'जहर' पर चुप्पी और 'मौतों' पर कोहराम, पढ़ें जहरीली शराब की बिक्री की सचाई

परचून की दुकानों और खोखा से हर दिन एक करोड़ रुपये की अवैध तरीके से बिकती है शराब। हादसे के बाद आबकारी विभाग की खुलती है आंख।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sat, 09 Feb 2019 01:18 PM (IST) Updated:Sat, 09 Feb 2019 01:18 PM (IST)
'जहर' पर चुप्पी और 'मौतों' पर कोहराम, पढ़ें जहरीली शराब की बिक्री की सचाई
'जहर' पर चुप्पी और 'मौतों' पर कोहराम, पढ़ें जहरीली शराब की बिक्री की सचाई

आगरा, अमित दीक्षित। फतेहाबाद का चमरपुरा गांव हो या फिर किरावली का सिंगारपुर व बाह का विष्णुपुरा। यह ऐसे गांव हैं। जहां हर दिन कच्ची व जहरीली शराब बनती है। 10 रुपये में एक ग्लास (200 एमएल) शराब की बिक्री होती है। स्थानीय स्तर पर इसकी खपत होती है। जबकि हर दिन बड़े पैमाने पर गैर राज्यों और जिलों से भी शराब आती है। परचून की दुकानों और खोखा से शराब की बिक्री होती है। सहारनपुर हादसे के बाद आबकारी विभाग की नींद खुली है।

जिले में हर दिन एक करोड़ रुपये अवैध तरीके से शराब बिकती है। मध्य प्रदेश, राजस्थान और हरियाणा से शराब यहां आती है। जिलों की बात की जाए तो एटा सहित अन्य से भी हर दिन बड़ी मात्रा में कच्ची व जहरीली शराब आती है। जिले में कच्ची व जहरीली शराब की बिक्री न हो, इसकी निगरानी के लिए आबकारी विभाग ने टीम गठित कर रखी है। इस साल टीम ने कहीं पर भी चेकिंग नहीं की। न ही किसी को पकड़ा है। आबकारी विभाग की लचर कार्यशैली का फायदा शराब तस्कर उठा रहे हैं। शराब बेचने के लिए परचून की दुकानों व झोपडिय़ों का सहारा लिया जाता है। जहां से कच्ची शराब की बिक्री की जा रही है। अगर ग्रामीण शराब की कीमत अदा नहीं करते हैं तो उन्हें उधार में शराब दे दी जाती है। सूत्रों के अनुसार कच्ची शराब को ड्रम में भरकर घर या फिर खेत में गाढ़ दिया जाता है। फिर जरूरत के हिसाब से शराब को निकाल कर बेचा जाता है।

जितना नशा, उतनी अधिक बिक्री

कच्ची शराब को पीने वाले न तो ब्रांड देखते हैं और न ही उसकी पैकिंग। उन्हें तो बस अधिक से अधिक नशा चढऩा चाहिए। कम नशा होने पर शराब की बिक्री में कमी आने लगती है। इसी के चलते शराब में अधिक नशा हो, इस पर ध्यान दिया जाता है। शराब को खराब गुड़ से तैयार किया जाता है। उसे नशीला बनाने के लिए यूरिया व अन्य केमिकल मिलाए जाते हैं। केमिकल मिलने से शराब जहरीली कब बन गई। इसकी जानकारी नहीं हो पाती है।

आखिर किस काम की विजीलेंस टीम

शराब की तस्करी को रोकने के लिए आबकारी विभाग की विजीलेंस टीम है। इस साल टीम ने एक भी कार्रवाई नहीं की है। यह टीम पूरी तरह से फेल हो गई है। जिन गांवों में शराब बन रही है। उसकी जानकारी विजिलेंस को नहीं है।

इन तहसीलों में बन व बिक रही शराब

- फतेहपुरसीकरी : दाउदपुर, सामरा, उत्तू, जाजौली, चौमाशाहपुर, महदऊ, औलेण्डा, डाबर, मंगोलीकला।

- किरावली : कौरई, श्रृंगारपुर, अछनेरा, मनीरा।

- खेरागढ़ : पीपलखेड़ा, जाजऊ, चाणी, भाभर।

- फतेहाबाद : डौकी, चमरपुरा, बरौली गूजर, सदलियापुर

- बाह : विष्णुपुरा।

जहरीली शराब से 12 मौतों पर हिल गया था आगरा

जहरीली शराब का चार वर्ष पहले यहां कहर बरपा था। 12 मौतों ने प्रशासन को हिलाकर रख दिया। इसके बाद ताबड़तोड़ कार्रवाई भी हुई। सहारनपुर में जहरीली शराब से हुई मौतों के बाद एक बार फिर पुरानी यादें ताजा हो गईं। शमसाबाद के गढ़ी खांडेरावपुरा में 26 जून 2015 को सरदार सिंह और छोटेलाल की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई थी। इसके बाद जहरीली शराब का प्रकोप बढ़ता गया। शमसाबाद में और कई लोगों की मौत के बाद खंदौली में जहरीली शराब से मौत का मामला सामने आया। यहां एटा से आई शराब की खेप ढाबे और परचून की दुकान से बिक रही थी। इसे पीने से आधा दर्जन लोगों की जान चली गई। आगरा में हुई मौतों से प्रदेशभर में खलबली मच गई। इसके बाद आबकारी विभाग पर गाज गिरी। तत्कालीन जिला आबकारी अधिकारी समेत 11 लोगों को निलंबित कर दिया गया। साथ ही उनके अलग-अलग तबादले भी कर दिए। पुलिस ने अभियान चलाकर हर थाना क्षेत्र में अवैध शराब बेचने वालों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया। कुछ समय तक सख्ती रहने से इस पर अंकुश लगा। मगर, अब फिर से गांवों में अवैध शराब की बिक्री हो रही है। 

इनकी हुई थी मौत 

26 जून 2015 - शमसाबाद के गढ़ी खांडेरावपुरा में सरदार सिंह और छोटेलाल की मौत। 

28 जून 2015- शमसाबाद के इसौली का पुरा निवासी कंचन सिंह की मौत हो गई। जबकि कई अन्य की आंखों की रोशनी चली गई। 

2 जुलाई 2015- खंदौली के अमर ढाबे के कर्मचारी हरिप्रसाद की मौत, लावारिस में अंतिम संस्कार। 

3 जुलाई 2015- शमसाबाद के इसौली निवासी सुनील और इसौली का पुरा निवासी खेमचंद की मौत। 

3 जुलाई 2015- खंदौली में उजरई निवासी मनोहर सिंह ने दम तोड़ा। 

4 जुलाई 2015- खंदौली के अजीतगढ़ गांव के शीतगृह में पल्लेदार सुरजीत और गनेश की मौत हो गई। 

5 जुलाई 2015 - खंदौली के लालगढ़ी में कन्हैया की शराब ने ली जान।

7 जुलाई 2015- खंदौली के प्रभात कोल्ड स्टोरेज में काम करने वाले पल्लेदार दुर्योधन और मलपुरा के जूता कारीगर बाबूलाल की गई जान। 

एटा के अलीगंज में मचा था कोहराम

16 जुलाई 2016 को जहरीली शराब ने अलीगंज में ऐसा कोहराम मचाया कि उसका दंश आज भी पीडि़त परिवार भूल नहीं पा रहे हैं। भरापुरा के नेत्रपाल और सर्वेश हों या नगला बालकिशन के रामौतार। या फिर लुहारी दरवाजा के अतीक और हरीङ्क्षसहपुर के चरन ङ्क्षसह। शराब कांड में मारे गए इन लोगों के परिवार जहरीली शराब का दंश आज भी भुगत रहे हैं। कई परिवार तो ऐसे थे जिनमें कोई कमाने वाला नहीं रहा, कई लोगों की आंखों की रोशनी कम हो गई और महीनों तक उन्हें अस्पताल में रहना पड़ा।

बदनाम हैं ये गांव

जिला मुख्यालय से सटे गांव नगला शीशिया, नगला मुरली, नगला मदिया, हीरापुर, ङ्क्षहदूनगर, रारपट्टी, नगला गोकुल, जैथरा क्षेत्र के गांव टपुआ, छोटी जरारी तथा काली नदी के किनारे बसे तमाम गांवों में कच्ची शराब का धंधा होता है।

फीरोजाबाद के पचोखरा में हुई थी तीन युवकों की मौत

वर्ष 2012 में पचोखरा के गांव अधैत में गांव के सुजान, अवधेश और दिनेश ने रात में शराब पी। शराब इतनी जहरीली थी कि तीनों की वहीं मौत हो गई थी। इस घटना के दूसरे दिन पचोखरा निवासी सुल्तान ङ्क्षसह, नरेंद्र नागर और गौरव की जहरीली शराब पीने से मौत हो गई। इसकी जांच चल रही थी कि नगला दल निवासी बिजेंद्र ङ्क्षसह, गालिब निवासी नाहर ङ्क्षसह और पचोखरा निवासी निन्नू की मौत हो गई। देसी की थैली में जहरीली शराब की पुष्टि हुई थी।

नगला सिंधी और मटसेना में भी मचा कोहराम

- फरवरी 2015 में मटसेना के गांव दतावली में मान सिंह और सुजान सिंह की जहरीली शराब पीने से मौत हुई थी।

- वर्ष 2004 में नगला ङ्क्षसघी थाना क्षेत्र के घुरकुआ में मोहर सिंह, जगत सिंह, महेंद्र, कालीचरन जहरीली शराब का शिकार बने।

कासगंज के नगला भंडारी में मर गए थे चार लोग

चार वर्ष पूर्व नगला भंडारी में जहरीली शराब पीने से तीन लोगों की मौत हो गई थी। उस वक्त इन मौतों पर काफी हंगामा भी हुआ था। नगला भंडारी, भरसौली, न्योली में गंगा की कटरी सहित पटियाली क्षेत्र के कई गांव हैं, जहां पर बड़ी मात्रा में अवैध शराब का कारोबार होता है।

मैनपुरी में एक ही दिन में नौ लोगों की हुई थी मौत

वर्ष 2001 में गांव नसीरपुर व बोझी में घटिया शराब पीने से एक ही दिन में नौ लोगों की मौत हुई थी। कुछ लोगों की आंखों की रोशनी चली गई थी, जिन्हें लंबे अरसे तक इलाज कराना पड़ा था। गांव रठेरा में भी इसी प्रकार तीन लोगों की जान चली गई थी। बिछवां क्षेत्र के कुबेरपुर में भी अवैध शराब पीने से सात लोगों की मौत हो चुकी है।

सैकड़ों गांवों में बनती है शराब

जिले में अवैध शराब का धंधा बेखौफ हो रहा है। मैनपुरी, भोगांव ,करहल व कुरावली की गिहार कॉलोनियों में कई लोग तो अपने घरों के शराब बनाकर बेचते हैं। कुरावली, बिछवां, भोगांव व बेवर क्षेत्र में काली नदी के आसपास बसे करीब 50 गांवों में अवैध शराब का धंधा अपनी जड़ें जमा चुका है।

यूरिया मिलाकर बनाते हैं जहरीला

शराब की तीव्रता बढ़ाने के लिए धंधेखोर यूरिया मिला देते हैं। यूरिया मिश्रित शराब शरीर के लिए काफी घातक है। चिकित्सकों के अनुसार, इस शराब से न सिर्फ जान जा सकती है। बल्कि आंखों की रोशनी भी जा सकती है। इसके बावजूद धंधेखोर शराब में यूरिया मिलाना बंद नहीं कर रहे हैं।

मांगी गई है रिपोर्ट

कच्ची और जहरीली शराब की बिक्री के खिलाफ अभियान चलाने के आदेश दिए गए हैं। डीएम स्तर से इसकी मानीटरिंग के लिए कहा गया है। इसकी रिपोर्ट भी मांगी गई है।

- अनिल कुमार, मंडलायुक्त आगरा

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