पशुपतिनाथ की नई कृति ‘विश्व साहित्यशास्त्र की अवधारणा’ प्रकाशित Aligarh news

साहित्यभूषण पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद् डा. पशुपतिनाथ उपाध्याय की नई कृति ‘विश्व साहित्यशास्त्र की अवधारणा’ प्रकाशित हुई है। इसमें कुल पांच भाग हैं। प्रथम भाग में विश्व साहित्य शास्त्र की प्रकल्पना को इति वृतांतकता के धरातल पर विवेचित किया गया है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Sat, 03 Apr 2021 04:46 PM (IST) Updated:Sat, 03 Apr 2021 05:03 PM (IST)
पशुपतिनाथ की नई कृति ‘विश्व साहित्यशास्त्र की अवधारणा’ प्रकाशित  Aligarh news
साहित्यभूषण पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद् डा. पशुपतिनाथ उपाध्याय की नई कृति ‘विश्व साहित्यशास्त्र की अवधारणा’ प्रकाशित हुई।

अलीगढ़, जेएनएन : साहित्यभूषण पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ साहित्यकार व शिक्षाविद् डा. पशुपतिनाथ उपाध्याय की नई कृति ‘विश्व साहित्यशास्त्र की अवधारणा’ प्रकाशित हुई है। इसमें कुल पांच भाग हैं।

 

कुल पांच भाग

प्रथम भाग में विश्व साहित्य शास्त्र, की प्रकल्पना को इति वृतांतकता के धरातल पर विवेचित किया गया है। द्वितीय में भारतीय आचार्यों की अवधारणा को आद्याचार्य भरतमुनि, आनंद वर्धन, कुंतक, अभिनव गुप्त व प. राज जगन्नाथ की अवधारणा को संदर्भित किया है। तृतीय भाग में हिंदीभाषी साहित्य सृजकों की अवधारणा को उर्दू साहित्य के बंगला, गुजराती, मराठी व मलयालम साहित्य के परिप्रेक्ष्य में अनुशीलन किया गया है। भाग चार में हिंदी भाषी साहित्यकारों में आचार्य शुक्ल, वाजपेयी, आचार्य हजारी प्रसाद द्विवेदी, डा. रामविलास शर्मा व डा. नगेंद्र के समीक्षा सिद्धांत विषयक अनुशीलन है। भाग पांच में पाश्चात्य साहित्य चिंतकों की साहित्यिक अवधारणा को वैश्विक स्तर पर रेखांकित किया गया है। इसमें प्लेटो, अरस्तू, लोंजाइनिसक, होरेस, ड्राईडेन, पेटर, क्रोचे, हिगेल, गोइटे, मार्क्स, फ्रायड आदि को संदर्भित किया गया है। बागला इंटर कालेज, हाथरस के सेवानिवृत्त प्रधानाचार्य डा. उपाध्याय की यह 32वीं समीक्षात्मक कृति है। उन्हें डा. उपाध्याय को शिक्षा पुरस्कार, भारत गौरव, शिक्षा पुरस्कार समेत अनेक सम्मान मिल चुके हैं। 

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