Fatehpur Sikri: ताजमहल में जो नहीं हो सका, वो अब फतेहपुर सीकरी में किया जाएगा

Fatehpur Sikri दीवान-ए-खास के पिलर पर लगेगा टफन ग्लास। सैलानियों के स्पर्श से पिलर को बचाने को एएसआइ लगाएगा ग्लास। एएसआइ ने फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-खास के पिलर के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगाई। रेड स्टोन से बना पिलर सैलानी छूते हैं जिससे उस पर धब्बे नजर आने लगे।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Wed, 07 Jul 2021 03:40 PM (IST) Updated:Wed, 07 Jul 2021 03:40 PM (IST)
Fatehpur Sikri: ताजमहल में जो नहीं हो सका, वो अब फतेहपुर सीकरी में किया जाएगा
फतेहपुर सीकरी के दीवान-ए-खास स्थित इसी पिलर के चारों ओर टफन ग्लास लगाया जाना है। सौजन्य से एएसआइ

आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) जो काम ताजमहल में नहीं कर सका था, वो फतेहपुर सीकरी में हाेने जा रहा है। यहां दीवान-ए-खास के पिलर के संरक्षण को उसके चारों ओर टफन ग्लास लगाया जाएगा। इससे सैलानी पिलर को छू नहीं सकेंगे और वो उनके स्पर्श से गंदा नहीं होगा।

एएसआइ ने फतेहपुर सीकरी में दीवान-ए-खास के पिलर के चारों ओर लकड़ी की रेलिंग लगाई है। रेड स्टोन से बना पिलर सैलानी छूते हैं, जिससे उस पर धब्बे नजर आने लगे हैं। ऐसा सैलानियों के हाथों से पसीना, गंदगी आदि पत्थर पर लगने से हुआ है। सैलानियों के स्पर्श से पिलर को सुरक्षित रखने को एएसआइ उसके चारों ओर टफन ग्लास लगाएगा। टफन ग्लास के पारदर्शी होने से पिलर के व्यू में कोई बाधा नहीं आएगी। टफन ग्लास सैलानियों के स्पर्श से गंदा भी होगा तो उसे आसानी से साफ किया जा सकेगा। अधीक्षण पुरातत्वविद डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि पिलर के संरक्षण को यह काम किया जा रहा है। सैलानी पिलर को छू नहीं सकेंगे, जिससे वो साफ रहेगा। इससे व्यू भी प्रभावित नहीं होगा।

ताजमहल में लगाने का बना था प्रस्ताव

ताजमहल में मुख्य मकबरे में कब्रों वाले कक्ष के चारों ओर संगमरमरी जाली लगी हुई है। वर्ष 2014 में जाली और कक्ष की दीवारों को सैलानियों के स्पर्श से हो रहे नुकसान से बचाने को टफन ग्लास लगाने का प्रस्ताव बनाया गया था। इसे अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका था। बाद में स्टील की रेलिंग लगाकर सैलानियों को जाली व दीवारों को छूने से रोका गया।

टफन ग्लास

टफन ग्लास, सामान्य ग्लास की अपेक्षा छह गुना मजबूत होता है। रासायनिक व थर्मल ट्रीटमेंट द्वारा इसे अधिक मजबूत बनाया जाता है। टूटने पर यह छोटे-छोटे टुकड़ों में बिखर जाता है, जबकि सामान्य ग्लास टूटने पर नुकीले टुकड़ों में बंट जाता है। घरों में दरवाजे, रेलिंग, टेबल आदि में भी इसका उपयोग होता है।

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