एएमयू बवाल : पर्दे के पीछे से दहशत को कौन दे रहा हवा?Aligarh News

एएमयू में उपद्रव पहले भी होते रहे हैं। पथराव फायरिंग पुलिस से टकराव यहां तक की गिरफ्तारियां हुईं छात्र घायल भी हुए लेकिन इसकी आग कभी शहर के अंदर नहीं फैली।

By Sandeep SaxenaEdited By: Publish:Tue, 17 Dec 2019 11:17 AM (IST) Updated:Wed, 18 Dec 2019 09:12 AM (IST)
एएमयू बवाल : पर्दे के पीछे से दहशत को कौन दे रहा हवा?Aligarh News
एएमयू बवाल : पर्दे के पीछे से दहशत को कौन दे रहा हवा?Aligarh News

अलीगढ़ [जेएनएन]। एएमयू में उपद्रव पहले भी होते रहे हैं। पथराव, फायरिंग, पुलिस से टकराव, यहां तक की गिरफ्तारियां हुईं, छात्र घायल भी हुए, लेकिन इसकी आग कभी शहर के अंदर नहीं फैली। लेकिन रविवार रात कैंपस में जो आग लगी, उसने शहर को भी सुलगा दिया। सोमवार को तनावपूर्ण माहौल में सुबह हुई तो शाम दहशत में ढली। इस बीच जगह-जगह विरोध-प्रदर्शन, जुलूस, बाजार बंदी, नारेबाजी की गई। इस पूरे घटनाक्रम में खास बात ये रही कि जहां भी भीड़ जुटी, उसका नेतृत्व करने वाला कोई चर्चित चेहरा नहीं था। जो चेहरे सामने थे, वे वहीं के स्थानीय लोग थे। वे नागरिकता कानून का विरोध कर रहे थे। यही वजह रही प्रशासन के हड़काने से पीछे हट गए। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि शहर के अंदर विरोध को कहीं न कहीं से हवा मिली है।

बैकडोर से उकसा रहे लोग

कानून लागू हुए हफ्ताभर बीत चुका है, तब विरोध केवल विपक्षी पार्टियों तक सीमित रहा। आमजन शामिल नहीं थे। अब रिहायशी इलाकों से लेकर बाजारों में विरोध होना इन्हीं आशंकाओं को बल दे रहा है। खुफिया तंत्र अब उन तत्वों को तलाश रहा है, जो बैकडोर से लोगों को उकसा रहे हैं। माना ये भी जा रहा है कि नागरिकता कानून के विरोध में जो लोग खुलकर सामने नहीं आ पाए थे, वे भीड़ का नेतृत्व कर माहौल बिगाड़ रहे हैं।

जनाक्रोश था तो एएमयू बवाल के बाद क्यों?

एएमयू कैंपस और इससे सटे जमालपुर क्षेत्र में दूसरे दिन हुए घटनाक्रम पर नजर डालें तो स्थिति स्पष्ट थी कि प्रदर्शन के पीछे एएमयू छात्र रहे। लेकिन बाकी स्थानों पर भीड़ का नेतृत्व किसने किया, ये कोई नहीं भांप सका। दोदपुर पर तो सैकड़ों महिलाएं सड़क पर उतर आईं और नागरिकता कानून का विरोध जताने लगीं। यहां पहले कभी विरोध नहीं हुआ। लालडिग्गी, रसलगंज, सराय सुल्तानी, ऊपरकोट, सराय रहमान में स्थिति देखें तो भीड़ अचानक निकली और विरोध जताकर पुलिस व प्रशासन के समझाने, हड़काने पर वापस चली गई। इन लोगों के बीच किसी भी पार्टी का कोई बड़ा नेता, प्रतिनिधि नहीं था, न ही कोई प्रतिष्ठित व्यक्ति ही सामने आया। जो लोग सड़कों पर निकले, वे कानून का विरोध कर एएमयू छात्र व जो अन्य लोग गिरफ्तार हुए हैं। उन पर कार्रवाई न करने की मांग भी करने लगे। इस भीड़ का एएमयू प्रकरण से सीधा कोई मतलब नहीं था। अगर, ये जनाक्रोश था तो एएमयू बवाल के अगले ही दिन क्यों, यदि नहीं तो इस आक्रोश को भड़काने में कौन मददगार था? ये वो सवाल हैं जिनके जवाब सुरक्षा एजेंसियां तलाश रही हैं।

नेताओं के दौरे पर निगाहें

शहर में जहां-जहां विरोध के सुर फूटे हैं, उन इलाकों में नेताओं के दौरे पर खुफिया तंत्र ने निगाह गड़ा दी हैं। पता ये भी किया जा रहा है कि सोमवार को इन क्षेत्रों में कोई नेता या संदिग्ध व्यक्ति तो नहीं आया। अगर पहुंचा था तो किन लोगों से संपर्क किया। ऐसा इसलिए भी किया जा रहा है कि घटनाक्रम की पुनरावृत्ति न हो।

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