गोवत्स द्वादशी : गाय और बछड़े की पूजा से मिलता है पुण्य Aligah News

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि इस दिन व्रत रखकर गाय व बछड़ों की पूजा की जाती है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Sun, 15 Nov 2020 11:10 AM (IST) Updated:Sun, 15 Nov 2020 11:10 AM (IST)
गोवत्स द्वादशी : गाय और बछड़े की पूजा से मिलता है पुण्य Aligah News
कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है।

अलीगढ़, जेएनएन। कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की द्वादशी को गोवत्स द्वादशी के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व उल्लास के साथ मनाया गया। वैदिक ज्योतिष संस्थान के प्रमुख स्वामी पूर्णानंदपुरी महाराज ने बताया कि इस दिन व्रत रखकर गाय व बछड़ों की पूजा की जाती है। इनके पूजन से भगवान विष्णु प्रसन्न होते हैं। भारत त्योहारों व धार्मिक संस्कृति की धरा है। यहां प्रति दिन कोई विशेष त्योहार एवं उत्सव मनाया जाता है। 

माथे पर चंदन का तिलक लगाया

कथा के अनुसार राजा उत्तानपाद और उनकी पत्नी सुनीति ने सबसे पहले ये व्रत किया था। इस व्रत के प्रभाव से ही उन्हें भक्त जैसे पुत्र की प्राप्ति हुई। सुबह स्नान आदि करने के बाद दूध देने वाली गाय को उसके बछड़े सहित स्नान कराकर फूलों की माला पहनाई गई, माथे पर चंदन का तिलक लगाया। तांबे के बर्तन में पानी, चावल, तिल व फूल मिलाकर पूजा की गई।

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