Harassment for injection : रेमडेसिविर की छह डोज की दरकार, डाक्टर मांग रहे ज्यादा Aligarh news
कोरोना संकट काल में सबसे ज्यादा मारामारी रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर रही है। संक्रमण बढ़ते ही यह इंजेक्शन बाजार से गायब हो गया है। थोक बाजार में पहुंचते ही डाक्टर इसे उठा रहे हैं। इंजेक्शन मरीज के पहचान पत्र व डाक्टर के पर्चे को देखकर ही दिया जा सकता है।
अलीगढ़, जेएनएन । कोरोना संकट काल में सबसे ज्यादा मारामारी रेमडेसिविर इंजेक्शन को लेकर रही है। संक्रमण बढ़ते ही यह इंजेक्शन बाजार से गायब हो गया है। थोक बाजार में पहुंचते ही डाक्टर इसे हाथों-हाथ उठा रहे हैं। नियमानुसार, यह इंजेक्शन मरीज के पहचान पत्र व डाक्टर के पर्चे को देखकर ही दिया जा सकता है। एक मरीज को अधिकतम छह डोज दी जाती हैं। विगत दो दिनों में ऐसे मामले सामने आए हैं, जिनमें डाक्टरों ने एक मरीज के लिए 10 से 12 डोज मांगी। हालांकि, किल्लत को देखते हुए ज्यादातर थोक विक्रेताओं ने इसे देन से मना कर दिया। जबकि, कुछ डाक्टर लेने में सफल हो गए। बता दें कि अस्पतालों में इस इंजेक्शन की कीमत 20-25 हजार रुपये तक वसूली जा रही है, जिसकी वजह से इसकी मांग ज्यादा है।
सरकारी में हुई व्यवस्था, प्राइवेट में मुनाफाखोरी
जिले में गंभीर मरीजों के इलाज में कारगर रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग काफी बढ़ गई है। स्वास्थ्य विभाग ने 300 इंजेक्शन की मांग की थी, जिसके सापेक्ष लखनऊ से 112 इंजेक्शन ही मिल पाए। सीएमओ ने प्रयास कर 200 इंजेक्शन की व्यवस्था कर ली है। एक मरीज को ट्रीटमेंट के दौरान पांच से छह दिन तक ये इंजेक्शन दिए जाते हैं। इस तरह यह 30-35 मरीजों के लिए पर्याप्त होंगे। सीएमओ ने 20 इंजेक्शन दीनदयाल अस्पताल को उपलब्ध कराए, इनमें से 10 शनिवार रात तक ही लग गए। मेडिकल कालेज को भी सीएमअो ने इंजेक्शन भेजे हैं। हालांकि, निजी डाक्टरों से इलाज करा रहे मरीजों को रेमडेसिविर अभी भी आसानी से उपलब्ध नहीं है। ऐसे में केमिस्ट एसोसिएशन की अोर से मरीजों व अस्पताल संचालकों को उचित मूल्य पर रेमडेसिविर इजेक्शन उपलब्ध कराने शुरू कर दिए हैं। गांधी आई हास्पिटल से इंजेक्शन की बिक्री हो रही है। यह इंजेक्शन डाक्टर का पर्चा देखकर ही उचित मात्रा में दिए जा रहे हैं।
जितनी जरूरत उतने ही इंजेक्शन लें
केमिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह टिल्लू ने कहा कि रेमडिसिविर की आपूर्ति अभी काफी कम है। मरीजों की परेशानी को देखते हुए केमिस्ट एसोसिएशन ने फुटकर बिक्री शुरू की है। इसलिए मरीज के तीमारदार अथवा अस्पताल कर्मियों के जरिए रेमडेसिविर की जरूरत से अधिक मात्रा खरीदने का प्रयास न किया जाए। कोरोना काल में यह जीवनरक्षक इंजेक्शन है। प्रत्येक गंभीर मरीज को इसकी जरूरत है। इसलिए इस पर मुनाफाखोरी बिल्कुल न की जाए। जितनी कीमत पर थोक विक्रेता या एसोसिएशन यह इंजेक्शन उपलब्ध करा रही है, मरीजों से उतने ही शुल्क ली जाए। एक इंजेक्शन के लिए मरीज से 15-20 हजार रुपये लेने की शिकायतें मिल रही हैं, यह मानवता नहीं है।
इनका कहना है
रेमडेसिविर या अन्य दवा पर मुनाफाखोरी बिल्कुल नहीं होनी चाहिए। निजी हास्पिटल संचालक या अन्य व्यक्ति इंजेक्शन का स्टाक न करे। हर जरूरतमंद को यह आसानी से उपलब्ध होते रहने के लिए यह जरूरी है।
- डा. बीपीएस कल्याणी, सीएमओ।