इटली का दंपती लेगा भारतीय बच्चे काे गाेद, बिहार के दंपती ने गाेद लेने के चार माह बाद लाैटाया
नौ वर्षीय बालक को एक वर्ष पहले बिहार के दंपती ने लिया था गोद। वापस छोड़ गए शिशु गृह। अब इसी बालक को इटली के दंपती गोद लेंगे। उन्होंने किया है आवेदन। वहीं एक वर्ष की बच्ची को गोद लेने के लिए ब्रिटिश दंपती ने भी किया है आवेदन।
आगरा, अली अब्बास। भारतीय माता-पिता के साथ दत्तक पुत्र का तालमेल नहीं बैठा। दंपती चार महीने बाद ही उसे लौटा गए, लेकिन किस्मत ने उसके लिए इससे भी बेहतर सोच रखा था। बालक को अब इटली के दंपती गोद लेंगे। इसी तरह दुनिया में आते ही अपनों द्वारा त्याग दी गई मासूम बच्ची की तकदीर भी सात समुंदर पार दत्तक माता-पिता के हाथों लिखी जाएगी। उसे ब्रिटिश दंपती गोद लेंगे। वहीं शिशु एवं बाल गृह से एक वर्ष पहले फीरोजाबाद स्थानांतरित किए गए बालक को दक्षिण अफ्रीका के दंपती ने गोद लेने की इच्छा जताई है।
इन तीनों बच्चों को विदेशी दंपतियाें ने गोद लेने के लिए सेंट्रल एडाप्शन रिसोर्स अथारिटी (कारा) के माध्यम से आवेदन किया है। विदेशी दंपती से बालक की मैचिंग कराई जाएगी। इसके बाद उसे गोद देने की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाएगा। नौ वर्षीय बालक कई वर्ष से राजकीय शिशु गृह में है। उसे दिसंबर, 2019 में बिहार के एक दंपती ने गोद लिया था। चार महीने बाद ही मार्च, 2020 में वह बालक को वापस कर गए। दंपती का कहना था कि बालक से उनका तालमेल नहीं बैठ सका। इसके चलते वह उसे अपने साथ नहीं रख सकते।
वहीं फीरोजाबाद में एक वर्ष पहले करीब दो सप्ताह की बच्ची अभिभावक लावारिस फेंक करके चले गए थे। वह अब एक साल की हो गई है। अपनी मासूमियत से वह शिशु गृह के स्टाफ और बच्चों की चहेती है। इन बच्चाें की दंपतियों से मैचिंग के बाद गोद देने की प्रक्रिया शुरू की जाएगी।
महत्वपूर्ण तथ्य
-कारा मुख्य रूप से अनाथ छोड़ दिए गए और आत्म-समर्पण करने वाले बच्चों को गोद देने के लिए काम करती है। वर्ष 2015 में बच्चे को गोद लेने की प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया गया था।
-बच्चा गोद देने के कानून में दत्तक माता-पिता द्वारा उसे एक समयावधि में वापस लौटाने के नियम का भी प्रावधान है।
-पांच साल में 50 बच्चे गोद दिए जा चुके हैं।
-दो वर्ष के दौरान पांच बच्चे विदेशी दंपतियों ने गोद लिए।
पिछले वर्ष इटली के दंपतियों ने तीन बच्चों को लिया था गोद
पिछले वर्ष इटली के दंपतियों ने राजकीय शिशु गृह से तीन बच्चों को गोद लिया था। वास्तुविद दंपती ने सगे भाइयों को गोद लिया था।
जबकि कारोबारी दंपती ने एक बालिका को गोद लिया। कोरोना काल के चलते इन बच्चों का इंतजार कुछ लंबा हो गया था। मगर, 31 अक्टूबर को दंपती तीनों बच्चो को यहां से अपने साथ ले गए।
इटली के माता-पिता के आंगन में मनी दीपावली
इटली के दंपती द्वारा सगे भाइयों को गोद लेने के कुछ सप्ताह बाद ही दीपावली थी। दत्तक बेटों ने अपने अभिभावकों से दीपावली पर आतिशबाजी की ख्वाहिश जाहिर की। अभिभावकों ने दोनों बेटों के साथ मिलकर यादगार दीपावली मनाई। उनके साथ मिलकर दीप जलाए और आतिशबाजी की।
दत्तक माता-पिता और बच्चे की इसलिए जरूरी है मैचिंग
-बच्चे को गोद लेने वाले अभिभावक उससे मिलकर उसकी अादतों के बारे में जानने का प्रयास करते हैं। इससे कि उसे गोद लेने से पहले अपने में कुछ बदलाव कर सकें।
-अपने घर की साज-सज्जा में बच्चे की इच्छा के अनुरूप बदलाव कर सकें।
-बच्चे के साथ कुछ समय बिताते हैं, इससे कि उसके साथ रहकर भावनात्मक संबंध स्थापित हो सके। इससे कि बच्चे को गोद लेने के बाद घर ले जाएं तो वह खुद को अकेला न महसूस करे।
-इटली से बेटी को गोद लेने आई महिला ने एक महीने का समय उसके साथ बिताया था। दोनों एक दूसरे से इतना घुलमिल गईं कि वह कुछ घंटे भी एक दूसरे के बिना नहीं रह सकती थीं।
कारा के माध्यम से बालकों को गोद लेने के लिए इटली व दक्षिण अफ्रीका के दंपतियों ने आवेदन किया है। जबकि एक वर्षीय बालिका को गोद लेने के लिए ब्रिटेन के दंपती ने आवेदन किया है। बच्चों की विदेशी दंपती से मैचिंग के बाद गोद देने की प्रक्रिया आगे बढ़ाई जाएगी।
विकास कुमार, अधीक्षक राजकीय शिशु एवं बाल गृह आगरा