आशा कर्मियों को नहीं मिला कोरोना ड्यूटी का मानदेय Aligarh news

उनके लिए अतिरिक्त मानदेय व सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं वहीं योद्धा की तरह घर-घर स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जुटी शहरी आशा कर्मियों को चार माह से प्रोत्साहन राशि तक नहीं मिली है।

By Parul RawatEdited By: Publish:Tue, 21 Jul 2020 06:50 PM (IST) Updated:Tue, 21 Jul 2020 06:50 PM (IST)
आशा कर्मियों को नहीं मिला कोरोना ड्यूटी का मानदेय Aligarh news
आशा कर्मियों को नहीं मिला कोरोना ड्यूटी का मानदेय Aligarh news

अलीगढ़, [जेएनएन]। एक तरफ तो कोरोना काल में ड्यूटी करने के लिए डाॅक्टरों व पैरामेडिकल स्टाफ को प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनके लिए अतिरिक्त मानदेय व सुविधाएं बढ़ा दी गई हैं, वहीं योद्धा की तरह घर-घर स्वास्थ्य सर्वेक्षण में जुटी शहरी आशा कर्मियों को चार माह से प्रोत्साहन राशि तक नहीं मिली है। ट्रेनिंग, पोलियो व आयुष्मान योजना का भी लाखों रुपया बकाया है। फिर भी, आशा कर्मियों की कोई सुनने तक को तैयार नहीं।

तमाम कष्ट उठाकर ड्यूटी 

जनपद में अलीगढ़ व अतरौली शहर में करीब 417 कर्मियों की नियुक्ति है। ज्यादा पढ़ी लिखी न होने के कारण ये महिला कर्मी कम मानदेय के बावजूद स्वास्थ्य विभाग में ड्यूटी कर रही है। फिक्स मानदेय की बात करें तो बामुश्किल दो हजार रुपये ही हिस्से में आता है। बदले में स्वास्थ्य विभाग की तमाम योजनाअों में इनसे काम लिया जा रहा है। संस्थागत प्रसव की दर बढ़ाने में आशा कर्मियों की अहम भूमिका है। जानकारी के अनुसार अलग-अलग कार्यों के लिए आशा कर्मियों को प्रोत्साहन राशि दी जाती है, जिससे ये अपने बच्चों का भरण-पोषण करती हैं। कोई अपने दुधमुए बच्चे को घर छोड़कर ड्यूटी करती है तोे कोई बीमार बच्चों को। अफसोस, आशा कर्मियों को मानदेय व अन्य कार्यों के लिए मिलने वाली धनराशि पर हमेशा बाबुअों व अन्य संबंधित कर्मियों की नजर रहती है।

मानदेय के लिए अफसरों से गुहार

आशा कर्मियों ने नाम ने छापने की शर्त पर बताया कि चार माह से कोरोना ड्यूटी कर रही हैं। चार-पांच बार स्वास्थ्य सर्वेक्षण हो चुका है। क्षेत्र में घर-घर पूछताछ के दौरान लोग अभद्रता तक करते हैं। मास्क व सैनिटाइजर तक नहीं दिया। फिर भी जान जोखिम में डालकर ड्यूटी कर रही हैं। कई आशा कर्मी व उनका परिवार कोरोना की चपेट में आ चुका है। हम हर परस्थिति में जैसे-तैसे काम कर भी ले, मगर विभाग हमें बच्चों-परिवार का पेट भरने के लिए पैसा तो दे। उन्होंने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र की आशा कर्मियों को कोरोना का पैसा मिल भी चुका है, मगर शहरी क्षेत्र में किसी को फूटी कौड़ी नहीं मिली है।

डीएम से भी शिकायत

सामाजिक स्वास्थ्य कार्यकर्ता त्रिलोकी नाथ गौड़ ने डीएम को भेजे पत्र में कहा है कि स्वास्थ्य विभाग में 779 नई आशा कर्मियों का नौ लाख रुपये प्रशिक्षण (2018-2019) का, 10 लाख रुपये पोलियो वैक्सीनेटरों का, 10 लाख रुपये आयुष्मान भारत का बकाया है। महिला आरोग्य समितियों को हर साल भारत सरकार से मिलने वाली पांच-पांच हजार रुपये की धनराशि डरा-धमकाकर हजम कर ली जाती है। पूर्व में आशा कर्मियों के मोबाइल-सिम आए थे। आज तक मोबाइल नहीं मिले। आशा कर्मियों का पिछले बकाया, किन कारणों से रुका है, उसकी जांच कराई जाएगी। कोरोना काल का पैसा जल्द से जल्द खातों में पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है।- भानुप्रताप सिंह कल्याणी, सीएमअो।

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