अलीगढ़ के फ्लाइट इंजीनियर ने बरसाए थे बम, तहस-नहस किए थे पाक हवाई अड्डे

1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले जांबाजों में अलीगढ़ के भी योद्धाओं ने वीरता का परिचय दिया था। दुश्मन को मात देने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Sun, 16 Dec 2018 04:56 PM (IST) Updated:Sun, 16 Dec 2018 05:30 PM (IST)
अलीगढ़ के फ्लाइट इंजीनियर ने बरसाए थे बम, तहस-नहस किए थे पाक हवाई अड्डे
अलीगढ़ के फ्लाइट इंजीनियर ने बरसाए थे बम, तहस-नहस किए थे पाक हवाई अड्डे

अलीगढ़ (जेएनएन)। 1971 के युद्ध में पाकिस्तान को धूल चटाने वाले जांबाजों में अलीगढ़ के भी योद्धाओं ने वीरता का परिचय दिया था। दुश्मन को मात देने के लिए अपनी जान की परवाह नहीं की। फ्लाइट इंजीनियर वीके गुप्ता ने टीम के साथ दुश्मन देश के हवाई अड्डों पर बमों की ऐसी वर्षा की कि संभल नहीं पाए। पांच बम गिराने वाले हवाई जहाज से 30 गिराकर हाहाकार मचा दिया था। वीके गुप्ता का उस लड़ाई को याद कर सीना आज भी चौड़ा हो जाता है। कहते हैं, पाकिस्तान को उसी को भाषा में जवाब देते रहेंगे तो सिर उठाने की हिम्मत नहीं करेगा। भारतीय सेना किसी भी हालात में युद्ध करने को हमेशा तैयार रहती है।

पांच दिन पहले मिली थी सूचना

वीके गुप्ता ने बताया कि तीन दिसंबर 1971 को पाकिस्तान से युद्ध शुरू हो गया। युद्ध में शामिल होने के लिए पांच दिन पहले ही सूचना मिली थी। आगरा से सात हवाई जहाजों को ईस्ट बंगाल स्थित हंसीमारा हवाई अड्डे पर बुलाया गया। चार दिसंबर को भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान पर एक साथ हमला किया। हम ऐसे हवाई जहाज पर थे, जिसकी क्षमता एक बार एक-एक हजार पौैंड के पांच बम ले जाने की थी, लेकिन भारतीय इंजीनियरों से ऐसा मोडीफाई किया कि वह 30 बम ले जाने में सक्षम हो गया। दुश्मन देश को भनक नहीं लगी।

विमान से गिराए 30 बम

अमेरिका में बने जहाज के बारे में सभी को जानकारी यही थी कि यह एक बार में पांच बम गिरा सकता है। विमान ने एक के बाद एक 30 बम गिराए तो पाकिस्तान में हाहाकार मच गया। सात हवाई अड्डे ऐसे कर दिए कि वहां से हवाई जहाज उड़ नहीं सकते थे।

थल सेना ने की घेराबंदी

थल सेना ने ऐसी घेराबंदी की कि पाक सेना कुछ नहीं कर पाई। हवाई जहाजों से पाकिस्तान में पर्चा बांटे गए कि दुश्मन सेना आत्मसमर्पण कर दे, हुआ भी यही। 16 दिसंबर को पाकिस्तनी लेफ्टिनेंट जनरल एएके नियाजी ने भारतीय सेना के सामने आत्मसमर्पण कर दिया। 17 दिसंबर को 93,000 पाकिस्तानी सैनिकों को युद्धबंदी बनाया गया। भारत की यह ऐतिहासिक जीत थी।

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