हेलमेट बोझ नहीं, जिंदगी की सुरक्षा का है कवच

हेलमेट बंदिश नहीं जिंदगी की सुरक्षा का कवच है। अधिकांश सड़क हादसों में हेलमेट नहीं लगाने वालों की जान गई हैं।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Mon, 21 Oct 2019 09:37 AM (IST) Updated:Mon, 21 Oct 2019 12:00 PM (IST)
हेलमेट बोझ नहीं, जिंदगी की सुरक्षा का है कवच
हेलमेट बोझ नहीं, जिंदगी की सुरक्षा का है कवच

अलीगढ़ (जेएनएन) : हेलमेट बंदिश नहीं जिंदगी की सुरक्षा का कवच है। अधिकांश सड़क हादसों में हेलमेट नहीं लगाने वालों की जान गई हैं। परिवहन विभाग व यातायात पुलिस के चलाए गए सड़क सुरक्षा सप्ताह के बाद भी दोपहिया वाहन चालक हेलमेट की उपयोगिता समझ नहीं रहे। नो हेलमेट नो पेट्रोल अभियान में अफसरों ने खूब ताकत झोंकी। बावजूद बिना किसी रोक-टोक के पंप से पेट्रोल की बिक्री हो रही है। यातायात निदेशालय के आंकड़े चौंकाने वाले हैं। पिछले साल प्रदेश में 35,612 हादसे हुए, जिसमें 19,320 लोगों की मौत हो गई और 25096 लोग घायल हुए। पिछले दस महीनों के दौरान अलीगढ़ जिले में हुए करीब 492 हादसों में 281 लोगों की मौत हुई है। 326 लोग घायल हुए हैं। हादसों में हुई 30 फीसद मौतों की वजह सिर में चोट लगना रहा। एसपी ट्रैफिक अजीजुल हक का कहना है कि दोपहिया वाहन चालकों को समझाया जा रहा है। चालान भी हो रहे हैं, फिर भी लोग नहीं मान रहे। जिले में यातायात पुलिस की ओर से समय-समय पर जागरुकता के लिए अभियान चलाए जाते हैं। वाहन चालकों को भी अपनी सुरक्षा को लेकर गंभीर होना होगा।

सावधानी हटी, दुर्घटना घटी 

अधिकांश हादसे वाहन चालकों की लापरवाही से होते हैं। दो पहिया वाहन चलाने वालों को अपने सिर पर हेलमेट बोझ लगता है। ट्रैफिक विशेषज्ञ अरूण श्रीवास्तव का कहना है कि जीवन को अमूल्य समझते हुए सड़क पर दो या चार पहिया वाहन चलाते समय नियमों का पालन जरूर करना चाहिए। बाजार में सस्ते हेलमेट मिल जाते हैं और उनको लगाने के बाद यातायात पुलिस भी कोई कार्रवाई नहीं करती है। हमारी सुरक्षा के लिए आइएसआई मार्का का हेलमेट होना आवश्यक है। 

 पब्‍लिक बोल

हेलमेट के बारे में प्रतिभा कॉलोनी के मुकेश राजपूत का कहना है कि हादसों में सिर की चोट से होने वाली मौतों को रोकना है। दोपहिया वाहन चालकों को खुद के साथ ही अपने परिवार की फिक्र करनी चाहिए। साथ ही कुलदीप विहार के मनी दयाल ने कहा कि कुछ दिन सख्ती के बाद पेट्रोल पंपों पर फिर से बिना हेलमेट पेट्रोल मिलने लगा है। पंप संचालक भी बेपरवाह हो गए और लोगों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को भूल गए।

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