गुरुनानक देव की वाणी आज के समय में सटीक बैठती है, जानिए क्या कहा था Aligarh news
आको गुरुनानक देव की वो कहानी तो याद होगी ही जिसमें वो भ्रमण के दौरान ऐसे गांव में पहुंच जाते हैं जहां उनका व उनके शिष्यों का अनादर होता है। गांव से विदा लेते समय वहां के लोगों को आबाद होने का आशीर्वाद देते हैं।
अलीगढ़, जेएनएन । आपको गुरुनानक देव की वो कहानी तो याद होगी ही जिसमें वो भ्रमण के दौरान ऐसे गांव में पहुंच जाते हैं जहां उनका व उनके शिष्यों का अनादर होता है। गांव से विदा लेते समय वहां के लोगों को आबाद होने का आशीर्वाद देते हैं। जब दूसरे गांव जाते हैं तो वहां उनका खूब आदर सत्कार होता है। उस गांव के लोगों को उजड़ जाओ का आशीर्वाद देते हैं। इस पर उनके शिष्य काफी नाराज होते हैं। तब गुरुनानक देव समझाते हैं कि सज्जन लोग उजड़ जाने पर जहां भी जाएंगे वहां अपनी सज्जनता से उत्तम वातावरण का ही निर्माण करेंगे। अगर दुष्ट व्यक्ति जहां भी विचरण करेगा वहां अपने आचार-विचार से वातावरण दूषित करेगा। कोरोना के इस संकट काल में कुछ प्राइवेट डाक्टरों को आबाद रहने का ही आशीर्वाद मरीज दे रहे हैं। उन्हें पता है पैसे की लूट करने वाले जहां भी जाएंगे किसी को बख्शेंगे नहीं।
ऐसी जब भराई ठीक नहीं
पैदा होने के बाद इंसान जब होश संभालता है तभी से वह मोह की दुनिया में डूब जाता है। अमीर बनने के लिए न जाने क्या-क्या ख्वाब देखे जाते हैं। मेहनत के बल पर जब मंजिल हासिल की जाती है तो उसका आनंद असीम होता है। लेकिन जब किसी की जेब पर डाका डालकर सपने पूरे करने की लालसा पनपती है तो वह न तो खुद के लिए ठीक होती है और समाज के लिए। कोरोना संकट में कुछ लोग ऐसा ही कर रहे हैं। कोई इंजेक्शन के नाम पर कालाबाजारी कर रहा है तो कोई आक्सीजन के नाम पर। गुटखा पान मसाला तक को नहीं छोड़ रहे। ऐसे वक्त में मुनाफाखोरी में लगे हुए हैं जब एक-दूसरे की मदद करनी चाहिए। हम सभी को उन लाेगों का दर्द समझना होगा जिन्होंने अपनों को खोया है या जो जिंदगी और मौत से लड़ रहे हैं। मानवता भी यही कहती है।
सबसे बड़ा इलाज
कोरोना के बढ़ते प्रकोप को को काबू करने के लिए सरकार ने सेना को भी उतार दिया है। रेलवे पहले से ही आक्सीजन आपूर्ति में लगी हुई है। सभी को यही जोर है लोगों कीजान कैसे भी बचाई जाए। इसमें हम सब की भूमिका भी अहम है। कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए हर किसी को जिम्मेदारी निभानी होगी। घर से तभी निकलें जब जरूरी है। जिस तरह हम शनिवार और रविवार के दो दिन के लाकडाउन का पालन कर रहे हैं। बिना बाजार जाए काम चला रहे हैं अन्य दिनों में भी अगर इससे काम चलत जाता है तो जरूर चलाएं। कोरोना की चेन तोड़ने का यह सबसे बड़ा इलाज है। बाजार अगर जाते हैं तो बिना मास्क के बिल्कुल न जाएं। शारीरिक दूरी का जरूर पालन करें। कोरोना को मात देने के ये वो हथियार हैं जिनका इस्तेमाल हमने पहले भी किया था। आज फिर से इसकी जरूरत है।
ये नाक की लड़ाई है
पंचायत चुनाव में मतदान का दिन जैसे-जैसे नजदीक आ रहा है प्रत्याशियों की धड़कनें भी तेज होती जा रही हैं। इस लिए सारे प्रत्याशी दिन-रात एक किए हुए हैं। इस यह चुनाव प्रत्याशियों के साथ कई रणनीतिकारों की नाक का सवाल बन गया है। सबसे अधिक चुनौती उनके लिए है जिन्होंने किसी तरह टिकट पाने में कामयाबी हासिल की। पार्टी का दबाव भी उन पर है। भाजपा में ऐसा कई सीटों पर हो रहा है। अतरौली क्षेत्र में कई बार्ड तो खासे चर्चा में है। जहां से बहुएं चुनाव लड़ रहीं हैं उन पर लखनऊ तक की नजर है। सपा, बसपा व कांग्रेस समर्थित प्रत्याशी भी अपने को किसी से कम नहीं आंक रहे। उन्हें पता है चुनाव केवल चेहरा से ही नहीं लड़ा जाता। क्षेत्र में अपनी पहचान व वोटरों के प्रति विश्वास भी महत्व रखता है। अब देखना यह है कि इसमें बाजी कौन मारता है।