गांवों में गंदगी, खजाना हो रहा 'साफ'

नियुक्ति के बाद भी काम करने नहीं पहुंचे रहे सफाईकर्मी। कुछ सफाईकर्मी तो आदेश के बाद जमे हुए हैं सरकारी कार्यालय में।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 24 Oct 2020 05:59 PM (IST) Updated:Sat, 24 Oct 2020 05:59 PM (IST)
गांवों में गंदगी, खजाना हो रहा 'साफ'
गांवों में गंदगी, खजाना हो रहा 'साफ'

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी गांव देहात में साफ-सफाई पर भले ही करोड़ों रुपये खर्च कर रहे हों, लेकिन जिले में साफ-सफाई का बुरा हाल है। नियुक्ति के बाद भी सफाई कर्मी गांवों नहीं पहुंच रहे हैं। गांव तो साफ नहीं हो सके, हर माह वेतन निकलने से खजाना जरूर 'साफ' हो रहा है।

2008 से हुई थी शुरुआत : सितंबर 2008 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने शहर व कस्बों की तरह गांवों में साफ- सफाई के लिए कर्मचारी रखने की घोषणा की थी। इनकी नियुक्ति में प्रावधान था कि उसी गांव के युवा को यह जिम्मेदारी दी जाएगी, ताकि समय से कार्य कर सके। उस गांव में कोई तैयार नहीं होता है तो पड़ोसी गांव के युवक को नियुक्त किया जा सकता है। अलीगढ़ जिले में 902 ग्राम पंचायतें हैं। इनमें कुछ बड़ी हैं, जहां दो-दो कर्मचारियों की नियुक्ति की गई। कुल 1044 कर्मचारी तैनात किए गए। अब इनकी संख्या 1041 रह गई है।

नहीं पहुंच रहे काम पर : कई साल पहले कुछ सफाईकर्मियों को सरकारी कार्यालयों में संबंद्ध कर दिया गया था, लेकिन यहां इनको मलाईदार पटलों का चस्का लग गया। शासन से कई बार इन्हें हटाने के आदेश आए, लेकिन कोई हटा नहीं सका। पिछले दिनों हाईकोर्ट ने तत्काल हटाने के निर्देश दिए। इस पर जिले में भी करीब 40 से अधिक सफाईकर्मी हटाए गए, लेकिन अधिकांश ने सफाई काम नहीं संभाला है।

हर कर्मचारी को वेतन : नियुक्ति के समय सफाई कर्मचारियों का वेतन कम था। यह बढ़ता गया और आज एक कर्मचारी को 20 हजार रुपये से अधिक मिलते हैं। बोनस अलग से आता है। इसके बाद भी गांवों में सफाई न होने की शिकायतें लगातार जिला पंचायत राज अधिकारी के पास पहुंचती हैं।

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तैनाती स्थल से गायब रहने वाले कर्मचारियों पर तत्काल कार्रवाई होती है। सभी सफाईकर्मियों को सरकारी कार्यालयों से हटा दिया गया था। अगर वे आवंटित गांव में नहीं पहुंच रहे हैं तो जांच कराकर कार्रवाई होगी।

पारुल सिसौदिया, डीपीआरओ

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