वोटर नहीं लेकिन इनके भी आए 'अच्छे दिन', गोवंश को आश्रय स्थल पर मुहैया होंगी सुविधाएं

आगरा में सुधरने लगी गोवंश आश्रय स्थल की व्यवस्था। अलग-अलग ब्लॉक में रखे जाएंगे नंदी बन रही रैंप।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 31 May 2019 11:53 AM (IST) Updated:Fri, 31 May 2019 11:53 AM (IST)
वोटर नहीं लेकिन इनके भी आए 'अच्छे दिन', गोवंश को आश्रय स्थल पर मुहैया होंगी सुविधाएं
वोटर नहीं लेकिन इनके भी आए 'अच्छे दिन', गोवंश को आश्रय स्थल पर मुहैया होंगी सुविधाएं

एक नजर

चार अस्थायी गोवंश आश्रय स्थल शहर में हैं। दस आश्रय स्थल ग्र्रामीण इलाकों में बनाए गए। 1480 गोवंश शहर के आश्रय स्थलों में हैं। 2260 गोवंश ग्र्रामीण इलाकों में हैं। 3756 गोवंश पंजीकृत और अपंजीकृत गोशाला में हैं। सात आश्रय स्थलों का निमार्ण कार्य तेजी से चल रहा है। 1.21 लाख रुपये शहरी क्षेत्र में भरण पोषण में खर्च हुआ। 20 लाख रुपये ग्र्रामीण इलाकों पर खर्च। 22.18 लाख रुपये की धनराशि अब तक हस्तांतरित की गई है।

आगरा, जागरण संवाददाता। ये वोटर नहीं हैं, लेकिन चुनाव के बाद इनके भी अच्छे दिन आ गए हैं। देर से ही सही अफसरों की नींद टूट गई है। सड़कों पर भटक रहे गोवंश के लिए अब आश्रय स्थलों पर बेहतर इंतजाम किए जा रहे हैं। नंदीशाला में उन्हें रखने को अलग-अलग ब्लॉक बनाए जा रहे हैं। बीमार नंदी के लिए पंखा भी होगा और बिजली भी।

बाईंपुर में बने अस्थायी आश्रय स्थल में करीब एक हजार सांड़ हैं। ये तीन माह से यहां नंदी अव्यवस्थाओं से जूझ रहे हैं। सूखा भूसा और तेज धूप में रहने से हालत बिगड़ गई। दो दर्जन से अधिक सांड़ की एक सप्ताह में ही मौत हो गई। सांड़ की मौत का मामला डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा तक पहुंचा, तो प्रशासन को कार्रवाई के निर्देश दिए गए। पांच दिन पहले मेयर नवीन जैन आश्रय स्थल पहुंचे। यहां अव्यवस्था देख दंग रह गए। आनन-फानन नगर निगम से व्यवस्था कराने का आश्वासन दिया। एक हजार सांड़ की देखरेख को महज चार कर्मचारी थे, ऐसे में नगर निगम से चार कर्मचारी और लगा दिए गए।

अलग-अलग रखने को चार ब्लॉक

एक साथ रहकर सांड़ आपस में लड़ते हैं। बीते दिनों कई सांड़ों की लडऩे से मौत हो गई। अब इन्हें अलग-अलग रखने की व्यवस्था की जा रही है। इसके लिए लोहे के ब्लॉक बनाए जा रहे हैं, ताकि जो सांड़ अलग रखे जा रहे हैं, वह दूसरे ब्लॉक में न पहुंच पाएं। एक ब्लॉक में सबसे लड़ाके सांड़ रखे जाएंगे, तो दूसरे में उससे कम। तीसरे में बीमार सांड़ होंगे तो चौथे में बच्चों को रखा जाएगा। ये व्यवस्था जिला प्रशासन करा रहा है।

इलाज को बनेगा पेशेंट रूम

घायल और बीमार सांड़ के इलाज के लिए यहां पर एक पेशेंट रूम भी बनाया जा रहा है। इसमें बिजली और पंखे की व्यवस्था की जा रही है, ताकि गर्मी से बचा जा सके। ये व्यवस्था पशु पालन विभाग अपने पास से कर रहा है।

टीनशेड में जाने को बनाए रैंप

यहां पहले से टीनशेड बने हैं, लेकिन उनमें ऊंची सीढिय़ां हैं, इसके चलते टीनशेड के नीचे सांड़ नहीं पहुंच पाते हैं। नगर निगम यहां पर सीढ़ी के स्थान पर रैंप बनवा रहा है। ताकि वह आसानी से चढ़कर छांव में जा सकें।

सूखा भूसा नहीं हरा चारा-दाना भी

काफी समय से सूखा भूसा खा रहे सांड़ों की हालत बिगड़ रही थी। बीते दिनों मथुरा वेटेनरी यूनिवर्सिटी से आई टीम की जांच में ये बात भी सामने आई थी। अब यहां पर रोज दो ट्रॉली हरा चारा और दाने की व्यवस्था की जा रही है। पानी के लिए भी तीन टंकी बनाई गई हैं।

आश्रय स्थल पर व्यवस्थाएं की जा रही हैं। जल्द ही सब कुछ दुरुस्त होगा। जिला प्रशासन और नगर निगम की मदद से इंतजाम बेहतर होंगे।

डॉ. एके दौनेरिया, सीवीओ।

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