड़ी। लॉकडाउन की अवधि तीन मई तक बढऩे से संशय की स्थिति है। यूजीसी के सचिव रजनीश जैन ने हरियाणा केंद्रीय विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर आरसी कुहाड़ की अध्यक्षता में सात सदस्यीय  कमेटी गठित की।

मई में ऑनलाइन चलेंगी कक्षाएं, जून में रहेगा ग्रीष्‍मावकाश

इविवि के परीक्षा नियंत्रक प्रोफेसर रामेंद्र कुमार सिंह ने बताया कि यूजीसी की रिपोर्ट में कहा गया कि मई में ऑनलाइन कक्षाओं का संचालन, जून में ग्रीष्मावकाश, जुलाई में वार्षिक परीक्षा कराई जाएं। प्रो. रामेंद्र ने बताया कि कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी से चर्चा के बाद कोई निर्णय लिया जा सकेगा।

बिना परीक्षा प्रोन्नत करने की उठी थी मांग

इविवि शिक्षक संघ (आटा) के अध्यक्ष प्रोफेसर रामसेवक दुबे ने प्रथम एवं द्वितीय वर्ष के छात्र-छात्राओं को बिना परीक्षा दिए प्रोन्नत करने की मांग की थी। तर्क दिया था कि इससे परीक्षा कराने, मूल्यांकन व परिणाम में लगने वाले समय से बचा जा सकेगा। नए सत्र पर विशेष असर नहीं पड़ेगा।उन्होंने कार्यवाहक कुलपति प्रोफेसर आरआर तिवारी को पत्र भी लिखा था। लेकिन इसको लेकर यूनिवर्सिटी के शिक्षक ही एकमत नहीं हो पाए। आटा के उपाध्यक्ष प्रो. एआर सिद्दीकी ने विरोध किया था।

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