माताओं ने दिया बच्चों पर ध्यान तो कुपोषण अंतरध्यान, पौष्टिक भोजन से स्वस्थ हुए बच्चे aligarh news

एक वर्ष पहले बेटी का वजन मात्र सात किग्रा था मगर आज बेटी पूरे 11 किलोग्राम की है। बहनजी द्वारा दी गई साफ सफाई खाने पीने की पौष्टिक आहारों से बेटी आज पूरी तरह स्वस्थ है।

By Mukesh ChaturvediEdited By: Publish:Wed, 04 Sep 2019 01:04 AM (IST) Updated:Wed, 04 Sep 2019 08:15 PM (IST)
माताओं ने दिया बच्चों पर ध्यान तो कुपोषण अंतरध्यान, पौष्टिक भोजन से स्वस्थ हुए बच्चे aligarh news
माताओं ने दिया बच्चों पर ध्यान तो कुपोषण अंतरध्यान, पौष्टिक भोजन से स्वस्थ हुए बच्चे aligarh news

अलीगढ़ (जेएनएन)।  माताओं ने बच्चों के प्रति सतर्कता दिखाई तो बच्चों का स्वास्थ्य अपने आप ही सुधरने लगता है। ऐसा ही गांव चौमुहां निवासी रेखा देवी पत्नी रामबाबू ने तीन साल की पुत्री गुंजन का ध्यान रखा और वह स्वस्थ हो गई जो गुंजन कल तक चल भी नहीं पाती थी आज वह बेटी अन्य बच्चों के साथ खेलती कूदती नजर आती है।  रेखा ने बताया कि गुंजन एक साल की थी। उस दौरान उसे बुखार आया और वह शरीर से काफी कमजोर हो गई जिसके चलते वह एक दिन गांव की ही आंगनबाड़ी कार्यकर्ता राजकुमारी देवी के पास पहुंची और बच्चे की हालत के बारे में अवगत कराया।

सफाई और पौष्टिक आहार की दी सलाह

उन्होंने कहा, थोड़ा घरेलू कार्य से ध्यान हटाकर बेटी पर ध्यान देने की जरूरत है। उन्होंने सबसे पहले साफ सफाई रखने के साथ बेटी को पौष्टिक आहार देने की बात कही। एक वर्ष पूर्व बेटी गुंजन में सात किलो ग्राम वजन था जो आज 12 किलो ग्राम की हष्ट पुष्ट है। ऐसी ही गांव निवासी ओमवती देवी की तीन वर्षीय पुत्री खुशी को आए दिन बुखार रहने की शिकायत थी। पुत्री सूखकर काफी कमजोर हो चुकी थी। चलने फिरने के लिए भी लाचार थी। पर आंगनबाड़ी बहन जी ने उनकी बेटी की जान बचा दी। उनके द्वारा दी गई जानकारियों ने बेटी का एक नया जीवन दिया है। एक वर्ष पहले बेटी का वजन मात्र सात किग्रा था मगर आज बेटी पूरे 11 किलोग्राम की है। बहनजी द्वारा दी गई साफ सफाई, खाने पीने की पौष्टिक आहारों से बेटी आज पूरी तरह स्वस्थ है।

देखभाल से सुधरी सेहत

कुपोषण से मुक्त गांव केलनपुर की इंद्रवती पत्नी मुकेश कुमार ने बताया है कि वह तीन वर्षीय बेटी प्रियांशी के स्वास्थ्य को लेकर बहुत परेशान रहती थी। दो साल की उम्र में वह ढंग से बैठ भी नहीं पाती थी। हाथ पैर तो बहुत कमजोर दिखाई देते थे।  उसकी सेहत अच्छी नहीं थी। कई जगह डाक्टरों से उपचार कराया लेकिन उसकी सेहत नहीं सुधरी। एक दिन गांव की आंगनबाड़ी कार्यकर्ता रश्मि शर्मा घर पर आई तो बेटी को रश्मि ने मुझसे  बच्ची को लेकर सरकारी अस्पताल लेकर चलने के लिये कहा वह बच्ची को लेकर अस्पताल गईं, जहां उसकी जांच कराईं। लेकिन जांच रिपोर्ट सकारात्मक न होने के चलते वह प्रियांशी को लेकर जेएन मेडिकल कालेज लेकर गई जहां उसका उसका उपचार कराया। इस बीच प्रियांशी को उचित मात्रा में पौष्टिक आहार संतुलित मात्रा में दिया गया तथा परिवार के लोगों से बराबर संपर्क में रहकर उसकी देखभाल की गई।  बेटी प्रियांशी बिल्कुल सही है। गांव की रजनी पत्नी राजेश भी पौने तीन साल की बेटी ज्योति को कुपोषण से मुक्ति दिलाने में  आंगनबाड़ी रश्मि शर्मा को श्रेय देती है।

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