चोरी गया सोना तो मिला लेकिन दबे रह गए सवाल Aligarh news

वो कहते हैं न कि पुलिस चाहे तो पहाड़ भी खोद सकती है। दादों के गांव में जब चोरी हुई तो कुछ ऐसा ही हुआ। जब चोरी की घटना की परतें खुलीं तो सब हैरान रह गए। डेढ़ किलो यानी सवा करोड़ के सोने के बिस्किट मिलना बड़ी बात थी।

By Parul RawatEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 08:18 AM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 09:44 AM (IST)
चोरी गया सोना तो मिला लेकिन दबे रह गए सवाल Aligarh news
चोरी के माल की बरामदगी पर पुलिस पर उठते सवाल

सुमित शर्मा, अलीगढ़ : वो कहते हैं न कि पुलिस चाहे तो पहाड़ भी खोद सकती है। दादों के गांव में जब चोरी हुई तो कुछ ऐसा ही हुआ। जब चोरी की घटना की परतें खुलीं तो सब हैरान रह गए। डेढ़ किलो यानी सवा करोड़ के सोने के बिस्किट मिलना बड़ी बात थी। यहां भी कहानी में झोल की चर्चाएं होने लगीं। सोना जमीन, रसोई के डिब्बों व गेहूं में छिपा था। जेवर भी बड़ी संख्या में थे, लेकिन सवाल कई दबे हैं। सबकुछ खोद डाला और महज डेढ़ किलो सोना ही मिला। बिजौली के सर्राफ को सोना बेचा गया, मगर किसी को खबर क्यों नहीं हुई? एक सज्जन कहने लगे, सोना तो 20 किलो था, मगर सामने आया डेढ़ किलो ही। अब बाकी सोने को कौई पचा गया या फिर..., ये भगवान ही जाने। जो भी हो, अगर कहानी में गड़बड़ नहीं है तो पुलिस की सफलता वाकई बड़ी है। सराहनीय है। 

खून दो, पैसे लो  

माना कि पैसे में बहुत ताकत है, लेकिन जान से बढ़कर कुछ भी नहीं होना चाहिए। इन दिनों शहर के कई इलाकों में लोगों की जान से खिलवाड़ का काला धंधा जोरों पर है। जीटी रोड पर तमाम अस्पताल ऐसे हैं, जहां सीधा सा फंडा बना हुआ है कि खून दो और पैसे ले लो। उन्हें व्यक्ति से कोई मतलब नहीं। वो ही खून तीन गुना दाम में बेच दिया जाता है। उन्हें सिर्फ अपनी कमाई से मतलब है। पुलिस की भी पूरी मिलीभगत होती है। कुछ दिनों पहले एक मजदूर ने दो वक्त की रोटी के लिए खून का कतरा-कतरा बेच दिया। किसी को शर्म तक नहीं आई। चंद घंटों में उसने दम तोड़ दिया। उसका परिवार सड़क पर है। किसी को कोई फर्क नहीं पड़ा। ऐसे संस्थानों को देखकर भी अनदेखा करने वाले लोगों पर शिकंजा कसना होगा। इंसानियत को बचाए रखने के लिए ये बेहद जरूरी है। 

चंडौस में दाग, मडराक में बदनामी

कोई भी सप्ताह ऐसा नहीं बीत रहा, जब खाकी पर दाग न लगे। दुव्र्यवहार को सुधार पाना टेढ़ी खीर है। तभी कप्तान के तमाम समझाने पर फर्क नहीं पड़ रहा, लेकिन लगातार रिश्वतखोरी की शिकायतें आने लगे तो गिरेबां में झांकने की जरूरत है। आखिर कमी कहां है? इस बार चंडौस थाने ने खाकी का सिर झुकाया। मुकदमे में नाम हटवाने के नाम पर हेड मोहर्रिर ने उगाही की कोशिश की। इसी थाने के तीन दारोगा ढाबे पर सरेआम शराब पीते दिखे। ये पुलिसकर्मी पहले भी निश्चित ऐसा कर चुके होंगे, तभी निडर थे। वीडियो वायरल न होता तो शायद ये शान से इसी राह पर चलते रहते। मडराक थाना भी बदनामी कराने में पीछे नहीं रहा। मवेशी के साथ पकड़े गए लोगों को छोडऩे के एवज में 15 हजार रुपये मांग लिए। बहरहाल, कार्रवाई हुई हैं, लेकिन बदनामी का सिलसिला नहीं थमा तो जनता का भरोसा आहत होता रहेगा।


महिला शक्ति की न हो अनदेखी

हाथरस कांड ने पूरे प्रदेश को सबक सिखा दिया है। जब शासन तक गूंज पहुंची तो हर महकमा सक्रिय हो गया। मिशन शक्ति सिर्फ अभियान ही नहीं, महिलाओं को ताकत का एहसास करा रहा है। सप्ताहभर में पुलिस इसमें रम चुकी है। हर छोटी घटना पर त्वरित कार्रवाई हो रही है। आरोपितों को बख्शा नहीं जा रहा है। ये काफी नहीं है। चूंकि हर अभियान के खत्म होते ही उसे भुला दिया जाता है। यहां ऐसा न हो, इसकी जिम्मेदारी हर थाने-चौकी में बैठे पुलिसकर्मी को लेनी होगी। चंद छात्राओं को स्कूल, कॉलेजों में जाकर जागरूक कर देने भर से बात नहीं बनने वाली है। हर महिला को विश्वास दिलाना होगा कि वो सुरक्षित है। उसके अंदर पुलिस का भरोसा बढ़ाना होगा। लापरवाही का आलम छोड़कर तेजी अपनानी होगी। अभियान के बहाने अपनी छवि बदलनी होगी। ध्यान देना होगा कि किसी भी कीमत पर ये अनदेखी की भेंट न चढ़े।

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