Lord Rama: श्री रामचरितमानस के साथ ये पुस्तकें भी भगवान राम की व्याख्या करती है, जिन्हें आप पढ़ सकते हैं।

Best Books To Read On Lord Rama - भगवान श्री राम के चरित्र पर काफी पुस्तकें लिखी गई है जिसे पढ़कर पाठको ने अपना उद्धार किया है। श्री रामचरितमानस से लेकर रामायण आदि तक आज के समय में पूजी जाती है। प्रभु श्रीराम लक्ष्मण जानकी और हनुमान जी जीवन लीला के बारे में यदि आप अधिक जानना चाहते हैं तो आप लेख में दी गई पुस्तकों को चुन सकते हैं।

By Visheshta AggarwalPublish:Tue, 12 Dec 2023 12:56 PM (IST) Updated:Tue, 12 Dec 2023 12:56 PM (IST)
Lord Rama: श्री रामचरितमानस के साथ ये पुस्तकें भी भगवान राम की व्याख्या करती है, जिन्हें आप पढ़ सकते हैं।
Lord Rama: श्री रामचरितमानस के साथ ये पुस्तकें भी भगवान राम की व्याख्या करती है, जिन्हें आप पढ़ सकते हैं।

Best Books To Read On Lord Rama: श्रीराम, ब्रह्मा जी के पुत्र दरीची, दरीची के पुत्र महर्षि कूर्म के वंश से जो सूर्यवंश हुआ उसी के इक्षवा कुल में श्री राम का जन्म हुआ, इन्हें रामचंद्र भी कहते हैं। रामायण के अनुसार, महाराज दशरथ और रानी कौशल्या के सबसे बड़े पुत्र, देवी सीता के पति व लक्ष्मण, भरत तथा शत्रुघ्न के भ्राता श्रीराम है। पवनपुत्र हनुमान श्रीराम के परम भक्त है। लंका के राजा रावण का वध श्रीराम के हाथों हुआ था, जिसे रावण की मुक्ति भी कहा जाता है। उनकी प्रतिष्ठा मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में है क्योंकि उन्होंने मर्यादा के पालन के लिए राज्य, मित्र, माता-पिता तक का त्याग करना पड़ा।

प्रभु श्रीराम भगवान विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीराम का जन्म वैवस्वत मन्वंतर में 23 वे चतुर्युग के त्रेता में हुआ। उन्होंने करीब 11000 वर्ष अयोध्या पर शासन किया। श्री राम विश्वामित्र के साथ यज्ञ की रक्षा के लिए छोटे भाई लक्ष्मण के साथ गए और ताड़का आदि राक्षस मारे उसके बाद गुरु के साथ राजा जनक के यहां उनकी पुत्री सीता के स्वयंवर में पहुंच कर शिव के धनुष को तोड़, देवी सीता से विवाह किया, जब उन्होंने अयोध्या का अगला राजा बनाया जा रहा था तब उनके पिता के वचन को निभाने के लिए 14 वर्ष वनवास जाना पड़ा, जहां पर लक्ष्मण ने शुर्पनखा के नाक कान काट दिए और उसके भाई खर दूषण का राम ने वध कर दिया।

Best Books To Read On Lord Rama: पुस्तक की समीक्षा

माता सीता का अपहरण रावण द्वारा किया गया जिसकी खोज में जटायु पक्षी जो बात करता था जिसने रावण का प्रतिकार किया था। आगे हनुमान सुग्रीव से मिले सुग्रीव। श्रीराम ने सुग्रीम के भाई बाली का वध कर सुग्रीव को राजा बनाया। हनुमान ने माता सीता की खोज की और रावण के भाई विभीषण को शरण दी। रावण और इसके 1लाख से अधिक पुत्र डेढ़ लाख से अधिक पौत्र को कुंभकरण, मेघनाद सहित मार गिराया। रामेश्वर में शिवलिंग स्थापित किया जो की ज्योतिर्लिंग के रूप में प्रसिद्ध हैं। नवरात्रि शक्ति की पूजा कर, समुद्र पर पुल बनाया और रावण को विभीषण के द्वारा बताए रहस्य से जान कर मार गिराया। महर्षि वाल्मीकि जी ने रामायण की रचना की।

1. SHRI RAM KI ATMAKATHA श्रीराम की आत्मकथा Book in Hindi

श्रीराम लोकमानस में रचे-बसे हैं। इससे बड़ा सत्य यह है कि श्रीराम से पुराना कोई नाम नहीं है। श्रीराम के चरित्र से हजारों वर्षों से मानव ने स्वयं को पुनीत किया है। भगवान् श्रीराम के हृदय में तो मैत्रीभाव, सौहार्द भाव है। वे विरोधी के कल्याण की ही सोचते हैं। उनके हृदय में तो बस सबके लिए कल्याण-भाव है। भगवान् श्रीराम के मन में शत्रुभाव का नितांत अभाव है। उन्होंने अपना अनर्थ करनेवाले रावण के प्रति भी हमेशा उदारता दिखाई, समझाया और धर्म की रीति का पालन करते हुए धर्मयुद्ध में राक्षसों का संहार किया। ऐसे श्रीराम की राजकुमार से भगवान् के परमपद तक की जीवन-यात्रा साधना के साथ होना इस पुस्तक का प्रमुख उद्देश्य रहा है।

धैर्यशीलता, सत्यशीलता और कृपाशीलता की संयुक्त झलक श्रीराम के चरित्र में स्थान-स्थान पर मिलती है। उनके अवतरण से समाज में समभाव, और सत्यनिष्ठा, अद्वितीय कर्त्तव्य से पीडि़त, शोषित और वंचितों के सम्मान की श्रीवृद्धि हुई और समाज में जीवन-मूल्यों की स्थापना हुई। पुस्तक में श्रीराम के राजकुमार, ब्रह्मचारी, शिष्य, परिव्राजक, पुत्र, पति, वनवासी, जिज्ञासु, ऋषि-सत्ता के प्रति श्रद्धावान्, परम योद्धा, भ्राता, मित्र, शत्रु, राजा, त्यागी, मर्यादा पुरुषोत्तम आदि सभी रूपों में अनुकरणीय आदर्श के रूप में चरित्र को उकेरने का प्रयास किया गया है। प्रस्तुत पुस्तक श्रीराम का अयोध्या के राजकुमार से भगवद्पद तक प्रेरक एवं पुनीत प्रस्तुतीकरण है। Book Price: Rs 360.

2. Meri Ayodhya, Mera Raghuvansh Book in Hindi

पुस्तक की समीक्षा कहती है.. हम दोनों भ्राता जब तक अपनी कुटी तक पहुँचते, तब तक अनर्थ घटित हो चुका था। हमारी कुटी रिक्त थी। भूमि पर धूलिकणों के मध्य अन्न एवं पात्र औंधे पड़े थे। 'सीते!' मैंने पुकारा, परंतु प्रत्युत्तर नहीं मिला। 'सीते!' मैंने पुन: पुकारा; पुन: प्रत्युत्तर में मुझे मौन ही प्राह्रश्वत हुआ। तत्पश्चात मैं भयभीत कुटी के प्रांगण में आया, जहाँ विशाल वटवृक्ष अवस्थित था। 'सीते! वृक्ष की आड़ में छिपकर मेरे साथ क्रीड़ा न करो। यह हास का समय नहीं है!' फिर भी मुझे कोई उत्तर नहीं मिला।

अब मैं उसके पदचिन्हो को देखते हुए आगे बढऩे लगा। रथ के पहियों का चिह्नï मिलने के पश्चात् कोई अन्य चिह्नï नहीं मिला। मेरे धैर्य का सेतु टूट गया। 'देवताओ, गंधर्वो! क्या आपने भी नहीं देखा?' मैंने आकाश की ओर मुख करके भीषण गर्जना की। स्तब्ध पवनदेव ने अपना वेग मद्धिम कर दिया। उस तनावपूर्व घड़ी में देवताओं ने प्रश्नसूचक दृष्टि से गुरु बृहस्पति की ओर देखा। उन्होंने मंद-मंद मुसकराते हुए कहा, 'प्रभु लीला कर रहे हैं। आह! मेरा हृदय असंख्य शरों से बिंधा हुआ था। मैं लीला नहीं कर रहा था, वरन राम रूपी मानव काया में असहनीय वेदना का अनुभव कर रहा था। मैंने पुन: लक्ष्मण से कहा, अवश्य देखा होगा, इन वृक्षों ने, इन लताओं ने, इन पक्षियों ने, इन मृगों ने...। यह कहते हुए मैंने कदंब, अर्जुन, ककुभ, तिलक, अशोक, ताल, जामुन, कनेर, कटहल, अनार आदि अनेक वृक्षों से पूछा, क्या तुमने मेरी भार्या सीता को कहीं देखा है? परंतु वे सभी मौन रहे। इसी पुस्तक से आपको पता चलेगा आगे श्रीराम ने क्या वार्ता की। Book Price: Rs 270.

3. Rom Rom Mein Ram रोम रोम में राम Book in Hindi

रोम रोम में राम

हनूमान सम नहिं बड़ भागी।

नहिं कोउ राम चरन अनुरागी।। शिवजी कहते हैं कि हनुमान के समान न तो कोई बड़भागी है और न राम के चरणों का अनुरागी। यह कथन बड़ा गहरा है। कुछ लोग सोचते हैं कि अच्छा खा-पीकर; खूब धन कमाकर; बड़ा मकान बनवाकर आदमी भाग्यशाली हो जाता है। लेकिन क्या यही मनुष्य का चरम लक्ष्य है? क्या ऐश्वर्य उसे धन्य करने की शक्ति रखता है? हनुमान ‘राम-काज’ करके बड़भागी बन गये थे। वास्तव में इस संसार में ‘विद्यावान्; गुणी; अतिचातुर’ लोग बड़ी मुश्किल से ‘राम-काज’ करने के लिए आतुर होते हैं। प्राय: आदमी कुछ खूबियों को पाकर अपनी तिजोरियाँ भरना चाहता है; नाम कमाना चाहता है; अपना साइनबोर्ड हर जगह लगवाना चाहता है।

दूसरे के हित की कामना करने का तो उसे खयाल भी नहीं आता। इस तरह के काम उसके हिसाब से ‘मूर्ख’ करते हैं। कीचड़ में सने चिन्तन के इस चक्के को हनुमान ने सही दिशा में मोड़ा। बेजोड़ प्रतिभा और अतुलित बल के कुबेर होते हुए भी उन्होंने स्वार्थ के लिए उसका उपयोग कभी नहीं किया। साधारण मनुष्य में यदि विद्या; गुण या चतुराई में से कोई एक थोड़ा भी आ जाए तो वह ऐंठकर चलने लगता है। पर हनुमान सर्वगुण-सम्पन्न होकर भी सेवक ही बने रहे। आज के संसार को पहले से कहीं अधिक सेवा की; भक्ति की जरूरत है। और इसके सबसे बड़े आदर्श और प्रेरणापुरुष हैं हनुमानजी। प्रस्तुत पुस्तक ‘रोम रोम में राम’ में हनुमान के महिमामय चरित्र का गहन; ललित और मोहक अंकन हुआ है। Book Price: Rs 184.56.

4. SHRI RAM CHARIT MANAS श्री रामचरितमानस Book in Hindi

अनगिनत युगों पहले, जब मनुष्य और जानवर एक साथ बातचीत कर सकते थे और शक्तिशाली ब्राह्मण चमत्कार करते थे, तब बेकाबू राक्षस रावण ब्रह्मांड को आतंकित कर रहा था। रामायण में धार्मिकता के भगवान राम के साहसिक कारनामे दर्ज हैं, क्योंकि वह रावण की ताकतों पर काबू पाने के लिए संघर्ष करते हैं। इस मनोरंजक कथा ने भारत में अनगिनत पीढ़ियों को प्रसन्न और प्रबुद्ध किया है, और इसकी कालातीत आध्यात्मिक अंतर्दृष्टि आज की भ्रमित दुनिया में बेहद प्रासंगिक है।

रामायण का सार, रामायण का सौंदर्य सुंदरकांड में निहित है। यह काण्ड महाकाव्य कथा को अर्थ प्रदान करता है। श्री सीता राम स्तोत्रम्, श्री राम सीता विवाहम्, नाम रामायणम्, गायत्री रामायणम्, सुंदरकाण परायण मुराईगल, श्रीराम अष्टोरम् का वर्णन इस पुस्तक में किया गया है, जिसे आप पढ़कर अपने आप को धन्य कर सकते हैं। Book Price: Rs 515.

5. JAI SHRI RAM जय श्री राम Book in Hindi

सत्येन श्रीवास्तव द्वारा रचित यह उपन्यास श्री राम के वनवास को नितान्त नवीन राजनैतिक अलोक में प्रस्तुत करता है। उपन्यास का आरम्भ राजा दशरथ द्वारा राजकुमार राम के राज्याभिषेक की घोषणा के साथ होता है और तदुपरांत पुस्तक का कथानक एक नया रूप धारण कर लेता है। उपन्यास की कथा विभिन्न सम-विषम मार्गों से चलते हुये कहानी को एक नये स्वरुप में पाठकों के सम्मुख उद्घाटित करती है और अंततोगत्वा रावण के वध पर जा कर समाप्त होती है। उपन्यास की भाषाशैली अत्यंत रोचक है और भावों का यथार्थ निरूपण करती है।

लेखक ने अपनी कल्पनाशीलता एवं रचनात्मकता का अद्भुत संगम किया है और यह रामकथा बड़े ही नये रूप में प्रस्तुत की है। इस बात का विशेष ध्यान रखा गया है कि वर्तमान काल के पाठकों के समक्ष यह रामकथा प्रस्तुत करते समय उसमे नवीनता तो अवश्य हो परन्तु कथा के मूल चरित्र में कोई परिवर्तन न आये। इस कारण घटनाओं की विवेचना बड़ी ही सुरुचिपूर्ण हो कर उभरी है। यह बात मन को आनंद तो देती ही है साथ ही यह भी इंगित करती है कि दो युग व्यतीत हो जाने के उपरान्त भी रामकथा के लेखन में अप्रतिम संभावनायें हैं और इसके अन्वेषण में अब भी कोई विराम नहीं लगा है। यही वह तथ्य है जो राम की सर्वकालिक प्रासंगिकता को सिद्ध करता है। Book Price: Rs 407.

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Posted By Visheshta Aggarwal