मजदूरों के पसीने से सैनिटाइज होंगी जिले की चार नदियां Aligarh news

मनरेगा मजदूरों के पसीने से अब जिले की नदियां सैनिटाइज होंगीं। इसके लिए प्रशासन ने खाका तैयार कर लिया है। प्रमुख सात नदियों में से चार नदियों में सफाई व खोदाई कार्य कराया जाना हैं। इनसे सेंगर व नीम नदी में चार दिन पहले काम शुरू हो चुका है।

By Anil KushwahaEdited By: Publish:Wed, 26 May 2021 05:49 AM (IST) Updated:Wed, 26 May 2021 06:50 AM (IST)
मजदूरों के पसीने से सैनिटाइज होंगी जिले की चार नदियां Aligarh news
मनरेगा के तहत नदियों की साफ सफाई का काम शुरू।

सुरजीत पुंढीर, अलीगढ़ । मनरेगा मजदूरों के पसीने से अब जिले की नदियां सैनिटाइज होंगीं। इसके लिए प्रशासन ने खाका तैयार कर लिया है। प्रमुख सात नदियों में से चार नदियों में सफाई व खोदाई कार्य कराया जाना हैं। इनसे सेंगर व नीम नदी में चार दिन पहले काम शुरू हो चुका है। करवन व रुतबा नदी में इसी महीने काम शुरू  कराया जाना है। जून के अंत तक चारों नदियों पर काम पूरा हो जाएगा।  प्रशासन का मकसद नदियों की साफ-सफाई के साथ ही अधिक से अधिक लोगों को मनरेगा से काम देना है। एक दिन में 30 हजार मजदूरों को काम देने का लक्ष्य तय हुआ है।  हालांकि, जिले में प्रमुख रूप से सात नदी हैं। इनमें से यमुना, गंगा और काली नदी को इस योजना में शामिल नहीं किया गया है। ये बड़ी नदियां हैं। बरसात के समय जल स्तर बढ़ता है, जबकि अन्य नदियों में पानी को लेकर प्रशासन चिंतित रहता हैं। कोशिश है कि इन चारों नदियों में पर्याप्त पानी रहे।

आस्था से जुड़ी नदियां 

यह जिले का सौभाग्य है कि आस्था की प्रतीक गंगा व यमुना जिले से  गुजर रही हैं। दो दशक पहले तक गंगा का निर्मल पानी अतरौली तहसील के गांव सांकरा को छूते हुए अविरल बहता था। इसी तरह यमुना टप्पल के गांव पीपली व घरबरा की दहलीज को छूते हुई निकलती थी। दोनों नदियों के किनारे पक्षियों के कलरव से यहां की रमणीयता देखते ही बनती थी। इन दोनों का क्षेत्र सिमटा जरूर है, पर आस्था कम नहीं हुई है। काली नदी की अपनी अलग खूबसूरती थी। 

बदहाल हैं जिले की नदियां 

करवन नदी के पानी से कभी  किसान खेतों की ङ्क्षसचाई करते थे।  बुलंदशहर-अलीगढ़ सीमा पर गांव मलेपुर से दाखिल हो रही नीम नदी की भी अलग मान्यता थी। अलीगढ़ ही नहीं, इटावा, मैनपुरी व कानपुर तक के लोग सेंगर नदी के मीठे पानी से प्यास बुझाते थे। कभी इसका नाम इशन नदी भी हुआ करता था। रुतबा नदी भी लोगों को जीवन देने का काम करती थी, लेकिन समय के साथ यह नदियां अवैध कब्जों से घिरती चली गईं। ये नङ्क्षदया पूरे साल एक-एक बूंद पानी को तरसती हैं। कहीं पर अवैध कब्जा है तो कहीं पर खेत बन गए हैं। 

पिछले साल हुई थी शुरुआत

पिछले साल प्रशासन ने चार नदियों की साफ-सफाई की योजना बनाई थी। करवन, नीम नदी, सेंगर व रुतबा नदी का सर्वे ड्रोन के माध्यम से कराया गया था। इसमें अवैध कब्जों को चिन्हित किया गया। इसके बाद मनरेगा के माध्यम से सफाई कराई गई।  आधी ही नदियों की सफाई हुई थी। काम पूरा होने से पहले बारिश का मौसम आ गया। ऐसे में काम रोकना पड़ा था। 

नदियों पर नजर 

7 नदियां प्रमुख हैं जिले मे 

4 नदियों की सफाई होनी है 

2 नदियों पर काम शुरू हो चुका है 

2 नदियों में सफाई कार्य इसी महीने होगा शुरू 

3 बड़ी नदियां हैं जिले में, इनमें गंगा, यमुना व काली नदी हैं  

जिले में मनरेगा मजदूर 

1 लाख 75 हजार पंजीकृत मनरेगा मजदूर हैं जिले में 

1 लाख 28 हजार सक्रिय मनरेगा मजदूर हैं 

30 हजार मनरेगा मजदूरों को हर रोज नदियां की सफाई में लगाया जा रहा है 

40 दिन में काम पूरा कराने का होगा प्रयास 

इनका कहना है

नीम व सेंगर नदी पर काम शुरू हो चुका है। रुतबा व करवन नदी पर जल्द  काम शुरू हो जाएगा। इसके पीछे मकसद अधिक से अधिक लोगों को रोजगार देना है। 

अंकित खंडेलवाल, सीडीओ

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