Aligarh Municipal Corporation : अफसरों के लिए मंगाई इलेक्ट्रिक कारों को दौड़ा रहे कर्मचारी
नगर निगम में इलेक्ट्रिक कारें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये मंगाई तो अफसरों के लिए गई थीं लेकिन इन्हें दौड़ा कर्मचारी रहे हैं। इनमें डीजल नहीं पड़ता तो खर्चे की चिंता भी नहीं है। एक बार बैट्री चार्ज हो जाए तो पूरे दिन दौड़ती है।
अलीगढ़, जेएनएन। नगर निगम में इलेक्ट्रिक कारें इन दिनों चर्चा का विषय बनी हुई हैं। ये मंगाई तो अफसरों के लिए गई थीं, लेकिन इन्हें दौड़ा कर्मचारी रहे हैं। इनमें डीजल नहीं पड़ता तो खर्चे की चिंता भी नहीं है। एक बार बैट्री चार्ज हो जाए तो पूरे दिन दौड़ती है। चुनिंदा कर्मचारियों का इन कारों में सवार होना कईयों को खटक रहा है। विभागीय अधिकारी भी ध्यान नहीं दे रहे। वे बोलेरो से ही फील्ड में निकलते हैं। डीजल का खर्च भी बढ़ रहा है।कर्मचारी निगम की कारों के लिए अधिकृत नहीं है। जो अधिकृत हैं, वे अधिकारी बोलेरो में घूम रहे हैं। सेवाभवन में इसको लेकर इन दिनों खूब चर्चाएं हो रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि आवश्यक कार्य के लिए कभी कभार कार से कर्मचारियों को भेजा जाता है। इलेक्ट्रिक कार किसी की सुपुर्दगी में नहीं दी गईं।
कारों के लिए अधिकृत नहीं कर्मचारी
नगर निगम में कानपुर की ट्रैवल एजेंसी से 16 लग्जरी गाड़ियां अधिकारियों के लिए किराए पर मंगाई गई थीं। इनमें बोलेरो का किराया 39 हजार रुपये व इनोवा का किराया करीब 50 हजार रुपये था। 2019 में तत्कालीन नगर आयुक्त सत्यप्रकाश पटेल ने निगम का खर्चा कम करने के लिए इलेक्ट्रिक कार मंगाने का निर्णय लिया। ईईएसएल कंपनी से अनुबंध कर कुछ समय बाद किराए पर छह इलेक्ट्रिक कार मंगा लीं। वहीं, सात बोलेरो वापस कानपुर भिजवा दी गईं। इलेक्ट्रिक कारें जोनल अधिकारी व विभागाध्यक्षों की सुपुर्दगी में दे दी गईं। इन्हीं कारों से अधिकारी फील्ड में निकलते। लेकिन पिछले कुछ समय से इन कारों में स्वच्छता निरीक्षक, स्टोर से जुड़े कर्मचारी नजर आ रहे हैं। जबकि, ये कर्मचारी निगम की कारों के लिए अधिकृत नहीं है। जो अधिकृत हैं, वे अधिकारी बोलेरो में घूम रहे हैं। सेवाभवन में इसको लेकर इन दिनों खूब चर्चाएं हो रही हैं। अधिकारियों का कहना है कि आवश्यक कार्य के लिए कभी कभार कार से कर्मचारियों को भेजा जाता है। इलेक्ट्रिक कार किसी की सुपुर्दगी में नहीं दी गईं।