ताज की तरह ही खिला रहेगा समाध पर लगे संगमरमर का हुस्न, अपनाया ये तरीका...

वेपर तकनीक से हुआ करेगी सफाई। मंगाई गईं तीन स्टीम मशीन। संसद भवन पर भी अपनाई थी ये तकनीक।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 10 Nov 2018 12:41 PM (IST) Updated:Sat, 10 Nov 2018 12:41 PM (IST)
ताज की तरह ही खिला रहेगा समाध पर लगे संगमरमर का हुस्न, अपनाया ये तरीका...
ताज की तरह ही खिला रहेगा समाध पर लगे संगमरमर का हुस्न, अपनाया ये तरीका...

आगरा, [निर्लोष कुमार]: जैसे ताजमहल पर लगा संगमरमर चमकदार है। वैसा ही हुस्न पवित्र समाध पर लगे संगमरमर का रहेगा। राधास्वामी मत के प्रवर्तक परम पुरुष पूरन धनी स्वामीजी महाराज की पवित्र समाध की सफाई वेपर तकनीक से की जाएगी। इससे समय की मार और धूल कणों की वजह से गंदा हुआ संगमरमर साफ हो जाएगा। इस अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल संसद भवन की सफाई में सफलतापूर्वक किया जा चुका है। इसके लिए तीन स्टीम मशीनें मंगाई जा रही हैं।

राधास्वामी मत के प्रवर्तक स्वामीजी महाराज की स्वामीबाग स्थित पवित्र समाध का निर्माण वर्ष 1904 में शुरू हुआ था। 114 वर्र्षों की अथक साधना के उपरांत इस वर्ष समाध के गुंबद के बनने के बाद उस पर कलश लगाने का काम पूरा हुआ। इतने लंबे समय से निरंतर काम चलने और वायु प्रदूषण बढऩे पर धूल कणों की वजह से समाध में लगे संगमरमर पर कई जगह धब्बे लगे नजर आते हैं। इन्हें साफ करने के लिए वेपर तकनीक इस्तेमाल में लाई जाएगी। पिछले वर्ष भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) और इंटेक की देखरेख में संसद भवन की सफाई की गई थी। इसमें संसद भवन की बाहरी दीवारों और रेड सैंड स्टोन के खंभों को साफ कर दाग हटाए गए थे।

क्या है वेपर तकनीक

इसमें पानी को वाष्प बनाकर एक विशेष तरह के साबुन की मदद से निर्धारित प्रेशर से पत्थरों पर डाली जाती है। इससे पत्थरों की धुलाई के साथ एक खास तरह की कोटिंग भी उन पर हो जाती है। इससे भवन का कोई भी हिस्सा खराब या क्षतिग्रस्त नहीं होता है।

ताज के लिए भी हुआ था विचार

ताज में सैलानियों के स्पर्श की वजह से हाथों में लगा पसीना, ऑयल और गंदगी संगमरमर में अंदर तक प्रवेश कर गया है। इसकी वजह से उसका धवल संगमरमर गंदा नजर आता है। ताज में भी वेपर तकनीक के इस्तेमाल पर विचार किया गया था, लेकिन मशीनों के प्रयोग से बचने को मडपैक ट्रीटमेंट किया गया। मडपैक ट्रीटमेंट से संगमरमर की ऊपरी सतह तो साफ हो गई, लेकिन उसकी अंदर तक पहुंची गंदगी साफ नहीं हो सकी।

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