Breaking : फर्जी टिकट घोटाले में रोडवेज के सात चालक-परिचालकों की संविदा समाप्त

करोड़ों रुपये के इस घोटाले में जांच के बाद तीन चालक और चार परिचालकों की संविदा समाप्त कर दी गई है। एआरएम की इस कार्रवाई से विभागीय कर्मचारियों में खलबली मची हुई है।

By Parul RawatEdited By: Publish:Thu, 20 Aug 2020 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 20 Aug 2020 08:11 PM (IST)
Breaking : फर्जी टिकट घोटाले में रोडवेज के सात चालक-परिचालकों की संविदा समाप्त
Breaking : फर्जी टिकट घोटाले में रोडवेज के सात चालक-परिचालकों की संविदा समाप्त

अलीगढ़, जेएनएन। हाथरस रोडवेज में हुए फर्जी टिकट घोटाले में सात संविदाकर्मियों पर गाज गिर गई है। करोड़ों रुपये के इस घोटाले में जांच के बाद तीन चालक और चार परिचालकों की संविदा समाप्त कर दी गई है। एआरएम की इस कार्रवाई से विभागीय कर्मचारियों में खलबली मची हुई है। अभी कुछ और कर्मचारी भी रडार पर हैं। उन पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। हालांकि विभागीय अधिकारी लोड कार्रवाई के बारे में कुछ कहने से बच रहे हैं।

ऐसे किया था घोटाला

उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम के आगरा व अलीगढ़ परिक्षेत्र में टिकटों के फर्जीवाड़े को लेकर पिछले करीब 10 साल से चालक-परिचालक गिरोह सक्रिय था। इसकी शिकायत पूर्व संविदा चालक पंकज लवानिया ने की थी। अगस्त 2018 में अलीगढ़-मथुरा रोड पर मथुरा डिपो की बस में रोडवेज के अधिकारियों ने चेक किया था। चेकिंग के दौरान टीम ने यात्रियों को गिना तथा ईटीएम चेक की। कई लोग ऐसे थे जिनकी टिकट नहीं काटी गई थी। यात्रियों ने बताया था कि टिकट से कम रुपये परिचालक को दिए गए हैं। वहीं कुछ यात्रियों पर टिकट के नाम पर रूट स्लिप दी गई थी। इसके बाद जांच में परतें खुलने के बाद रोडवेज के 65 अधिकारियों और कर्मचारियों पर गाज गिरी थी। इनमें 27 संविदा के चालक व परिचालक भी शामिल थे।

सेवा मुक्त कर दिए थे दो नियमित कर्मचारी

घोटाले के मास्टरमाइंड हाथरस डिपो के नियमित कर्मचारी मेघ सिंह बाबू व देवेंद्र सिंह परिचालक को संदेह के घेरे में लेकर उनकी जांच हुई थी। यह मेरठ में कुछ दिनों जेल में भी रहकर आए थे। उसी समय से यह निलंबित चल रहे थे। जांच के बाद इनमें से मेघ सिंह को इसी वर्ष 21 मार्च 2020 व देवेंद को 29 मार्च 2020 को सेवा से मुक्त कर दिया गया।

हाइकोर्ट ने दिए थे यथास्थिति के आदेश

टिकटों के फर्जीवाड़े प्रकरण में संविदा के 27 कर्मचारियों को पकड़ा गया था। इनमें अलीगढ व मथुरा के अलावा 11 चालक व परिचालक हाथरस डिपो के शामिल थे। इनकी उसी समय तत्कालीन एआरएम द्वारा संविदा समाप्त कर दी गईं। इसे लेकर सभी हाईकोर्ट चले गए। कोर्ट ने उनकी नौकरी की यथास्थिति रखते हुए जांच करने के निर्देश दिए थे। इसके बाद प्रकरण की जांच कासगंज के एआरएम संजीव यादव कर रहे थे।

जांच में दोषी पाए जाने पर कार्रवाई

हाथरस रोडवेज के 11 संविदाकर्मचारियों की जांच जारी है। इनमें से सात कर्मचारी जांच में दोषी पाए गए हैं। वह संतोषजनक जवाब भी नहीं दे पाए। जांच रिपोर्ट में दोषी पाए जाने के बाद नियुक्ति प्राधिकारी हाथ्रस की एआरएम शशिरानी ने सात कर्मियों की संविदा समाप्त कर दी। संविदा समाप्ति वाले चालकों में गुड्डू कुमार, धर्मेंद्र कुमार, चंद्रवीर एवं परिचालकों में विमल कुमार, कृ़ष्णमुरारी, वतन चौधरी, सतेंद्र कुमार शामिल हैं। जांच में गुड्डू कुमार को 63 हजार रुपये, विमल कुमार को 1.18 लाख रुपये समेत अन्य कर्मियों को भी लाखों रुपये की आर्थिक हानि पहुंचाने का दोषी पाया गया है। इसकी रिकवरी के लिए संविदाकर्मियों के समस्त देयकों को भुगतान जब्त कर लिया है। शेष चार कर्मियों पर भी कार्रवाई तय मानी जा रही है। शशिरानी, एआरएम हाथरस डिपो का कहना है कि उक्त संविदा चालक व परिचालकों पर कम लोड फेक्टर से आर्थिक हानि पहुंचाने का आरोप था। इसकी जांच में दोषी पाए जाने पर सात चालक व परिचालकों की संविदा समाप्त कर दी गई हैं। व्यवस्था के सुधार के लिए अन्य कर्मचारियों को चेतावनी दी गई है।

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