मुगल सैनिकों की तलवार आज भी यहां चमचमा रही, पहली बार पर्यटक कर रहे अवलोकन
वर्ष 1976 में फतेहपुर सीकरी में हुए उत्खनन के दौरान मिली थी स्टोर में रखी हुई थी। एएसआइ ने केमिकल क्लीनिंग कराने के बाद सीकरी म्यूजियम में प्रदर्शन को रखा।
आगरा, जागरण संवाददाता। मुगल शहंशाह अकबर की राजधानी रही फतेहपुर सीकरी में समय-समय पर हुए उत्खनन में धरा के गर्भ से अनमोल धरोहरें मिलती रही हैं। ऐसी ही एक तलवार उत्खनन में मिली थी। लंबे समय तक दर्शकों की दृष्टि से दूर रही यह तलवार अब सीकरी के खजाना महल में बने म्यूजियम की शान बढ़ा रही है।
फतेहपुर सीकरी में वर्ष 1976 और वर्ष 1999 में उत्खनन किया गया था। यहां उत्खनन में प्राप्त जैन प्रतिमाओं व अवशेषों को खजाना महल में बनाए गए म्यूजियम में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) द्वारा प्रदर्शित किया गया है। वर्ष 1976 में सीकरी में हुए उत्खनन में मुगल सैनिक की तलवार मिली थी। यह तभी से स्टोर रूम में रखी थी। एएसआइ ने केमिकल ब्रांच में केमिकल क्लीनिंग कराने के बाद तलवार को म्यूजियम में दर्शकों के अवलोकन के लिए इसे पिछले दिनों ही रखा दिया है। यह तलवार अब यहां की शान बढ़ा रही है।
अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि सीकरी म्यूजियम में तलवार को पहली बार रखा गया है। यह 16वीं शताब्दी की है।
अच्छी स्थिति में है तलवार
फतेहपुर सीकरी म्यूजियम के प्रभारी सहायक पुरातत्वविद प्रदीप चंद्र पांडे बताते हैं कि तलवार करीब 83 सेमी लंबाई की है। इसका वजन 650 ग्राम है। यह लोहे की बनी है और काफी शार्प है। इसके निर्माण में प्रयुक्त लोहा अच्छी गुणवत्ता का है। इतने वर्षों बाद भी यह अच्छी स्थिति में है। यह किसी बादशाह या राजकुमार की इसीलिए नहीं हो सकती, क्योंकि उनकी तलवारों के मूठ सोने या चांदी के बने होते थे।
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