समाजसेवा ही गुरु जी की थी सच्ची तपस्या

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : स्वामी चेतनानंद सरस्वती वास्तविक रूप में संत थे। उन्होंने सामाजिक मूल्यों

By Edited By: Publish:Wed, 01 Jul 2015 02:23 AM (IST) Updated:Wed, 01 Jul 2015 02:23 AM (IST)
समाजसेवा ही गुरु जी  
की थी सच्ची तपस्या

जागरण संवाददाता, अलीगढ़ : स्वामी चेतनानंद सरस्वती वास्तविक रूप में संत थे। उन्होंने सामाजिक मूल्यों को समझा, व्यवहारिकता को जीवन में उतारा, फिर सामाजिक परिवर्तन में जुट गए। उनके इस कार्य से हजारों लोग लाभांवित हुए। संत की यही तो परिभाषा है। यह बातें कासगंज स्थित सोरों कचला घाट से आए संत रत्नानंद ने कही। उन्होंने कहा कि चेतन आश्रम के संस्थापक चेतनानंद सरस्वती का जीवन ऐसा ही था। उन्होंने सामाजिक बुराइयों को दूर करना, दूसरों को मुश्किलों से निकलना उसे ही सच्ची साधना समझी। सपा के पूर्व जिलाध्यक्ष डॉ. रक्षपाल सिंह ने कहा कि गुरु जी का सेवाकार्य उनके व्यक्तित्व व कृतित्व दोनों में छलकता था। दैनिक जागरण के सीनियर यूनिट मैनेजर अजय तोमर ने कहा कि व्यक्ति के जीवन में गुरु की आवश्यकता हर समय पड़ती है,यदि किसी को सच्चा गुरु मिल गया तो उसका जीवन धन्य हो जाता है। ठा. श्यौराज सिंह ने कहा कि गुरु चेतनानंद सरस्वती ने रावणटीला क्षेत्र को बदलकर रख दिया। यह यहां के लोगों का सौभाग्य है कि उन्हें ऐसे संत का सानिध्य मिला। दैनिक जागरण अलीगढ़ के संपादक मुकेश कुमार ने कहा कि गुरुजी का निश्छल, पवित्र व निष्कपट भाव था। उनके पास बैठने के बाद तो समय ही नहीं पता चलता था। महंत मनोज मिश्र ने कहा कि सेवाकार्यो से उन्होंने लोगों का जीवन बदल दिया। चेतना आश्रम समिति के अध्यक्ष मानव महाजन ने कहा कि गुरु जी दूरगामी सोचते थे, जिसका परिणाम सकारात्मक निकलता था। इससे पहले दिन में श्रद्धालुओं ने यज्ञ में आहुति दी। शाम को भंडारे में श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया। संचालन अनिल सेंगर ने किया। कार्यक्रम में डॉ. मुकेश शर्मा, सतेंद्र कुमार अग्रवाल, वीरेंद्र सिंह, शरद कुमार, श्रीदेवी, सुधा, साधना, सचिव, डब्बू, हरिओम शर्मा, ऋषिपाल सिंह आदि मौजूद थे।

'गुरु स्मृति' पत्रिका का विमोचन

चेतन आश्रम की संचालिका व गुरु जी की शिष्या साध्वी पुनीता चेतन द्वारा लिखित 'गुरु स्मृति' पत्रिका का विमोचन स्वामी रत्नानंद ने किया। साध्वी पुनीता चेतन ने कहा कि पत्रिका में गुरुजी के सामाजिक कार्यो को महत्ता दी गई है। क्योंकि उनका जुड़ाव उन्हीं कार्यो से था।

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