Depression: आगरा की आधी आबादी हो रही डिप्रेशन की शिकार, जानिए क्यों बन रहे ये हालात

Depression आशा ज्योति केंद्र पहुंच रहे अजब-गजब मामले। कई महिलाएं लाकडाउन में पति की नौकरी छूटने से हैं परेशान। कोई खुद की नौकरी छूटने से आर्थिक संकट में आईं। डिप्रेशन की शिकार हो रहीं काउंलिसिंग को पहुंच रही।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 05 Dec 2020 03:18 PM (IST) Updated:Sat, 05 Dec 2020 03:18 PM (IST)
Depression: आगरा की आधी आबादी हो रही डिप्रेशन की शिकार, जानिए क्यों बन रहे ये हालात
आशा ज्योति केंद्र पहुंच रहे अजब-गजब मामले।

आगरा, अली अब्बास। केस एक: सदर क्षेत्र निवासी युवती एक कंपनी में 20 हजार रुपये महीने की नौकरी करती थी। लाकडाउन से पहले सब कुछ अच्छा चल रहा था। युवती अपने शौक पूरा करने के साथ ही परिवार की आर्थिक मदद भी कर रही थी। वेतन अच्छा होने के चलते उसने दस महीने पहले ही दोपहिया वाहन फाइनेंस करा लिया था। लाकडाउन के दौरान उसे घर बैठना पड़ा। एक महीने बाद ही उसकी नौकरी चली गई। इस दौरान परिवार की आर्थिक स्थिति भी बिगड़ गई। नौकरी छूटने से युवती की जमा पूंजी भी खत्म हो गई। उधर, गाड़ी की किस्त नहीं जमा होने से फाइनेंस कंपनी वालों ने तकादा शुरू कर दिया। इससे युवती डिप्रेशन में आ गई। कोई रास्ता नहीं सूझा तो आशा ज्योति केंद्र पहुंची। युवती का कहना था कि उसे काउंसिलिंग की जरूरत है। इससे कि वह तनाव से उबर सके।

केस दो: शाहगंज क्षेत्र निवासी विवाहिता की समस्या तो बिल्कुल अलग है। पति का कारोबार अच्छे से नहीं चलने पर उनके व्यवहार में बदलाव आ गया। वह पत्नी से बात- बात पर नाराज होने लगे। कोरोना के चलते पत्नी को कई महीने अपने साथ बाहर घुमाने नहीं ले गए। आर्थिक तंगी, पति के व्यवहार में आए बदलाव और घर से बाहर नहीं निकलने के चलते महिला डिप्रेशन में आ गई। अपने आप में गुमसुम सी रहने लगी। एक दिन इसी उधेड़बुन में छत पर टहलते समय वह बाउंड्री वाल को नहीं देख पाई। वह छत से नीचे आ गिरी। हालांकि उसे ज्यादा चोट नहीं आ सकी। उधर, ससुराल वालों को लगा कि वह छत से खुदकुशी करने कूदी है। महिला के मायके आने के बाद वह उसे लेने नहीं आ रहे। उन्हें डर हे कि महिला कहीं छत से दोबारा गिर गई तो उसके स्वजन उन पर आरोप लगा सकते हैं। वहीं महिला पति के पास जाना चाहती है। उसने महिला हेल्पलाइन से पति के पास लौटने के लिए मदद मांगी है।

केस तीन: जगदीशपुरा क्षेत्र निवासी पति-पत्नी एक फैक्ट्री में काम करते थे। लाकडाउन मे दाेनों को फैक्ट्री मालिक ने काम से निकाल दिया। इसके बाद से पति खाली बैठा हुआ है। वह तनाव में आ गया है। पत्नी ने गत्ते के डिब्बे बनाने वाले एक कारखाने में किसी तरह से अपना काम लगा लिया। मगर, दो सप्ताह बाद उसे वहां से निकाल दिया गया। पति-पत्नी दोनों खाली हो गए हैं। ससुर पर घर चलाने की जिम्मेदारी है। वह अपनी पेंशन से जैसे-तैसे घर चला रहे हैं। बहू को कुछ सौ रुपये देते हैं। छह हजार रुपये महीने कमाने वाली बहू इससे डिप्रेशन मे आ गई । उसने 112 नंबर पर फोन कर दिया। पुलिस ने मामला काउंसिलिंग के लिए आशा ज्योति केंद्र भेज दिया। महिला का कहना था कि उसे फैक्ट्री में नौकरी दिलवाई जाए।

केस चार: शाहगंज क्षेत्र निवासी पति-पत्नी की शादी नवंबर 2019 में हुई है। शादी के पांच महीने बाद ही लाकडाउन हो गया। फैक्ट्री और कारखाने बंद हो गए। पति ने पत्नी से होली के बाद घूमने के लिए बाहर चलने की कहा था। मगर, घूमना तो दूर अनलाक में पति को किसी तरह एक फैक्ट्री में काम मिला। कोरोना गाइड लाइन के चलते फैक्ट्री में मजूदरों की संख्या कम होने के चलते दोगुना काम करना पड़ रहा है। पति के रोज देर तक लौटने से पत्नी को उस पर शक होने लगा। पत्नी को लगा कि पति के किसी और महिला से प्रेम संबंध हैं। इसे लेकर आए दिन विवाद होने लगा। पति के अन्य महिला से संबंध होने के शक में पत्नी तनाव का शिकार हो गई। वह पति के खिलाफ महिला थाने पहुंच गई। यहां पर करीब एक महीने तक चली काउंसिलिंग के बाद पुलिस उसे यह समझा सकी कि पति का देर से आने का कारण काम की अधिकता है। इसके बाद पत्नी उसके साथ दोबारा घर जाने काे राजी हो सकी।

यह सिर्फ चार उदाहरण हैं। कोरोना संक्रमण काल ने दंपतियों के रिश्तों को भी प्रभावित किया है। पति- पत्नी के बीच विवाद के मामले बढ़ रहे हैं। उसी अनुपात में महिलाओं के डिप्रेशन में आने के मामलों में इजाफा हुआ है। पति की नौकरी जाने पर और आर्थिक संकट से आने से वह खुद को असुरक्षित महसूस कर रही हैं। वहीं पति काम के दबाव के चलते तनाव में आ रहे हैं। वह अपना गुस्सा और खीझ घर में पत्नी या बच्चों पर उतार रहे हैं। इससे परिवार की महिलाएं तनाव में आ रही हैं। वह डिप्रेशन में आने के चलते खुद को दिगभ्रमित पा रही हैं। अपने और बच्चों के बारे में कोई फैसला लेने में आत्मविश्वास की कमी महसूस कर रही हैं। आशा ज्योति केंद्र की सेंटर प्रबंधक दीप शिखा कुशवाहा के अनुसार एक साथ कई कारक मिलकर महिलाओं को डिप्रेशन में ढकेल रहा है। उन्हें कांउसिलिंग की जरूरत पड़ रही है।

ये बन रहे डिप्रेशन के कारण

- पति-पत्नी देानों नौकरी करते थे। अब दोनों या किसी एक की नौकरी जाने से परिवार की आर्थिक बिगड़ गई है।

- कोरोना काल में पति-पत्नी दोनों के व्यवहार में बदलाव आया है। एक दूसरे के प्रति सहनशीलता कम हुई है।

- पति द्वारा पत्नी को घर चलाने के लिए दिए जाने वाले खर्च में कटौती से बजट बिगड़ा है।

- पति द्वारा बात- बात पर पत्नी को झिडक देना, ठीक से बात नहीं करना।

- कामकाजी महिलाओं ने लोन लिया हुआ था। नौकरी जाने के बाद अब लोन की किस्त चुकाने की समस्या सामने आ रही है।

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