नीरज को रहा 'उद्धार' का इंतजार, 'जिंदगी दे न जहां साथ, वहां छोड़ गए'

'अबके सावन में, शरारत ये मेरे साथ हुई' गाने वाली फिल्म रिलीज न हो सकी। यह फिल्म है 'उद्धार', जिसके रिलीज होने का इंतजार नीरज को रहा।

By Nawal MishraEdited By: Publish:Fri, 20 Jul 2018 08:46 PM (IST) Updated:Sat, 21 Jul 2018 08:15 AM (IST)
नीरज को रहा 'उद्धार' का इंतजार, 'जिंदगी दे न जहां साथ, वहां छोड़ गए'
नीरज को रहा 'उद्धार' का इंतजार, 'जिंदगी दे न जहां साथ, वहां छोड़ गए'

अलीगढ़ (मुकेश चतुर्वेदी)। 'अबके सावन में, शरारत ये मेरे साथ हुई, मेरा घर छोड़कर कुल शहर में बरसात हुई' महाकवि नीरज का यह गीत आपने सुना तो जरूर होगा, लेकिन शायद ही पता हो कि यह भी फिल्म का है, जिसके ऑडियो तो बाजार में आए, लेकिन फिल्म पूरी बनने के बाद भी रिलीज न हो सकी। फिल्म है 'उद्धार', जिसके रिलीज होने का इंतजार नीरज को रहा। इसके लिए वे निर्माता हाथरस निवासी मुन्नालाल रावत से पूछते भी रहते, लेकिन जवाब मिलता अब तैयारी की जाएगी। फिल्म निर्माण 1983 में शुरू हुआ। मुख्य कलाकार फारुख शेख व सुप्रिया पाठक हैं। इसमें नीरज के दो गीत हैं। 'मेरे हमराह मुझे देखो कहां छोड़ गए, जिंदगी दे न जहां साथ, वहां छोड़ गए' को अनुराधा पौडवाल व अनवर ने आवाज दी। 'अब के सावन में शरारत ये मेरे साथ हुई' को लक्ष्मीकांत, अनवर व सुधा मल्होत्रा ने आवाज दी। 1990 में गीतों का ऑडियो जारी हुआ। फिल्म सेंसर बोर्ड से पास हो गई, लेकिन मुन्नालाल रावत की तबीयत खराब होने के कारण रिलीज न हो सकी।

बेटी को विधायक देखना चाहते थे नीरज 

नीरज आगरा में ब्याही बेटी कुंदनिका शर्मा को राजनीति में स्थापित करना चाहते थे। विधानसभा चुनाव से पहले कुंदनिका भाजपा छोड़ सपा में चली गईं। सपा ने कमला नगर विधानसभा क्षेत्र से टिकट दे दिया, लेकिन सपा में टकराव पर अखिलेश यादव ने टिकट काट दी। चर्चा थी कि नीरज ने टिकट दिलवाई थी। इसके बाद कुंदनिका भाजपा में आ गईं। नीरज आध्यात्मिकता पर महाकाव्य लिखना चाहते थे। कहते थे कि अध्यात्म में शांति है। उनकी यह अभिलाषा अधूरी रह गई।

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