एफडीसी पर रोक से दवाएं चार गुना तक महंगी, जानिए वजह Aligarh News

केंद्र सरकार की ओर से फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) यानि कई साल्ट से निर्मित दवाओं पर लगाई गई रोक का कुछ ऐसा ही परिणाम हुआ है।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Fri, 11 Oct 2019 01:55 PM (IST) Updated:Sat, 12 Oct 2019 02:52 PM (IST)
एफडीसी पर रोक से दवाएं चार गुना तक महंगी, जानिए वजह Aligarh News
एफडीसी पर रोक से दवाएं चार गुना तक महंगी, जानिए वजह Aligarh News

विनोद भारती, अलीगढ़ : कुछ का इलाज किया तो कुछ बीमार पड़ गए। केंद्र सरकार की ओर से फिक्स डोज कांबिनेशन (एफडीसी) यानि कई साल्ट से निर्मित दवाओं पर लगाई गई रोक का कुछ ऐसा ही परिणाम हुआ है। प्रतिबंध के बाद कंपनियों ने हर साल्ट की अलग दवा बनाना शुरू किया, जिससे कीमतें चार गुना तक बढ़ गईं। ऐसे में यह उन मरीजोंं की जेब को बीमार कर रही हैैं, जिन्हें फिक्स डोज की जरूरत है।

यह है दवा महंगी होने की वजह

केंद्र सरकार ने एफडीसी दवाओं पर रोक यह देखते हुए लगाई थी कि जिन मरीजों को कांबिनेशन साल्ट की जरूरत नहीं, उनको भी इसे लेना पड़ता था। इसका शरीर पर प्रतिकूल असर होता था। सरकार अपने इस उद्देश्य में तो सफल रही लेकिन इसके दूसरे परिणाम खराब निकले। जो प्रमुख दवाएं महंगी हुई हैैं, उनमें बहुत अधिक मांग वाली जीफी जेड टेबलेट सात से आठ रुपये में मिलती थी। अब इसमें शामिल सेफीक्सीन के लिए 12  एजीथ्रोमाइसिन के लिए 20 रुपये खर्च करने पड़ रहे हैं। यह एंटीबायोटिक दवा हैं, जो सर्दी-खांसी में बहुतायत में बिकती हैैं। मेकपोड एजेड टेबलेट 16-17 रुपये की आती थी। अब एजीथ्रोमाइसिन व सेफ्पोडोक्सीम के लिए 38-40 रुपये खर्च हो रहे हैं। जीफी टरबो टेबलेट भी 17 रुपये की आती थी, इसमें शामिल सीफीक्सीम व लीनेजोलाइड पर 30 रुपये तक खर्च होते हैं। यह भी एंटीबायोटिक दवा हैैं।

कांबिनेशन की सभी दवाओं पर रोक ठीक नहीं

केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के पूर्व कोषाध्यक्ष सुनील राना कहते हैं कि एफडीसी की दवा पर रोक का तर्क ठीक है, मगर जरूरी दवाएं महंगी न हों, यह भी देेखना चाहिए था। वहीं रिटेलर्स केमिस्ट एंड ड्रगिस्ट एसोसिएशन के महामंत्री उमेश श्रीवास्तव कहते हैैं कि कांबिनेशन की सभी दवाओं पर रोक ठीक नहीं, इससे सामान्य सर्दी, खांसी-जुकाम या संक्रमण की दवा पर ही 250-300 रुपये खर्च हो रहे हैं। इससे गरीब तबके के मरीजों को ज्यादा परेशानी हुई है। सरकार को कंपनियों पर अंकुश लगाना चाहिए, इन दवाओं को भी मूल्य नियंत्रण सूची में शामिल करना चाहिए।

328 दवाओं पर लगा था प्रतिबंध

भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार शरीर साथ छोड़ता नजर आता है। चाहे सिर दर्द हो, सर्दी-खांसी या बुखार। डॉक्टर की फीस और समय की बचत के लिए कई बार लोग केमिस्ट से सीधे दवा खरीदकर खा लेते हैं। पहले फटाफट आराम के लिए फिक्स डोज कांबिनेशन की दवाएं खूब बिकती थीं। ये दवाएं दो या दो से अधिक दवाओं को मिलाकर बनाई जाती थीं। जिनकी बिक्री पावरपुल एंटीबायोटिक के कांबिनेशन के रूप में होती थी। हालांकि, कुछ प्रतिबंधित दवाएं अभी भी बिक रही हैं।

ऐसे महंगी हुई दवाएं

दवा (कांबिनेशन),  पुरानी कीमत, नई कीमत 

- सेफोलेक एजेड, 14, 35

(सेफीक्सीम, एजीथ्रोमाइसिन),

- जीफी ओजेड, 10, 16

(सेफीक्सीम, आर्निडाजोल),

- जेनफ्लोक्स ओजेड, 8, 12.5

(जेनफ्लोक्स, ऑर्निडाजोल),

- ग्लेनसेफ एजेड 200एमजी, 18, 32

(सेफीक्सीम, एजीथ्रो.)

- ओ जेड, 12, 17

(ऑफ्लोक्सासीन, ऑर्निडाजोल)

- डीकोल्ड टोटल, 3, 6

(कैफीन, पैरासिटामोल, फिनाइलफेरिन)

 (नोट-दवा की कीमत रुपये में प्रति टेबलेट दी गई है।)

सेंट्रल नर्वस सिस्टम को प्रभावित कर रहीं थी दवाएं

फिजीशियन डॉ. नितिन गुप्ता का कहना है कि ज्यादा मात्रा में एंटीबायोटिक का इस्तेमाल शरीर के लिए खतरनाक होता, इसलिए सरकार ने इन दवाओं पर रोक लगाई? सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर असर होता है और ये लीवर के लिए भी नुकसानदायक होता हैण् एफडीसी से तैयार होने वाले एंटीबायोटिक के ज्यादा सेवन से हार्ट अटैक का खतरा बढ़ जाता है।

महंगी दवा बेचने की होगी जांच

औषधि निरीक्षक हेमेंद्र चौधरी का कहना है कि फिक्स डोज कांबिनेशन की दवाओं पर रोक है। यदि एमआरपी के नाम पर दवाएं महंगी बेची जा रही हैं, तो उसकी जांच की जाएगी।

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