1992 ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद कई घंटे बेंच पर बैठा था: लिएंडर पेस

पेस ने कहा जब रमेश कृष्णन और मैं 1992 ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में हार गए थे और पदक जीतने से चूक गए थे तो मुझे लगा कि रमेश अब संन्यास लेने जा रहा है और 1996 के ओलंपिक तक नहीं खेलेंगे।

By Viplove KumarEdited By: Publish:Thu, 24 Sep 2020 08:11 PM (IST) Updated:Thu, 24 Sep 2020 08:11 PM (IST)
1992 ओलंपिक क्वार्टर फाइनल में हारने के बाद कई घंटे बेंच पर बैठा था: लिएंडर पेस
भारतीय दिग्गज टेनिस स्टार लिएंडर पेस (फाइल फोटो)

नई दिल्ली, आइएएनएस। भारत की तरफ से टेनिस सिंगल्स में ओलंपिक पदक जीतने वाले एक मात्र भरतीय लिएंडर पेस के लिए वो लम्हा हमेशा ही यादगार रहेगा। 18 बार के डबल्स ग्रैंडस्लैम विजेता भारत के अनुभवी दिग्गज टेनिस खिलाड़ी लिएंडर पेस ने 1996 के अटलांटा ओलंपिक में पदक जीतकर इतिहास रच दिया था। वह ओलंपिक में पदक जीतने वाले पहले भारतीय टेनिस खिलाड़ी बने थे।

हालांकि पेस का ओलंपिक में पदक जीतने का सपना चार साल पहले बार्सिलोना में भी पूरा हो सकता था, लेकिन वहां उन्हें और रमेश कृष्णन की पुरुष डबल्स जोड़ी को जॉन बासिल फिटजगेराल्ड और टॉड एंड्रयू वुडब्रिज की आस्ट्रेलियाई जोड़ी से क्वार्टर फाइनल में हार का सामना करना पड़ा था।

 

पेस ने कहा, 'जब रमेश कृष्णन और मैं, 1992 ओलंपिक के क्वार्टर फाइनल में हार गए थे और पदक जीतने से चूक गए थे तो मुझे लगा कि रमेश अब संन्यास लेने जा रहा है और 1996 के ओलंपिक तक नहीं खेलेंगे। मुझे यह भी लगा कि यहां कोई ऐसा युवा नहीं था, जिसकी अटलांटा में पदक जीतने के लिए तैयारी पर्याप्त थी। 1992 में मैं केवल ओलंपिक पर ध्यान लगाए हुआ था और जब मैं पदक जीतने के करीब आया तो करीब दो घंटे और 45 मिनट तक चले क्वार्टर फाइनल मैच हारने के बाद मैं बेंच पर ही बैठा रहा।

'टेनिस में डबल्स वर्ग के सबसे बेहतरीन खिलाडि़यों में से एक पेस ने कहा कि इस हार के बाद उन्होंने सिंगल्स प्रतियोगिताओं के लिए अभ्यास करना शुरू कर दिया था। पेस ने कहा, 'मैंने अपनी सोच को मजबूत किया और 1992 और 1996 के बीच सिंगल्स प्रतियोगिताओं के लिए अपनी शारीरिक ताकत और मानसिक योग्यता को बदलने का फैसला किया।'पेस आखिरकार 1996 ओलंपिक में ब्राजील के फर्नांडो मेलिगेनी को मात देकर कांस्य पदक के रूप में अपना ओलंपिक पदक जीतने में सफल रहे।

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