नीरज ने खिलाए उम्मीद के फूल, सीएम ने दी शाबाशी

महिला का दयानंद समूह गांव खेड़ा में कर रहा सामुदायिक शौचालय का संचालन।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 21 Oct 2020 02:10 AM (IST) Updated:Thu, 22 Oct 2020 05:02 AM (IST)
नीरज ने खिलाए उम्मीद के फूल, सीएम ने दी शाबाशी
नीरज ने खिलाए उम्मीद के फूल, सीएम ने दी शाबाशी

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ : महिलाओं के लिए कुछ भी असंभव नहीं है। अतरौली के गांव खेड़ा निवासी नीरज ने भी असंभव कार्य को अपने हाथ में लेकर नारी शक्ति का लोहा मनवाया है। नीरज का दयानंद समूह सामुदायिक शौचालय का संचालन कर रहा है। जिले में यह पहला समूह है, जिसने आगे बढ़कर यह जिम्मेदारी संभाली है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वीडियो कांफ्रेंसिग के जरिये नीरज से अनुभव साझा किए और शाबाशी दी।

जिले में 800

केंद्र सरकार स्वच्छ भारत मिशन के तहत अनुसूचित जाति बाहुल्य गांव सामुदायिक शौचालयों का निर्माण करा रही है। एक शौचालय पर करीब आठ लाख रुपये खर्च हो रहे हैं। जिले में 800 से अधिक शौचालयों का निर्माण हो चुका है। शासन का आदेश है कि शौचालयों की देखरेख के लिए लोगों को नियुक्ति किए जाए। उन्हें पंचायत के बजट से मानदेय दिया जाए।

नहीं था कोई तैयार : गांव खेड़ा पंचायत में भी शौचालय का निर्माण हुआ। इसकी देखरेख के लिए किसी भरोसेमंद व्यक्ति को चिह्नित करना था, लेकिन कोई जिम्मेदारी लेने के लिए तैयार नहीं था।

आगे बढ़कर ली जिम्मेदारी : यह जानकारी राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत संचालित दयानंद समूह की नीरज को हुई तो उन्होंने पंचायत सचिव व प्रधान से संपर्क किया। छह हजार रुपये माह के मानदेय पर शौचालय की देखरेख की जिम्मेदारी ली।

सुबह पांच से रात आठ बजे तक : समूह की ने सदस्य पूनम देवी की शौचालय पर तैनाती कर दी है। वे सुबह पांच से रात आठ बजे तक रहती है। साफ-सफाई के लिए सामान ग्राम पंचायत ने दिया है। दिन में तीन बार सफाई होती है। अब गांव में कोई भी व्यक्ति खुले में शौच को नहीं जाता है।

सीएम ने साझा किए अनुभव : 19 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने दयानंद समूह की नीरज व पूनम देवी से सात मिनट तक अनुभव साझा किए। कार्य की सराहना की।

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मेरे समूह के लिए यह गौरव का पल था। मुख्यमंत्री ने शौचालय की देखरेख के बारे में जानकारी ली। हमने उन्हें पूरी प्रक्रिया के बारे में बताया।

नीरज, अध्यक्ष, दयानंद समूह

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मुख्यमंत्री ने पूरे प्रदेश से नीरज व पूनम समेत चार लोगों से बात की थी। अन्य सामुदायिक शौचालयों का जिम्मा भी महिला समूहों को दिया जाएगा।

पारुल सिसौदिया, डीपीआरओ

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