बायोडायवर्सिटी पार्क योजना को लगेंगे पंख,ये होंगे फायदे Aligarh news
गुरसिकरन वन क्षेत्र में पांच साल पहले शुरू हुई बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता केंद्र) बनाने की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है।
अलीगढ़ [विनोद भारती] : गुरसिकरन वन क्षेत्र में पांच साल पहले शुरू हुई बायोडायवर्सिटी पार्क (जैव विविधता केंद्र) बनाने की योजना धरातल पर नहीं उतर पाई है। शासन के आदेश पर वन विभाग ने 2015 में ही जैव विविधता (पशु-पक्षी, जीव-जंतु, वनस्पति, जलीय जीवों आदि) का सर्वेक्षण कराकर प्रस्ताव उत्तर प्रदेश बायो डायवर्सिटी बोर्ड को भेज दिया था। अब पर्यावरण प्रेमियों व विद्यार्थियों की मांग पर वन विभाग ने पुन: प्रस्ताव भेजने की बात कही है। कवायद रंग लाई तो योजना को पंख लग जाएंगे।
ये थी योजना
किसी शहर या गांव में कितनी प्रजातियों के पेड़ या पशु-पक्षी हैं। तालाब की मछलियों या कीट-पतंगों में कितनी विविधता है। किस पौधे की किस क्षेत्र में क्या मान्यता है? उसके क्या गुण हैं? यह संबंधित क्षेत्र के निवासियों व किसी अन्य के लिए पता लगाना मुश्किल होता था। इस जैव विविधता से हर कोई वाकिफ हो, इसके लिए गुरसिकरन की 638 एकड़ भूमि पर बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने का प्रस्ताव भेजा गया। सर्वेक्षण के लिए वन विभाग ने पांच सदस्यीय बायो डायवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटी भी गठित की। एएमयू के संबंधित विभागों का भी सहयोग लिया गया। सर्वेक्षण में 200 प्रकार की वनस्पति व 150 प्रकार के जीव-जंतु सूचीबद्ध किए गए।
मिलती अंतरराष्ट्रीय पहचान
बायो डायवर्सिटी पार्क का प्रोजेक्ट महत्वपूर्ण है। पर्यटक, शिक्षक व विद्यार्थी यहां वन्य जीव के दर्शन व अध्ययन के लिए आते तो इसे अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचाना जाता। वन क्षेत्र का भी विस्तार होता।
सरकार की ऊहापोह : गुरसिकरन की भूमि को लेकर सरकार ऊहापोह में रही। एक तरफ बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने की पहल की तो दूसरी तरफ स्टेडियम बनाने की मंशा जताई। बायो डायवर्सिटी मैनेजमेंट कमेटी के पूर्व परामर्शदाता रंजन राजा का कहना है कि ग्रीन ट्ब्ब्यूनल ने भूमि को वन विभाग की देखरेख में रखने के निर्देश दिए हैैं। अब पार्क बनने का रास्ता निकल सकता है। डीएफओ एनपी उपाध्याय का कहना है कि पर्यावरण प्रेमी व विद्यार्थी इसे लेकर उत्साहित हैं तो पुरानी फाइलों का अध्ययन करूंगा। प्रस्ताव दोबारा भेजा जाएगा।