शिवभक्‍त राजा जहां जाते शिवलिंग साथ ले जाते थे, जानिए इनका महत्‍व Aligarh news

इगलास क्षेत्र में प्राचीन विश्वामित्रपुरी ( बेसवां ) स्थित धरणीधर सरोवर के तट पर धरणीश्वरनाथ महादेव का मंदिर है। इसे बारहद्वारी के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sun, 08 Aug 2021 12:35 PM (IST) Updated:Sun, 08 Aug 2021 01:16 PM (IST)
शिवभक्‍त राजा जहां जाते शिवलिंग साथ ले जाते थे, जानिए इनका महत्‍व Aligarh news
150 वर्ष पहले स्वामी शंकरानंद महाराज के हाथों राजा ने धरणीधर सरोवर के दक्षिण दिशा में शिवलिंग की स्थापना कराया।

अलीगढ़, जेएनएन। इगलास क्षेत्र में प्राचीन विश्वामित्रपुरी ( बेसवां ) स्थित धरणीधर सरोवर के तट पर धरणीश्वरनाथ महादेव का मंदिर है। इसे बारहद्वारी के नाम से भी जाना जाता है। यहां देश के विभिन्न हिस्सों से लोग दर्शन करने के लिए आते हैं।

मंदिर का इतिहास

बताया जाता है कि राजा गिरप्रसाद शिवभक्त थे। वे जहां भी जाते शिवलिंग को साथ ले जाते थे। शिवलिंग पर नित्यरुद्राभिषेक करते। 150 वर्ष पहले स्‍वामी शंकरानंद महाराज के हाथों राजा ने धरणीधर सरोवर के दक्षिण दिशा में शिवलिंग की स्थापना करा दी। श्रावण मास में स्वामी जी व उनके शिष्य रुद्राभिषेक व रुद्राष्टाध्यायी पाठ करते थे, इसलिए इस शिवलिंग को सिद्ध माना जाता है। हाथरस की एक सेठानी ने मंदिर का निर्माण कराया।

मंदिर की विशेषता

मंदिर के बारद्वार होने के कारण इसे बारहद्वारी मंदिर कहा जाता है। मंदिर के सामने धरणीधर सरोवर का बारहद्वारी घाट है। यहां स्नान करने के बाद भक्त शिव की पूजा करते हैं। यहां श्रावण मास के साथ पूरे साल धार्मिक आयोजन होते रहते हैं।

इनका कहना है

मंदिर करीब 150 वर्ष पुराना है। यहां क्षेत्र के लोग भगवान भोलेनाथ की पूजा अर्चना करने आते हैं।

राकेश कुमार, सेवक

भोलेनाथ भक्तों की मनोकामना पूर्ण करने वाले हैं। धरणीश्वरनाथ महादेव की दूर दूरतक मान्यता है।

निखिल गुप्ता, भक्त

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